बसंत पंचमी से मथुरा में शुरू होगी 40 दिन की होली, बांके बिहारी में उड़ेगा रंग-गुलाल
ब्रज की होली का इंतजार लोग कई महीने पहले से करने लगते हैं. ब्रज की होली देखने और उसमें हिस्सा लेने के लिए देश ही नहीं दुनिया भर से लोग आते हैं. भगवान कृष्ण की जन्मस्थली मथुरा में होली का उल्लास देखते ही बनता है. ब्रज की यह होली 40 दिन तक चलती है और इसकी शुरुआत बसंत पंचमी से होती है. हर साल बसंत पंचमी के दिन बांके बिहारी मंदिर में ठाकुर जी पर रंग-बिरंगी अबीर-गुलाल उड़ाकर ब्रज के 40 दिवसीय होली महोत्सव की शुरुआत होती है. इस साल 14 फरवरी को बसंत पंचमी है और इसी दिन से ब्रज की होली शुरू होगी.
बसंत पंचमी के दिन बांकेकिहारी मंदिर में ठाकुर बांके बिहारी का बासंती रंग से श्रृंगार किया जाएगा. उन्हें बासंती रंग (पीले रंग) के वस्त्र पहनाए जाएंगे. रंग-बिरंगे फूल और कीमती गहनों से सजाया जाएगा. इसके बाद बांके बिहारी को गुलाल अर्पित किया जाएगा. उन्हें पंच मेवा युक्त केसरिया मोहनभोग का विशेष भोग लगाया जाएगा. साथ ही बसंत ऋतु के अनुरूप अन्य फल, पकवानों का भोग लगाया जाएगा.
मंदिर में जोरों पर हैं तैयारियां
40 दिवसीय होली महोत्सव के लिए बांके बिहारी मंदिर को विशेष तौर पर सजाया जा रहा है. बसंत पंचमी पर बांकेबिहारी को सरसों के फूलों के गुथे हुए गुंजे (माला) धारण कराए जाएंगे. वहीं मंदिर परिसर को गेंदा, सरसों समेत कई प्रकार के रंग-बिरंगे फूलों से सजाया जाएगा. मंदिर में सुगंधित इत्रों का छिड़काव किया जाएगा. इसके अलावा बसंत पंचमी के दिन बांके बिहारी मंदिर के गर्भगृह से भक्त भी आरती के समय पर ठाकुर जी पर गुलाल की वर्षा कर सकेंगे.
बता दें कि ब्रज मंडल में होली का डांढा गढ़ने के साथ ही 40 दिनों तक चलने वाला फाग महोत्सव शुरू हो जाता है. इसके बाद 20 मार्च को रंगीली एकादशी से 24 मार्च को फाल्गुन पूर्णिमा तक विश्वप्रसिद्ध सरस रंगीली होली का आयोजन होगा. वहीं 25 मार्च को धुलैड़ी के दिन परंपरागत डोलोत्सव होगा. इसके बाद से मंदिर में बांके बिहारी जी के लिए ग्रीष्मकालीन सेवाएं शुरू हो जाएंगी.