राजनीतिक-आर्थिक स्थिरता के कारण विश्व के 76 फीसदी बड़े निवेशकों को भाया भारत…
भारत साल 2023 के लिए दुनिया में निवेश का उभरता हुआ सबसे आकर्षक बाजार बन चुका है। पड़ोसी चीन को पीछे धकेलते हुए देश ने यह मुकाम हासिल किया है। निवेश प्रबंधन व्यवसाय से जुड़ी कंपनी इन्वेस्को ग्लोबल सॉवरेन एसेट मैनेजमेंट स्टडी के अनुसार इसकी सबसे बड़ी वजह देश की राजनीतिक और आर्थिक स्थिरता है।
इस अध्ययन में विश्व के 57 केंद्रीय बैंकों और 85 सॉवरेन वेल्थ फंड से जुड़े 142 मुख्य निवेश अधिकारियों, एसेट क्लास के प्रमुखों और वरिष्ठ पोर्टफोलियो रणनीतिकारों से बातचीत करके उनके नजरिए और राय को शामिल किया गया है। खास बात है कि ये सभी उन 142 संस्थानों से जुड़े हैं, जो दुनियाभर में करीब 21 लाख करोड़ डॉलर यानी करीब 1,735 लाख करोड़ रुपये की परिसंपत्तियों का प्रबंधन कर रहे हैं। इनमें से एसडब्ल्यूएफ के लिए काम कर रहे 76 प्रतिशत निवेशकों ने बताया कि वे साल 2023 में यहां अपना निवेश बढ़ाना चाहेंगे। वहीं, चीन के लिए 51 प्रतिशत ने ही ऐसा कहा।
चीन से भारत की कहानी बेहतर
मध्य-पूर्व में काम कर रहे एक संस्थान के अधिकारी ने कहा, भारत और चीन में हमारा निवेश पहले से ही कम रहा है। लेकिन अब भारत की कहानी हमें बेहतर नजर आ रही है। यहां कारोबारी और राजनीतिक स्थायित्व है। साथ ही, बढ़ती आबादी, युवा नागरिक, बड़ी कंपनियों का उसकी ओर आकर्षण, कानूनी पहल, निवेशकों के लिए दोस्ताना माहौल जैसी विशेषज्ञताएं भी हैं, जो निवेशकों को चाहिए।
72 फीसदी ने माना निवेश बढ़ाने के लिए आकर्षक
अध्ययन में मौजूदा निवेश बढ़ाने के लिए 72 प्रतिशत निवेश प्रबंधकों ने भारत और कोरिया को सबसे ज्यादा आकर्षक बताया। केंद्रीय बैंकों से जुड़े इन प्रबंधकों ने कहा कि उन्हें यहां रियल एस्टेट और बुनियादी ढांचे में निवेश बढ़ाना फायदेमंद दिख रहा है। इस सूची में कुल 7 देश शामिल किए गए, जिनमें दक्षिण अफ्रीका को 64, इंडोनेशिया को 44, मैक्सिको को 32, ब्राजील को 28 और रूस को 12 प्रतिशत ने आकर्षक माना। करीब 85 प्रतिशत निवेश प्रबंधकों ने दावा किया है कि अगले 10 साल में महंगाई और बढ़ेगी। इसी वजह से वे उभरते बाजार वाले देशों में निवेश बढ़ाना ही सही मान रहे हैं।
विदेशी कॉरपोरेट निवेश बढ़ने का मिला फायदा
भारत, मैक्सिको और ब्राजील उन देशों में शामिल हैं, जिन्हें फ्रेंड-शोरिंग के लिए विदेशी कॉरपोरेट निवेश बढ़ने का फायदा मिल रहा है। फ्रेंड-शोरिंग राजनीतिक या आर्थिक अव्यवस्थाओं के दौरान सप्लाई चेन उन देशों में शिफ्ट करने के लिए की जाती है, जहां अव्यवस्था का जोखिम कम हो। आमतौर पर ऐसा कारोबार को तानाशाही भरी शासन व्यवस्था वाले देशों से मित्र देशों में ले जाने के लिए किया जाता है। इसे चीन से जोड़ कर देखा जा रहा है, जिसके साथ पश्चिमी देशों के ताल्लुकात बिगड़े हैं। अमेरिकी व यूरोपीय कंपनियां चीन के विकल्प तलाशने में जुटी हैं।
बढ़ती महंगाई-ब्याज दरों के बीच निवेश के अवसर
इन्वेस्को के एशियाई देशों में मुख्य कार्यकारी अधिकारी टेरी पेन ने कहा कि 2023 में एसडब्ल्यूएफ निवेशकों ने खुद को बढ़ती महंगाई व बढ़ती ब्याज दरों से बने नए माहौल में पाया है। पेन ने कहा, उभरते हुए बाजार सभी को निवेश के दिलचस्प अवसर देते हैं। निवेशक ऐसी अर्थव्यवस्थाओं पर ज्यादा ध्यान देते हैं, जहां उन्हें राजनीतिक स्थिरता, सकारात्मक कानून व अनुकूल जनसांख्यिकी नजर आ रही हो। भारत इसी वजह से उनकी प्राथमिकता बना है।
चिकित्सा-शिक्षा के क्षेत्र में ढेरों अवसर
पिछले 11 वर्ष यह अध्ययन जारी कर रहे इन्वेस्को के अनुसार, विकसित देशों में कड़ी प्रतियोगिता व कानूनों की वजह से स्वास्थ्य, शिक्षा, बुनियादी ढांचे में निवेश के अवसर कम हैं, लेकिन उभरते बाजारों में स्थितियां अलग हैं। यहां बढ़ते स्वास्थ्य बीमा के आंकड़े ही निवेशकों को प्रेरित करने के लिए काफी हैं। यह बताता है कि चिकित्सा क्षेत्र में नया और अधिक निवेश चाहिए। शिक्षा में भी तकनीक का उपयोग बढ़ने से सकारात्मक माहौल बना है। भारत, ब्राजील, मैक्सिको, उत्तरी अफ्रीका, मध्य-पूर्व ऐसे ही अवसर दे रहे हैं। लेकिन भारत को लेकर निवेशक सबसे ज्यादा सकारात्मक हैं। वह सभी मामलों में उभरते बाजार वालों देशों का नेतृत्व कर रहा है।