फिर एक बार सार्थक हुई एचएमएस यूनियन की पहल से फैक्ट्री में करंट से मृत छात्र के परिजनों को मिला 5 लाख का मुआवजा
श्रमिक नेता एच. एस. मिश्रा ने कहा फैक्ट्रियों में हो नियम का पालन
भिलाई । श्रमिक यूनियन हिंद मजदूर सभा (एचएमएस) की पहल फिर एक बार सार्थक हुई है। इस बार फैक्ट्री में काम के दौरान करंट लगने से मृत छात्र के परिजनों को यूनियन की पहल पर जिला व पुलिस प्रशासन की मौजूदगी में फैक्ट्री संचालक से 5 लाख रुपए का मुआवजा मिला है। इस दौरान एचएमएस यूनियन के छत्तीसगढ़ राज्य कार्यवाहक अध्यक्ष एच. एस. मिश्रा ने फैक्ट्रियों में नियम कानून के पालन सुनिश्चित करने पर जोर दिया है।
उल्लेखनीय है कि औद्योगिक क्षेत्र भिलाई स्थित साउथ इंडिया इंडस्ट्रीज में 13 अप्रैल की दोपहर को पार्ट टाइम जॉब करने वाले एक कॉलेज के छात्र लक्ष्मण नगर निवासी विकास (19 वर्ष) की करंट लगने से मौत हो गई। करंट लगने के बाद छात्र को आनन फानन में अस्पताल पहुंचाया गया लेकिन उससे पहले ही उसकी मौत हो गई। शव को मरच्यूरी में लाने के बाद परिजनों को इसकी जानकारी दी गई। घटना के अगले दिन परिजनों के साथ मृतक छात्र के मोहल्ले के लोग फैक्ट्री के बाहर पहुंचे। वहीं फैक्ट्री संचालक गेट में ताला लगाकर नदारद हो जाने से तनाव की स्थिति बन गई थी। इस बात की जानकारी देते हुए हिंद मजदूर सभा के प्रदेश कार्यवाहक अध्यक्ष एवं वरिष्ठ श्रमिक नेता एच. एस. मिश्रा को मौके पर बुलाया गया। जिस पर श्री मिश्रा यूनियन के पांच अन्य पदाधिकारियों के साथ पहुंचे।
जिला व पुलिस प्रशासन की मौजूदगी में श्रमिक नेता एच. एस. मिश्रा ने पीडि़त परिवार से बातचीत के बाद फैक्ट्री संचालक के समक्ष समझौते की रुपरेखा को सामने रखा। इस दौरान भाजपा नेता मनीष पाण्डेय और जेपी यादव भी मौजूद थे। जिसके बाद फैक्ट्री संचालक ने मात्र 4 दिन ही फैक्ट्री में काम करने के बाद करंट लगने से मृत छात्र के अंतिम क्रिया कर्म के लिए तत्काल 50 हजार रुपए नकद और साढ़े 4 लाख रुपए का चेक पीडि़त परिवार को मुआवजा स्वरुप सौंपा। इस दौरान तहसीलदार ने दुर्घटना बीमा तथा श्रम विभाग के प्रावधान के तहत और भी सहायता राशि दिलाने का आश्वासन पीडि़त परिवार को दिया है। यह सहायता राशि 2 से 12 लाख रुपए तक रहने की संभावना है।
इस अवसर पर एच. एस. मिश्रा ने औद्योगिक क्षेत्र में कुछ फैक्ट्री संचालकों के द्वारा नियम कानून का पालन नहीं करने की ओर मौके पर मौजूद जिला व पुलिस प्रशासन के अधिकारियों का ध्यानाकर्षण कराया। उन्होंने बताया कि लगभग 20 प्रतिशत फैक्ट्रियों में ही नियमों का पालन किया जा रहा है, बाकी के लगभग 80 प्रतिशत फैक्ट्री मालिक नियम कानून की धज्जियां उड़ा रहे हैं। बहुत से फैक्ट्रियों के बाहर कंपनी का नाम और वेतन तालिका नहीं लगाया गया है। जबकि श्रम कानून के तहत फैक्ट्री के बाहर उसका नाम, प्लाट नं , पता और वेतन तालिका लिखा होना चाहिए। फैक्ट्री संचालकों की इस लापरवाही पर शासन प्रशासन को गंभीरता से जांच कर कार्रवाई करने की जरूरत है।