छत्तीसगढ़ के कई विश्वविद्यालयों ने वैकेंसी निकालकर फीस वसूली, नतीजों का पता नहीं
रायपुर। छत्तीसगढ़ के कई राजकीय विश्वविद्यालयों ने पिछली भाजपा सरकार के दौरान विज्ञापन निकालकर बेरोजगारों से फीस वसूली । कुछ विश्वविद्यालयों ने कई पदों के लिए परीक्षा भी ले ली, लेकिन अब इनके नतीजों का पता ही नहीं चल रहा है।हजारों बेरोजगार इंतजार कर रहे हैं कि उनके आवेदनों पर विचार होगा और भर्ती की प्रक्रिया होगी, पर अभी तक इन मामलों को लेकर विश्वविद्यालयों में कोई तैयारी नहीं दिख रही है। विश्वविद्यालयों को कहा गया है कि पिछले सालों में भर्ती के लिए ली गई अनुमति की तारीख खत्म हो चुकी है। अब नए सिरे से वित्त विभाग से अनुमति लेनी पड़ेगी। ऐसे में मोटी फीस देकर आवेदन करने और परीक्षा की तैयारी करने वाले युवाओं के लिए नौकरी का रास्ता फिलहाल आसान नहीं दिख रहा है। रविवि ने भी दो साल पहले प्राध्यापकों की नियुक्ति के लिए अभ्यर्थियों से आवेदन मंगाए थे। वित्त विभाग ने विवि में शैक्षणिक और गैर शैक्षणिक के 78 पदों को भरने की अनुमति दो साल पहले ही दे दी थी। इस प्रक्रिया में 41 पदों को भर लिया गया है। बचे 37 पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया रोक दी गई थी। यह भी आरक्षण के विवादों के कारण अधर में लटक गया था। इसमें भी अभ्यर्थियों की फीस नहीं लौटाई गई। कामधेनु विवि ने विभिन्न् पदों पर भर्ती के लिए तीन साल पहले आवेदन की प्रक्रिया हुई थी। कंप्यूटर ऑपरेटर, तकनीशियन, स्टेनो आदि के करीब 20 पद थे। इनके लिए आवेदन लिए गए थे। इसके लिए करीब 1200 युवाओं ने आवेदन भी किया था। पिछले साल अगस्त 2018 में अभ्यर्थियों ने परीक्षा भी दी थी और 2016 में विज्ञापन हुआ था। मामले में विवि प्रबंधन अब राज्य सरकार से अनुमति मिलने की बात कह रहा है। न ही अभ्यर्थियों को नौकरी मिल रही है और न ही उनकी फीस लौटाई जा रही है। एक साल पहले सरगुजा विवि ने भी सैकड़ों पद के लिए आवेदन मंगाए थे। इनमें प्राध्यापक से लेकर क्लर्क तक के पद शामिल हैं। इन पदों पर भर्ती के लिए प्रति अभ्यर्थी से 300 स्र्पये तक फीस ली गई है। आवेदन लेने के बाद विवि ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की । अब यह भी मामला अधर में लटकता नजर आ रह है। इसी तरह कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विवि समेत पंडित सुंदरलाल शर्मा ओपन विवि में भी पदों के लिए आवेदन लेने के बाद भर्ती रोक दी गई है।