निजी अस्पताल व नर्सिंग होम संचालक कर रहे कर्मचारियों का शोषण – एचएस मिश्रा
वरिष्ठ श्रमिक नेता ने अधिकार दिलाने कानूनी लड़ाई लड़ने की चेतावनी
भिलाई । प्रदेश के वरिष्ठ श्रमिक नेता और दुर्ग जिला गुमास्ता कर्मचारी संगठन के महासचिव एचएस मिश्रा ने निजी अस्पताल, नर्सिंग होम व पैथालॉजी लैब संचालकों पर अपने यहां कार्यरत कर्मचारियों का शोषण करने का आरोप लगाया है। उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा है कि संचालक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा और श्रम विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों को इस मामले में स्वत: संज्ञान में लेकर कार्रवाई करनी चाहिए, अन्यथा यूनियन की ओर से कर्मचारियों को उनका हक और अधिकार दिलाने शीघ्र ही कानूनी लड़ाई का शंखनाद किया जाएगा।
दुर्ग जिला गुमास्ता कर्मचारी संगठन के महासचिव एचएस मिश्रा ने भिलाई – दुर्ग ही नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ के विभिन्न शहरों में संचालित विभिन्न निजी अस्पताल, नर्सिंग होम व पैथालॉजी लैब में ढाई सौ से हजार – 12 सौ कर्मचारी कार्यरत हैं। इसमें नर्स, वार्ड बॉय, टेक्नीशियन से लेकर अन्य पैरामेडिकल स्टाफ और सुरक्षा गार्ड शामिल हैं। नियमानुसार इन कर्मचारियों से प्रतिदिन 8 घंटे काम लिया जाना चाहिए। लेकिन उनसे 12 घंटे तक काम लिया जा रहा है। इतना ही नहीं साप्ताहिक अवकाश से वंचित रखते हुए महीने के पूरे 30 से 31 दिन काम लिया जा रहा है। इसके बावजूद 6 से 8 हजार रुपए प्रति माह वेतन दिया जाता है। जबकि सरकार ने ऐसे कर्मचारियों के लिए योग्यता के अनुसार न्यूनतम वेतन निर्धारित किया है।
श्री मिश्रा ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा अकुशल कर्मचारी के लिए प्रतिदिन 421 रुपए के हिसाब से प्रतिमाह 10948, अर्धकुशल के लिए 446 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से प्रतिमाह 11598, कुशल के लिए प्रतिदिन 476 रुपए के हिसाब से प्रतिमाह 12378 तथा उच्च कुशल कर्मचारी के लिए प्रतिदिन 506 रुपए के हिसाब से प्रतिमाह 13158 रुपए न्यूनतम वेतन निर्धारित है। जिसका कोई भी अस्पताल, नर्सिंग होम व पैथालॉजी लैब संचालक पालन नहीं कर रहे हैं। जबकि 12 घंटे प्रतिदिन काम लिए जाने की स्थिति में डबल ओवरटाइम नियम के अनुसार कर्मचारियों को 21896 से 26316 रुपए तक उनकी कार्यकुशलता के अनुसार वेतन मिलना चाहिए।
उन्होंने बताया कि निजी अस्पताल, नर्सिंग होम व पैथालॉजी लैब में कार्यरत कर्मचारियों को सरकार के नियमानुसार एम्पलाइमेंट कार्ड, वेतन पर्ची, परिचय पत्र, हाजिरी कार्ड और लिव कार्ड मिलना चाहिए। जिस संस्थान में 10 से अधिक लोग काम करते हैं, वहां के कर्मचारियों का ईएसआई कार्ड बनना चाहिए और 20 से अधिक लोगों के काम करने वाले संस्थान या अस्पताल में नियमानुसार भविष्य निधि की कटौती की जानी चाहिए। लेकिन ज्यादातर निजी अस्पताल, नर्सिंग होम व पैथालॉजी लैब में संचालकों द्वारा अपने कुछ चेहते कर्मचारियों का भविष्य निधि कटौती दर्शाया जाता है और बाकी कर्मचारियों को उनके हक से वंचित रखा जा रहा है।
श्री मिश्रा ने निजी अस्पताल, नर्सिंग होम व पैथालॉजी लैब में काम करने वाले कर्मचारियों को सालाना बोनस नहीं दिया जा रहा है। छुट्टियों की पात्रता से भी वंचित रखा जा रहा है। बिना सूचना के काम से निकाल दिया जाता है और उनका अंतिम भुगतान तक नहीं किया जाता। संचालकों द्वारा कर्मचारियों में भय व भ्रम पैदा कर उनका आर्थिक और मानसिक शोषण किया जा रहा है। नियम कानून का पालन सुनिश्चित करते हुए कर्मचारियों का शोषण रोकने के लिए शासन – प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारियों को स्वत: ही जांच कर कार्रवाई करनी चाहिए। अगर ऐसा नहीं होता है तो यूनियन को कानूनी लड़ाई का रास्ता अपनाने के लिए कदम उठाना पड़ेगा।