May 17, 2024

महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर स्कंदाश्रम में 5 मार्च से 9 मार्च तक महारूद्रम का होने जा रहा है आयेाजन

तमिलनाडू से आने वाले 11 वेदाचार्यों द्वारा कराया जायेगा अनुष्ठान
भिलाई। महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर स्कंदाश्रम परिवार द्वारा आगामी 5 मार्च से 9 मार्च तक निरंतर पन्द्रहवें वर्ष महारूद्रम कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। यह मारूद्रम भिलाई नगरवासियों के लिए दुर्लभ है। यह महारूद्रम परमेश्वर परब्रम्ह अराधना की विशेष पद्धति है। यह भव्य कार्यक्रम श्री व्ही भाग्यराज शास्त्रिगल तमिलनाडू एवं उनके सहयोगी वेदाचार्यो द्वारा सम्पन्न होगा।
उक्त बातें एक पत्रकार वार्ता में स्कंद आश्रम के छोटे गुरूजी एम आर के रेड्डी एवं सम्मुख सेवा समिति के सेवक सुरेन्द्र सिंह केम्बों ने संयुक्त रूप से दी।
ओमकार इस ब्रम्हाण्ड की विशेष ध्वनि है। नाद भी एक ध्वनि है। भगवान शिव पंचाक्षरी मंत्र में स्वयं विद्यमान है। पंचाक्षरी मंत्र रूद्रम में निहित है। रूद्रम 179 महामन्त्रों का समूह है, जिसमें से एक मंत्री महामृत्युंजय मंत्र है। चमकम भगवान शिव को अर्पण की जाने वाली एक विशेष प्रार्थना है, जो कि हमारी 326 इच्छाओं की पूर्ति करती है। चमकम का जाप हर एक रूद्रम के बाद किया जाता है। इस महारूद्रम में 11 वेदाचार्यों द्वारा 1 बार रूद्रम और चमकम का 11 बार जाप, एकादशी रूद्राभिषेक 11 वेदाचार्यों द्वारा 11 बार रूद्रम और चमकम का जाप 121 बार, महारूद्रम 11 वेदाचार्यों द्वारा 11 बार 11 काल में रूद्रम और चमकम का जाप 1331 बार और रूद्रम का जाप 11 बार ईश्वर के 1 स्वरूपों का ध्यान में रखकर किया जाता है।
उन्होंने आगे बताया कि इस आयोजन में भाग लेने वाले श्रद्धालुओं यदि सभी मंत्रों को ध्यानपूर्वक श्रवण करने पर पंचपाद पापों से निवृत्ति, दु:खों से निवृत्ति, असाध्य रोगों से मुक्ति, गृह दोष निवृत्ति कार्य सिद्धि मनोभय निवृत्त द्रव्य प्राप्ति का लाभ होगा। यह आयोजन महामृत्युंजय मंत्र को एक लाख बार जाप करने के बराबर है।
महाराज ने बताया कि जो भी भक्त महारूद्राभिषेक में संकल्प या भाग लेना चाहते है, वे अपना पंजीयन स्कंदाश्रम परिसर में संध्या 7 बजे से 10 बजे तक करा सकते है। वैसे पंजीयन आनलाईन भी प्रारंभ है। उन्होनेें एक प्रश्न का उत्तर देते हुए किया कि इस महारूद्रम के पूजा में पुरूष भक्तों के लिए धोती कुर्ता या पैंट लेकिन शरीर के उपरी भाग में गमछा रहेगा वहीं महिलाओं को सलवार शूट या साडी में आना अनिवार्य है। जीन्स व टॉप्स प्रतिबंधित है। बाहर से आने वाले अतिथियों को समिति द्वारा रूकने, खाने पीने व ठहरने की पूरी व्यवस्था की जाती है और रेलवे स्टेशन व एयरपोर्ट से उनको लाने के लिए हमारी समिति के सेवक अपना वाहन लेकर जाते है।
इस अवसर पूज्य गुरूजी शिवमणि जी की पुत्री शिवा रंजनी, वाई व्ही एस शर्मा, वाई एस सुब्बाराव, नीरज पाण्डेय, श्रीनिवास रेड्डी, जे अम्बिका, कमलेश सहित सम्मुख सेवा समिति के सभी पदाधिकारी व सदस्य उपस्थित थे।
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