May 5, 2024

100वीं जयंती से ठीक पहले जननायक कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न, मोदी सरकार का मास्टर स्ट्रोक

बिहार के दिग्गज नेता और दो बारे मुख्यमंत्री रहे कर्पूरी ठाकुर के लिए मोदी सरकार ने भारत रत्न का ऐलान किया है. कर्पूरी ठाकुर की जन्म जयंती से एक दिन पहले यह ऐलान केंद्र सरकार मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है. कर्पूरी ठाकुर भारत के एक प्रशिक्षित स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षक, राजनीतिज्ञ और बिहार राज्य के दूसरे उपमुख्यमंत्री और दो बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं. लोकप्रियता के कारण उन्हें जन-नायक कहा जाता था.

कर्पूरी ठाकुर बिहार के बहुत लोकप्रिय और ईमानदार नेता थे. वे गरीबों और पिछड़ों के उत्थान के लिए हमेशा तत्पर रहते थे. उनकी लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वे बिहार के दो बार मुख्यमंत्री बने और उन्हें कभी भी चुनाव हारना नहीं पड़ा. कर्पूरी ठाकुर ने भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया. इस आंदोलन के दौरान उन्हें 26 महीने जेल में रहना पड़ा. जेल से छूटने के बाद उन्होंने राजनीति में प्रवेश किया.

कर्पूरी ठाकुर की राजनीतिक यात्रा
कर्पूरी ठाकुर ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत कांग्रेस पार्टी से की. वे 1952 में पहली बार बिहार विधानसभा के सदस्य चुने गए. 1967 में वे बिहार के शिक्षा मंत्री बने. 1970 में वे बिहार के मुख्यमंत्री बने. उनके मुख्यमंत्री रहते हुए बिहार में कई महत्वपूर्ण सुधार हुए, जिनमें से एक था गरीबों और पिछड़ों के लिए आरक्षण का प्रावधान करना. 1977 में वे फिर से बिहार के मुख्यमंत्री बने. उनके दूसरे कार्यकाल में भी उन्होंने कई महत्वपूर्ण सुधार किए, जिनमें से एक था बिहार में खाद्यान्न का राशन प्रणाली लागू करना

भारत छोड़ो आन्दोलन से शुरू हुआ करियर
कर्पूरी ठाकुर का जन्म भारत में ब्रिटिश शासन काल के दौरान समस्तीपुर के एक गांव पितौंझिया, जिसे अब कर्पूरीग्राम कहा जाता है, में नाई जाति में हुआ था. जननायक जी के पिताजी का नाम श्री गोकुल ठाकुर तथा माता जी का नाम श्रीमती रामदुलारी देवी था. इनके पिता गांव के सीमांत किसान थे तथा अपने पारंपरिक पेशा नाई का काम करते थे. भारत छोड़ो आन्दोलन के समय उन्होंने २६ महीने जेल में बिताए थे. कर्पूरी ठाकुर का निधन 17 फरवरी, 1988 को पटना में हुआ था. उन्हें बिहार के इतिहास के सबसे लोकप्रिय और सफल नेताओं में से एक माना जाता है.

सरकार के इस ऐलान पर पीएम ने लिखा कि मुझे खुशी है कि भारत सरकार ने सामाजिक न्याय के प्रतीक महान जननायक कर्पूरी ठाकुर जी को भारत रत्न से सम्मानित करने का निर्णय लिया है और वह भी ऐसे समय में जब हम उनकी जन्मशती मना रहे हैं. यह प्रतिष्ठित सम्मान हाशिये पर पड़े लोगों के लिए समानता और सशक्तिकरण के समर्थक के रूप में उनके स्थायी प्रयासों का एक प्रमाण है. उन्होंने आगे लिखा कि दलितों के उत्थान के लिए उनकी अटूट प्रतिबद्धता और उनके दूरदर्शी नेतृत्व ने भारत के सामाजिक-राजनीतिक ताने-बाने पर एक अमिट छाप छोड़ी है. यह पुरस्कार न केवल उनके उल्लेखनीय योगदान का सम्मान करता है बल्कि हमें एक अधिक न्यायपूर्ण और न्यायसंगत समाज बनाने के उनके मिशन को जारी रखने के लिए भी प्रेरित करता है.

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