छत्तीसगढ़ के सबसे प्रसिद्ध मंदिर का रोचक इतिहास, जानें मान्यता
रायपुरः पूरे देश में नवरात्रि की धूम मची हुई है, देवी मां के भक्त बड़े ही हर्स उल्लास के साथ देवी की पूजा कर रहे हैं. वहीं छत्तीसगढ़ में भी कई ऐसे स्थान हां जहां पर दुर्गा माता अलग-अलग रूपों में विराजमान हैं. यहां पर माता के कई शक्तिपीठ बताए जाते हैं, जिसमें से एक दंतेवाड़ा जिले का एक सबसे प्रसिद्ध शक्तिपीठ माना जाता है. बताया जाता है कि यह शक्ति पीठ माता दंतेश्वरी को समर्पित है. आपको बता दें कि, इस मंदिर का निर्माण 14 वीं शताब्दी में हुआ था. कहा यह भी जाता है, कि दंतेवाड़ा जिला का नाम देवी दंतेश्वरी के नाम पर ही पड़ा था.
दंतेवाड़ा के शक्तिपीठ को लेकर ऐसी मान्यता है, कि यहां माता सती के दांत गिरे थे, इसी वजह से इस इलाके का नाम दंतेवाड़ा पड़ा, वहीं माता के स्वरूप को भी दंतेश्वरी माई के नाम से ही जाना जाता है. दंतेवाड़ा में स्थित पुरातात्विक अवशेष मंदिर का निर्माण 14वीं शताब्दी में चालुक्यवंश के राजाओं ने करवाया था. इस मंदिर की वास्तुकला में दक्षिण भारतीय शैली झलकती है. दंतेश्वरी देवी के प्रतिमा की खास बात यह है कि 6 भुजाओं वाली काले रंग की मूर्ति मंदिर के गर्भगृह में स्थापित है, 6 भुजाओं में देवी ने दाएं हाथ में शंख खडक, त्रिशूल और बाएं हाथ में घंटी, पद्ध और राक्षस का धढ़ लिया हुआ है. चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु मंदिर में देवी दर्शन के लिए आते हैं.