आज सरकार बनाने का दावा पेश कर सकता है NDA
भाजपा ने हिंदी बेल्ट में ही 71 सीटें गंवाईं, यूपी में 32 घटीं लेकिन पश्चिम-दक्षिण साधा
- उत्तरप्रदेश: 80 में से 41 सीटें सपा और कांग्रेस ने जीतीं। 80 सीटों में से 36 सपा, 30 भाजपा, 5 कांग्रेस, 2 रालोद और 1 अपना दल को मिली। भाजपा की 32 सीटें घटीं, सपा की 31 बढ़ीं। इसके पीछे की वजह रही कि BJP का राम मंदिर का नैरेटिव फेल हो गया। भाजपा फैजाबाद सीट ही 50 हजार से ज्यादा वोटों से हारी। BJP ने यहां के 7 सांसदों को इस बार टिकट नहीं दिया। इसका नुकसान भी हुआ। जबकि बसपा का 80-90% वोट इंडी अलायंस की पार्टियों को गया।
- राजस्थान: 25 में से 14 भाजपा को, 8 कांग्रेस ने छीनीं। रालोपा एक सीट पर जीती। 2019 में भाजपा ने यहां 24 सीटें जीती थीं। 1 सीट रालोपा के पास थी। इस बार जातीय समीकरण ने भाजपा का गणित बिगाड़ दिया। आरक्षण को लेकर एससी-एसटी में नाराजगी का असर वोटों पर हुआ। जाट-राजपूतों का गुस्सा और गुर्जर-मीणा का एक होना भी X फैक्टर रहा। भाजपा का वोट शेयर 60% से घटकर 49% पर आ गया।
- हरियाणा: भाजपा 10 में से 5 ही सीटें बचा पाई। उसकी 5 सीटें छिन गईं। भाजपा और कांग्रेस को 5-5 सीटें मिलीं। 2019 में भाजपा ने यहां 10 सीटें जीती थीं। इसकी सबसे बड़ी वजह किसान आंदोलन, एंटी इन्कम्बेंसी और पहलवानों के विद्रोह का असर रहा। यही कारण था कि भाजपा को अपनी आधी सीटें गंवानी पड़ीं।
- बिहार: जदयू के साथ से भाजपा बड़े झटके से बच गई। इंडिया का वोट शेयर 9% तक बढ़ गया। सीटें 7 हासिल कीं। कुल 40 सीटों में से 12 जदयू, 12 भाजपा, 5 लोजपा, 4 राजद, 3 कांग्रेस, 2 सीपीआई (एमएल), 1-1 हम व निर्दलीय को मिलीं। 2019 में भाजपा 17, जदयू 16, लोजपा 6 और एक कांग्रेस ने जीती थी। इस बार यहां एनडीए का वोट शेयर 2% घट गया। चुनाव से पहले जदयू को साथ लाकर भाजपा बड़े नुकसान से बच गई।