November 20, 2024

‘राहुल गाँधी ने किया है दंडनीय अपराध..’, दिल्ली हाई कोर्ट में बाल संरक्षण आयोग का हलफनामा, FIR दर्ज करने की मांग

नई दिल्ली: राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने गुरुवार को दिल्ली हाई कोर्ट को बताया कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा 2021 में बलात्कार और हत्या की शिकार नाबालिग दलित लड़की की “पहचान उजागर करना”, दुष्कर्म पीड़िता की पहचान की रक्षा करने के लिए बनाए गए कानून का उल्लंघन है। बाल अधिकार निकाय ने पीड़िता के माता-पिता के साथ एक तस्वीर प्रकाशित करने, जिससे पीड़िता की पहचान उजागर हो गई, के लिए राहुल गांधी के खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग वाली याचिका पर दायर एक हलफनामे में अदालत के समक्ष अपना पक्ष रखा।

NCPCR द्वारा जवाबी हलफनामे में कहा गया है कि, “राहुल गांधी ने नाबालिग पीड़ित लड़की के माता-पिता के साथ अपनी मुलाकात की एक तस्वीर अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर पोस्ट की, जिसमें नाबालिग लड़की की पहचान का खुलासा किया गया। राहुल गांधी का ट्वीट और पोस्ट किशोर न्याय अधिनियम 2015 के प्रावधानों का उल्लंघन है, जो यह स्पष्ट करता है कि पारिवारिक विवरण सहित कोई भी जानकारी मीडिया के किसी भी रूप में प्रकाशित नहीं की जानी चाहिए जिससे किसी भी नाबालिग पीड़ित की पहचान हो सके।” NCPCR ने कहा कि किशोर न्याय अधिनियम के अलावा, यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (POCSO) और भारतीय दंड संहिता (IPC) भी नाबालिग पीड़ित की पहचान का खुलासा करने को ‘दंडनीय अपराध’ बनाती है।

क्या है पूरा मामला:-

बता दें कि, मार्च में अदालत ने सामाजिक कार्यकर्ता मकरंद सुरेश म्हाडलेकर की याचिका पर NCPCR से जवाब मांगा था, जिसमें 2021 में बलात्कार और हत्या की नाबालिग दलित पीड़िता की उसके माता-पिता के साथ एक तस्वीर ट्विटर पर प्रकाशित करके कथित तौर पर  उसकी पहचान उजागर करने के लिए गांधी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई थी। 1 अगस्त, 2021 को एक नौ वर्षीय दलित लड़की की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी, उसके माता-पिता ने आरोप लगाया था कि दक्षिण पश्चिम दिल्ली के ओल्ड नंगल गांव में एक श्मशान के पुजारी द्वारा उसके साथ बलात्कार किया गया, हत्या की गई और उसका अंतिम संस्कार किया गया। इस मामले में राधेश्याम, सलीम, लक्ष्मीनारायण और कुलदीप को अरेस्ट किया गया था। 

वहीं, इस मामले पर माइक्रो ब्लॉगिंग वेबसाइट, ट्विटर ने पहले कहा था कि याचिका में “कुछ भी नहीं बचा” क्योंकि संबंधित ट्वीट को “जियो-ब्लॉक” कर दिया गया है और यह भारत में उपलब्ध नहीं है। ट्विटर के वकील ने यह भी बताया था कि शुरुआत में राहुल गांधी का पूरा अकाउंट सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म द्वारा निलंबित कर दिया गया था, लेकिन बाद में इसे बहाल कर दिया गया था। गुरुवार (27 जुलाई) को मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति संजीव नरूला की पीठ ने याचिका को 23 नवंबर को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया।

अपने हलफनामे में, NCPCR ने कहा कि कांग्रेस नेता द्वारा किए गए “गंभीर अपराध” के मद्देनज़र, उसने संबंधित पोस्ट को हटाने और उनके ट्विटर हैंडल के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई करने के लिए शिकायत को दिल्ली पुलिस और ट्विटर को भेज दिया था। हलफनामे में आगे कहा गया है कि, जबकि ट्वीट को भारत में रोक दिया गया था, लेकिन इसे हटाया नहीं गया है और यह देश के बाहर उपलब्ध है और इसलिए ट्विटर की निष्क्रियता, भारतीय कानूनों के उल्लंघन में पीड़ित की पहचान के प्रकटीकरण में योगदान दे रही है। NCPCR ने अदालत को बताया कि, शिकायत के जवाब में, दिल्ली पुलिस ने सूचित किया कि उसने मामले का संज्ञान लिया है, जिसकी जांच उसकी क्राइम ब्रांच द्वारा की जा रही है।

NCPCR ने तर्क दिया कि “केवल भारत में सोशल मीडिया पोस्ट को छिपाना पीड़ित की पहचान छिपाने के उद्देश्य से पर्याप्त नहीं है क्योंकि भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गारंटीकृत निजता के अधिकार और गरिमा के अधिकार का सही अर्थ और भावना अक्षरश: दी जानी चाहिए।” बाल अधिकार संस्था ने कहा कि, “अपराध की गंभीरता और विभिन्न मामलों में माननीय न्यायालयों के निर्देश को देखते हुए, भारत में उक्त पोस्ट को रोकने मात्र से सोशल मीडिया कंपनी – ट्विटर इंक की जवाबदेही कम नहीं होगी।”

संस्था ने कहा कि, “यहां यह उल्लेख करना उचित है कि उक्त पोस्ट को अभी भी एक्सेस किया जा सकता है और यह अभी भी दुनिया भर में सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध है और परिणामस्वरूप ट्विटर की निष्क्रियता पीड़ित की पहचान का खुलासा करने में योगदान करती है, जो भारतीय कानूनों का उल्लंघन है।” इसमें कहा गया है कि इसी तरह की पोस्ट को हटाने और राहुल गांधी के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई करने  के लिए एक अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इंस्टाग्राम को भी एक पत्र जारी किया गया था। इसमें कहा गया है कि विचाराधीन पोस्ट ट्विटर पर  कांग्रेस के आधिकारिक अकाउंट द्वारा भी पोस्ट किया गया था और इसे ट्विटर पर बड़े पैमाने पर री-ट्वीट और प्रसारित किया गया है, जो उन प्रावधानों का उल्लंघन करता है जो पीड़ित की पहचान के प्रकटीकरण पर रोक लगाते हैं।

इसमें कहा गया है कि पीड़िता के माता-पिता की तस्वीर के प्रसार को रोकने के लिए भी जरूरी कार्रवाई की जानी आवश्यक है। 5 अक्टूबर, 2021 को तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली पीठ ने उस याचिका पर ट्विटर को नोटिस जारी किया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि राहुल गांधी “दुर्भाग्यपूर्ण घटना से राजनीतिक लाभ लेने का प्रयास कर रहे थे”। अदालत ने उस स्तर पर जनहित याचिका (PIL) पर अन्य उत्तरदाताओं, यानी राहुल गांधी, दिल्ली पुलिस और NCPCR को नोटिस जारी करने से इनकार कर दिया था। याचिका में NCPCR द्वारा गांधी के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई शुरू करने की भी मांग की गई है।

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