हरतालिका तीज पर्व
सुहागिन महिलाओं ने रखा 24 घंटे का निर्जला व्रत
पति की दीर्घायु तथा सौभाग्य की रक्षा के लिए की गई पूजा
घर-घर में बनाया गया फुलेरा, अगले दिन सुबह किया गया व्रत का पारण
छुईखदान – हरतालिका तीज पर्व होने के चलते नगर सहित क्षेत्र में सुहागिन महिलाओं द्वारा पति की दीर्घायु तथा सौभाग्य की रक्षा एवं मंगल कामना को लेकर हरतालिका तीज पर्व पर व्रत रखा गया. इसके एक दिन पूर्व करेला जिसको छत्तीसगढ़ में कहते हैं कडू भात, ग्रहण कर दूसरे दिन सुबह उठकर विधि विधान से व्रत रखा. 24 घंटे का निर्जला व्रत होने के चलते रात्रि जागरण के दौरान भगवान शिव तथा माता पार्वती की विधिवत पूजा- अर्चना की गई, इस दौरान घर-घर में फुलेरा का निर्माण कर पार्थिव शिव की स्थापना करने के साथ उनकी विधिवत पूजा अर्चना हुई. सामूहिक रूप से महिलाओं ने पूजा अर्चना कर अगले दिन 19 सितंबर को सुबह पूजा -अर्चना पश्चात वक्त का पारण किया |
भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाए जाने वाले हरतालिका पर्व होने के चलते नवगठित जिले खैरागढ़ -छुईखदान -गंडई,अंतर्गत हुई खदान में भी सुहागन महिलाओं ने पति की दीर्घायु तथा उसके मंगल कामना को लेकर एवं अपने सौभाग्य की रक्षा के लिए हरतालिका पर व्रत रखा. दिन में भगवान शिव परिवार की पूजा अर्चना की गई, तत्पश्चात रात्रि जागरण दौरान सामूहिक रूप से व्रत की कथा का आनंद लिया गया. रात्रि जागरण के दौरान धार्मिक कार्यक्रम में महिलाओं ने 24 घंटे का निर्जला व्रत होने के चलते महिलाओं ने काफी कठिन तपस्या की. रात्रि में ही भगवान शिव तथा माता पार्वती की विधिवत पूजा अर्चना की गई, सुबह के सत्र में उन्हें विधि विधान से पूजन किया और भगवान शिव तथा माता पार्वती की सर्वाधिक प्रिय व्यंजन और पकवान चढ़ाए गए, पूजा -अर्चना पश्चात सुबह के सत्र में व्रत का पारण किया गया,महिलाओं के लिए सबसे कठिन व्रत होने के कारण अधिकांश महिलाएं अपनी मायके में ही हरितालिका पर्व को मनाया. वैसे मायके में ही इस पर्व को मनाने की परंपरा है. इस दौरान सामूहिक रूप से महिलाओं ने पूजा अर्चना की, और पति की दीर्घायु तथा उनकी लंबी उम्र की कामना भी करती रही|