October 6, 2024

राहुल की तरह प्रियंका का भी रास्ता रोकेंगी स्मृति ईरानी, 25 साल पहले भी BJP कर चुकी ऐसा

लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों के बाद राहुल गांधी काफी खुश हैं. वजह साफ है इस बार उनके दम पर कांग्रेस ने बेहतरीन प्रदर्शन किया है. हलांकि पार्टी ज्यादा सीटों पर तो जीत दर्ज कर सरकार नहीं बना पाई, लेकिन इस बार विपक्ष का दर्जा हासिल करने में कांग्रेस को दिक्कत नहीं आएगी. बीते चुनाव के मुकाबले लगभग दोगुनी सीट जीतने की वजह से राहुल गांधी का हौसला बुलंद है. इसके साथ ही उनके हौसले के बुलंद होने की एक औऱ वजह है और वह है दो संसदीय क्षेत्रों से जीतना. राहुल गांधी ने केरल के वायनाड के साथ-साथ उत्तर प्रदेश के रायबरेली से भी जीत दर्ज की. हालांकि उन्होंने वायनाड सीट से अपनी दावेदारी छोड़ दी, क्योंकि एक जगह से ही वह सांसद रह सकते हैं, लिहाजा उन्होंने गांधी परिवार की पारंपरिक सीट को पकड़ा और वायनाड को छोड़ दिया. अब यहां से उनकी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा लड़ेंगी.

प्रियंका गांधी वाड्रा के वायनाड से उपचुनाव में लड़ने के ऐलान के बाद से ही सियासी माहौल गर्माया हुआ है. दरअसल इसके बाद यह कयास लगाए जा रहे हैं कि भारतीय जनता पार्टी यहां से एक बार फिर स्मृति ईरानी को मौका दे सकती है. ऐसा हुआ और स्मृति ईरानी जीत गईं, तो राहुल गांधी की तरह उनकी बहन की राह में भी स्मृति बड़ी मुश्किल खड़ी कर सकती हैं. हालांकि इससे ज्यादा बड़ी और रणनीति भी है बीजेपी की जो वह 25 वर्ष पहले अपना चुकी है. आइए जानते हैं क्या है पूरा कनेक्शन.

25 साल, बीजेपी और गांधी फैमिली का कनेक्शन
दरअसल 25 साल पहले हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने कुछ ऐसा ही किया था. वक्त था 1999 के चुनाव का. इस दौरान सोनिया गांधी अपना लोकसभा चुनाव लड़ने जा रही थीं. उन्होंने बेल्लारी से अपनी दावेदारी प्रस्तुत की. लेकिन उन्हें टक्कर देने के लिए बीजेपी ने अपनी तेज तर्रार नेता सुषमा स्वराज को मैदान में उतार दिया. सुषमा स्वराज ने उस दौरान सोनिया गांधी को कड़ी चुनौती दी.

इस चुनाव में हालांकि सोनिया गांधी ने जीत दर्ज की, लेकिन सुषमा स्वराज को उतारकर बीजेपी ने महिला ब्रिगेड वाली रणनीति पर काम किया और काफी हद तक सफल रही थी. उस चुनाव में सोनिया गांधी ने अमेठी और बेल्लारी दोनों सीटों पर चुनाव लड़ा था. बेल्लारी में सोनिया गांधी का मुकाबला सुषमा स्वराज से हुआ. सुषमा स्वराज के सामने सोनिया गांधी कुल 4 लाख 14 हजार वोट मिले, जबकि सुषमा स्वराज को साढ़े तीन लाख वोट मिले. इस चुनाव में सोनिया गांधी ने 56 हजार वोटों से जीत दर्ज की.