गोंडवाना समुदाय का रहा है स्वर्णिम इतिहास : सुशीला*
*धरमपुरा में गोंडवाना समाज समन्वय समिति का कार्यक्रम आयोजित*
गोंडवाना समाज समन्वय समिति जिला बस्तर का दो दिवसीय सामाजिक मिलन समारोह 6-7 जनवरी को गोंडवाना भवन धरमपुरा में संपन्न हुई। इस कार्यक्रम में समाज के बच्चों के लिए विभिन्न रचनात्मक प्रतियोगिता आयोजित किया गया। गोंडवाना समुदाय के विभूतियों पर निबंध लेखन, रंगोली, पेंटिंग एवं नृत्य प्रतियोगिता आयोजित की गयी। इन प्रतियोगिताओं के विजेताओं को सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि तिरुमाय सुशीला धुर्वे ने समाज को संबोधित करते हुए कही कि गोंडवाना समुदाय को अपनी विशाल प्राचीन गोंडवाना की भागोलिक देशज इतिहास को नहीं भूलना चाहिए। इस देश में 1700 साल गोंडवाना समाज को सशक्त बनाना जरूरी तिरुमल हेमलाल मरकाम ने अपने उद्बोधन में गोंडवाना समाज की रोटी बेटी और संस्कृति के बारे में उपस्थित सगजनों को बताते हुए समाज को सामाजिक राजनीतिक एवं आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए शिक्षा और संस्कृति पर ज्यादा जोर देकर कार्य करने की आवश्यकता बताइए।
आदिवासी समाज में *गोत्र व्यवस्था* कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहीं डॉक्टर किरण नूरेटी ने गोंडवाना समाज की सांस्कृतिक एवम धार्मिक अवधारणाओं पर बात रखते हुए बताया कि आदिवासी समाज में गोत्र व्यवस्था प्रकृति के जैव विविधता को बरकरार रखने के लिए कितना महत्वपूर्ण है। समाज में सामाजिक व्यवस्था के साथ ही साथ वंशानुगत बीमारियों से बचाव के लिए भी जरूरी है।मिलता है। परंतु कालांतर में विदेशी आक्रमण कारियों ने गोंडवाना राजाओं को षड्यंत्र के तहत हरा कर गोंडवाना को छीन लिया। आजादी के बाद भी हमारा गोंडवाना भाषा के अनुसार गोंडवाना प्रदेश नहीं बनाया गया। हमारी गोंडी भाषा को आज तक आठवीं अनुसूची में शामिल साम्राज्य का राज रहा है। भारत देश के सभी प्राचीन स्थलों पर गोंडवाना राज चिन्ह गज सोडूम का प्रमाण आज भी नहीं किया गया है।