November 23, 2024

अमित शाह ने लोकसभा में पेश किए 3 अहम बिल, सजा से अधिक ‘न्याय’ पर होगा जोर

नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आज शुक्रवार (11 अगस्त) को लोकसभा में भारतीय दंड संहिता (IPC), आपराधिक प्रक्रिया संहिताऔर भारतीय साक्ष्य अधिनियम-ब्रिटिश औपनिवेशिक युग के दौरान उत्पन्न कानूनों के विकल्प के रूप में तीन विधेयक पेश किए। अमित शाह ने कहा कि IPC की जगह लेने वाले नए विधेयक में राजद्रोह के अपराध के प्रावधान को पूरी तरह से रद्द कर दिया जाएगा। गृह मंत्री ने कहा कि, मैं सदन को आश्वस्त कर सकता हूं कि ये विधेयक हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली को बदल देंगे।उन्होंने सदन में बताया कि, भारतीय न्याय संहिता, 2023; भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक, 2023 को गहन जांच के लिए संसदीय पैनल के पास भेजा जाएगा। शाह ने कहा कि, “जो कानून प्रतिस्थापन के लिए निर्धारित किए गए हैं, उनका मूल उद्देश्य ब्रिटिश प्रशासन की रक्षा करना और उसे मजबूत करना था, जिसमें प्राथमिक फोकस न्याय प्रदान करने के बजाय सजा देना था। उनके प्रतिस्थापन के माध्यम से, कानूनों की नई पेश की गई तिकड़ी का उद्देश्य, भारत के नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा को प्राथमिकता देना है।” 

गृह मंत्री ने कहा कि, ‘1860 से 2023 तक देश की आपराधिक न्याय प्रणाली अंग्रेजों द्वारा बनाए गए कानूनों के अनुसार काम करती थी। इन तीन कानूनों के साथ देश में आपराधिक न्याय प्रणाली में एक बड़ा बदलाव आएगा। इस बिल के तहत हमने लक्ष्य रखा है कि सजा का अनुपात 90 प्रतिशत से ऊपर ले जाना है। इसीलिए हम एक महत्वपूर्ण प्रावधान लेकर आए हैं कि जो धाराएं 7 साल या उससे ज्यादा जेल की सजा का प्रावधान करती हैं, उन सभी के तहत मामले की फॉरेंसिक टीम का अपराध स्थल पर जाना अनिवार्य किया जाएगा।” गृह मंत्री ने कहा, “इरादा सजा से हटकर न्याय के प्रावधान पर केंद्रित होगा। आपराधिक गतिविधियों के खिलाफ भय की भावना को बढ़ावा देने के लिए सजा दी जाएगी।”

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