May 20, 2024

1295 किमी दूर थी रांची, कौन सा रूट पकड़ा? क्या दिल्ली से बाइक पर निकले थे CM सोरेन

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन यूं ही दिल्ली नहीं आए थे. गिरफ्तारी की आशंका के बीच 48 साल के नेता शुक्रवार को दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पहुंचे. एक प्राइवेट कंपनी के दूसरे चार्टर्ड प्लेन से उन्हें वापस जाना था. हालांकि अगले कुछ घंटों में दिल्ली में जो कुछ हुआ वह आपको किसी फिल्मी सीन की तरह लग सकता है. सीएम सोरेन को शायद पता चल गया था कि ईडी की टीम उन्हें गिरफ्तार कर सकती है, एयरपोर्ट पर इसकी तैयारी भी दिखी. ऐसे में सीएम ने करीब 1300 किमी की दूरी तय करने के लिए कार ही रांची की तरफ दौड़ा दी. ऐसे में यह समझना दिलचस्प है कि दिल्ली में उन 72 घंटों में क्या-क्या हुआ और सीएम सुरक्षा तामझाम के साथ या बिना उसके ही किस रूट से रांची चले गए कि केंद्रीय एजेंसी और यूपी पुलिस को भनक तक नहीं लगी.

प्लेन देखती रही ईडी और…

चार्टर्ड एयरक्राफ्ट शनिवार रात एयरपोर्ट पर ही खड़ा रहा. ऐसे में ईडी की एक टीम को एयरपोर्ट पर तैनात कर दिया गया. इधर, ED ने पूछताछ के लिए समय मांग लिया. सीएम ने रविवार को ईडी के रांची ऑफिस को सूचना दी कि वह 31 जनवरी यानी आज दोपहर में मिल सकते हैं. अगले ही दिन यानी सोमवार सुबह 7 बजे सोरेन के साउथ दिल्ली वाले घर पर ईडी की टीम ने छापा मारा तो वह नहीं मिले. टीम 13 घंटे वहीं डटी रही लेकिन सीएम का कोई पता नहीं चला.

अब पता चला है कि सीएम कानूनी सलाह लेने दिल्ली आए थे. सोमवार रात ईडी एयरपोर्ट पर टकटकी लगाए रही और सोरेन सड़क के रास्ते रांची के लिए कूच कर गए. ईडी ने दिल्ली पुलिस से भी संपर्क किया था लेकिन उसे भी पता नहीं था कि सीएम कहां हैं जबकि प्रोटोकॉल के तहत उसकी तरफ से सुरक्षा दी जाती है. मंगलवार तड़के जब वह रांची में दिखे तब पूरी कहानी समझ में आई. ऐसे में बहुत से लोगों को यह जानने में दिलचस्पी होगी कि सीएम अपने काफिले के साथ दिल्ली से रांची किस रूट से गए होंगे या फिर गुमनाम की तरह सामान्य कार से गए?

दुबे ने बताया रूट

भाजपा सांसद निशिकांत दुबे की मानें तो झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को दिल्ली से रांची के लिए निकालने में अरविंद केजरीवाल ने सहयोग किया. केजरीवाल का सहयोग वाराणसी तक था. वहां से रांची तक मंत्री मिथलेश ठाकुर ले गए. हालांकि लोग उनसे यह भी पूछने लगे कि इतने बड़े प्रदेश से सीएम सोरेन का काफिला गुजरा तो यूपी पुलिस को पता क्यों नहीं चला?

अंदरखाने कहा जा रहा है कि सीएम सोरेन ने कांग्रेस नेता और वकील अभिषेक मनु सिंघवी से दिल्ली में कानूनी सलाह ली थी. शायद उन्हें आगे के घटनाक्रम का अंदाजा हो गया था इसलिए उन्होंने रविवार शाम में ही प्रोटोकॉल छोड़ दिया था. उनके साथ आए डीएसपी भी रांची लौट गए. रांची के अधिकारियों को भी खबर नहीं थी कि सीएम कहां हैं? उनकी बीएमडब्ल्यू कार ईडी ने जब्त किया और चार्टर्ड प्लेन दिल्ली में ही रहा. सूत्रों के हवाले से बताया जा रहा है कि सीएम सोरेन बाइक पर दिल्ली वाले घर से निकले थे. उनका फोन भी कई घंटे बंद रहा.

झारखंड के सीएम को काफी समय से जेड प्लस की सुरक्षा मिली है. उनके काफिले में सबसे आगे पायलट कार चलती है जिसमें एक दरोगा या इंस्पेक्टर रैंक का अधिकारी और चार कमांडो चलते हैं. उसके पीछे एस्कॉर्ट गाड़ी होती है. उसमें भी इंस्पेक्टर और चार कमांडो होते हैं. उसके पीछे वीआईपी कार में एक डीएसपी रैंक के अधिकारी होते हैं. वीआईपी कार के पीछे दो एस्कॉर्ट गाड़ियां होती हैं. इसके अलावा एक कार एक्स्ट्रा में चलती है. साथ में एंबुलेंस भी होती है. सवाल यह है कि अगर इस तरह काफिला दिल्ली से वाराणसी या मुगलसराय के रूट पर गया था तो यूपी पुलिस को सूचना क्यों नहीं हुई?

2017 में गृह मंत्रालय ने सभी मुख्य सचिवों को एक निर्देश जारी किया था जो संबंधित मुख्यमंत्रियों के लिए था. इसमें कहा गया था कि सुरक्षा हित में मुख्यमंत्री किसी दूसरे राज्य का दौरा करने से पहले मेजबान राज्य को बताएंगे कि वह कहां और कब जा रहे हैं. सामान्य रूप से सभी सीएम को ‘जेड’ या ‘जेड-प्लस’ की सुरक्षा मिली है. ऐसे में तय नियम के अनुसार जब कोई मुख्यमंत्री दूसरे राज्य में जाता है तो मेजबान स्टेट का कर्तव्य है कि वह आने वाले मुख्यमंत्री को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करे.