रमन सिंह के रहते ट्राइबल CM बनाने की क्यों हो रही बात? इन लोगों की हो रही है चर्चा
छत्तीसगढ़ के लिए बीजेपी ने मध्य प्रदेश और राजस्थान की तरह से सीएम पद के तौर पर किसी को पेश नहीं किया था. चुनावी प्रचार या उससे पहले भी जब मीडिया से जुड़े लोग बीजेपी के कद्दावर नेताओं से यह सवाल पूछते थे तो जवाब यही होता था कि हमारे यहां चेहरों की कमी नहीं है. अभी हमारा ध्यान भूपेश बघेल को सरकार से हटाना है. अब जब नतीजे सामने आ चुके हैं तो चर्चा का बाजार गर्म है कि मौका डॉ रमन सिंह को मिलेगा या किसी और को. अगर रमन सिंह के अलावा कोई और विकल्प है तो क्या वो आदिवासी समाज से जुड़ा कोई शख्स होगा.
अब आदिवासी समाज से जुड़े किसी शख्स की चर्चा क्यों हो रही है. इसके लिए आपको नतीजों पर ध्यान देना होगा. छत्तीसगढ़ के दो हिस्से उत्तर और दक्षिण यानी सरगुजा और बस्तर संभाग आदिवासी बहुल है. 2023 के नतीजों में बीजेपी ने इन दोनों संभागों में शानदार प्रदर्शन किया है. ये वही इलाके हैं जिनमें कांग्रेस ने 2018 के चुनाव में शानदार प्रदर्शन किया था और 15 साल पुरानी बीजेपी को रायपुर की गद्दी से हटा दिया. 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने आदिवासी बहुल 25 सीटों पर कब्जा किया था. लेकिन सरकार की कमान गैर आदिवासी के हाथ आई. इसे लेकर कांग्रेस के आदिवासी नेताओं और जनता दोनों में नाराजगी थी. ऐसे में क्या बीजेपी उससे सीख लेगी और आदिवासी समाज से जुड़े किसी शख्स को कमान सौंपेंगी. यह चर्चा के केंद्र में है. बता दें कि 2023 में सरगुजा में 14 एसटी सीट और बस्तर में आठ सीटों को बीजेपी जीतने में कामयाब रही है
अगर बीजेपी किसी आदिवासी को सीएम बनाने के बारे में सोचती है तो वो कौन नाम हैं जो सबसे आगे हैं. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक विष्णु देव साय(पूर्व केंद्रीय मंत्री ) सीएम कुर्सी की रेस में आगे हैं. बता दें कि विष्णु देव साय कुनकुरी(एसटी सीट) से चुनाव जीतने में कामयाब हुए हैं. सरगुजा इलाके में बीजेपी ने सभी 14 एसटी सीट पर जीत दर्ज की है और इस तरह से रेणुका सिंह सरपोटा की भी चर्चा है. भरतपुर- सोनहट सीट से इन्हें जीत मिली है. अगर पिछड़ा समाज की बात करें तो इस दफा बीजेपी ने साहू समाज से 11 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था. इस समाज से पार्टी के मौजूदा अध्यक्ष अरुण साव आते हैं और उनका भी दावा मजबूत है. अरुण साव भारी मतों से बिलासपुर के लोरमी विधानसभा से जीत दर्ज कर चुके हैं.