कमाल के फायदे देगा ये FD प्लान……..
कमाल के फायदे देगा ये FD प्लान
अगर आप भी बैंक में फिक्स्ड डिपॉजिट करने का प्लान बना रही है … अगर हां, तो इस बार एफडी का पारंपरिक रूप न चुनकर, चुनें एफडी लैडरिंग. यह एफडी ही है लेकिन एफडी का तरीका अलग है. जैसा कि नाम से जाहिर है, यह एक से अधिक एफडी की सीढ़ी बनाने जैसा है.
क्या है फिक्स्ड डिपॉजिट का फंडा…
इसे अच्छी तरह समझने के लिए एफडी क्या है. हम इसे समझ लेते है एफडी यानी बैंक में किया जाने वाला आपका ऐसा निवेश है जिसमें कोई व्यक्ति किसी बैंक में एक निश्चित अवधि के लिए एकमुश्त राशि निवेश करता है.
अब एफडी में जो राशि जमा करती हैं आप, उस पर एक निश्चित दर से ब्याज मिलता है जो खाता खोलने के समय ही यह तय कर लिया जाता है. एफडी करवाते समय आप अपनी पसंद के अनुसार मंथली बेस पर, क्वॉटरली यानी त्रैमासिक, या फिर सेमी एनुअली यानी अर्धवार्षिक, या सालाना रूप से अर्जित ब्याज का विकल्प चुन सकती हैं.
एफडी खाता का नियम है कि पूर्व निर्धारित अवधि के लिए एक फिक्स्ड राशि जमा करनी होती है. जमा की गई राशि को जमा की परिपक्वता (मच्यौरिटी) तक नहीं निकाला जाना चाहिए. निवेशक की पसंद के आधार पर निवेश की अवधि 7 दिन से लेकर 10 साल तक हो सकती है,
यह आप खुद तय करती हैं. सेफ निवेश का यह लोकप्रिय विकल्प है क्योंकि बैंक एफडी सुरक्षित हैं और जरूरत पड़ने पर इन्हें आसानी से खत्म किया जा सकता है, और पैसा आपके हाथों में इस्तेमाल के लिए आ जाएगा.
बैंक एफडी लैडरिंग एक ऐसी तकनीक है जिसमें अलग-अलग टाइम पीरियड में मच्योर होने वाली कई एफडी खरीद जाती हैं. इस टैक्नीक में आप जितने पैसे को जमा करना चाहती हैं, उसको तीन या चार हिस्सों में बांटकर निवेश करती हैं.
और, अलग अलग टाइम पीरियड के लिए अलग-अलग अमाउंट जमा करती हैं. लैडरिंग डिपॉजिट के चलते आपको समय से पहले निकासी से होने वाला नुकसान कम होगा.
और, आपको यदि एक खास रकम की जरूरत है तो एकसाथ सारा पैसा (FD) नहीं तुड़वाना होगा. आप अपनी जमा राशि को हर एक वर्ष या यहां तक कि हर 6 महीने या 4 महीने में लिक्वेडेट कर पाएंगी. क्योंकि आपने अपनी सारी सेविंग एक साथ एक ही बॉक्स (एफडी) में नहीं रखी है तो बाकी बची एफडी नियमित रूप से चलती रहेंगी.
एफडी लैडरिंग के साथ आपकी एक एफडी हर साल परिपक्व होगी. जबकि इसके बिना आपका सारा का सारा पैसा कई वर्षों तक लॉक रहेगा. बेशक, एफडी तोड़ी जा सकती है लेकिन फिर आपको जुर्माना भी देना होगा.
जरूरत को ध्यान में रखकर बात करें तो हो सकता है आपको प्रीमेच्योर तुड़वाने की जरूरत न पड़े. क्योंकि एक एफडी से पैसा कुछ ही समय (या महीनों में) मिलने वाला है. दूसरा, प्रीमेच्योर तुड़वाना भी पड़ा तो पैनल्टी भी अपेक्षाकृत कम महसूस होगी.
अच्छा तो यह होगा कि ये एफडी अलग अलग बैंकों में जमा करवाएं. इससे एक ही बैंक में सारा पैसा रखने से जुड़े जोखिम कम होंगे और ये ज्यादा सेफ रहेंगी. साथ ही, अलग अलग ब्याज दरों पर पैसा लॉक करवाएंगे तो रिटर्न भी सामनन्य एफडी के अपेक्षाकृत अधिक मिलेगा.