November 24, 2024

फर्जी ख़बरों को रोकने के लिए सरकार ने बनाई फैक्ट चेक यूनिट, सुप्रीम कोर्ट ने लगा दी रोक, जानिए क्या कहा ?

नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार की फैक्ट चेक यूनिट (FCU) की नोटिफिकेशन पर रोक लगा दी है. एक दिन पहले ही मोदी सरकार ने फैक्ट चेक यूनिट की अधिसूचना जारी की थी. दरअसल, केन्द्र सरकार ने इंटरनेट मीडिया (ऑनलाइन मीडिया) पर फर्जी खबरों की पहचान करने और उनके प्रसार को रोकने के लिए फैक्ट चेकिंग यूनिट (FCU) स्थापित की थी ।

IT नियम में किए गए संशोधन के अनुसार, यदि FCU केंद्र सरकार से संबंधित किसी जानकारी को फर्जी पाता है, तो उस जानकारी को सोशल मीडिया प्लेटफार्म को हटाना होगा. अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है. इस मामले पर बॉम्बे उच्च न्यायालय की खंडपीठ में दोनों न्यायाधीश की राय अलग अलग थी. जिसके बाद याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. शीर्ष अदालत ने कहा था कि इस मामले में नागरिकों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से जुड़े बड़े संवैधानिक सवाल शामिल हैं, जिन पर विचार करना आवश्यक है. हालाँकि, इस पर एक सवाल ये भी उठ रहा है कि क्या फर्जी जानकारी फैलाना भी अभिव्यक्ति की आज़ादी है ? क्या उसे नहीं रोका जाना चाहिए ?

दरअसल, सरकार ने फैक्ट चेक यूनिट (FCU) को सूचना प्रौद्योगिकी नियम 2021 के तहत नोटिफाई किया गया था. मगर आज गुरुवार (21 मार्च) को मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी वाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली पीठ ने बॉम्बे ही कोर्ट के 11 मार्च के आदेश को निरस्त कर दिया. हालाँकि, बॉम्बे हाई कोर्ट ने FCU की स्थापना पर अंतरिम रोक लगाने से मना कर दिया था. दरअसल, FCU को भारत सरकार से जुड़ी सभी फर्जी खबरों या गलत सूचनाओं से निपटने या अलर्ट करने के लिए नोडल एजेंसी की तरह तैयार किया गया है. FCU के खिलाफ याचिका याचिका स्टैंड-अप कॉमेडियन कुणाल कामरा और एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने दाखिल की थी.

मजे की बात तो ये है कि, एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (EGI) भारत में स्थित पत्रकारों, विशेषकर संपादकों का एक गैर-लाभकारी संगठन (NPO) है। संगठन ने “प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा करने और समाचार पत्रों और पत्रिकाओं के संपादकीय नेतृत्व के मानकों को बढ़ाने के उद्देश्यों” की घोषणा की है। लेकिन यही संगठन फर्जी ख़बरों को रोकने के लिए स्थापित किए गए FCU का विरोध करने सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था। अब इसके पीछे EGI का उद्देश्य क्या था ? ये स्पष्ट नहीं हो पाया है।