November 24, 2024

अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के मुख्य पुजारी आचार्य लक्ष्मीकांत दीक्षित का निधन

अयोध्या में श्रीरामजन्मभूमि पर बने भव्य राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह का नेतृत्व करने वाले मुख्य पुजारी आचार्य लक्ष्मीकांत दीक्षित का 86 साल की उम्र में निधन हो गया. वाराणसी में शनिवार सुबह 6 बजकर 45 मिनट पर उन्होंने आखिरी सांस ली. उनके परिवार के सदस्यों ने बताया कि आचार्य दीक्षित पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे. उनका अंतिम संस्कार वाराणसी में मणिकर्णिका घाट पर किया जाएगा.

वाराणसी के वरिष्ठ विद्वानों में से एक के रूप में पहचाने जाने वाले आचार्य लक्ष्मीकांत दीक्षित मूल रूप से महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के रहने वाले थे. हालांकि, उनका परिवार कई पीढ़ियों से वाराणसी में ही रहता है. उनके पूर्वजों ने नागपुर और नासिक रियासतों में भी धार्मिक अनुष्ठान कराए था. आचार्य लक्ष्मीकांत दीक्षित के पूर्वज पंडित गागा भट्ट ने 17वीं शताब्दी में छत्रपति शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक कराया था. आचार्य लक्ष्मीकांत दीक्षित पूजा पद्धति में सिद्धहस्त और वाराणसी के मीरघाट स्थित सांगवेद महाविद्यालय के वरिष्ठ आचार्य रहे थे. इस महाविद्यालय की स्थापना काशी नरेश की सहायता से की गई थी.

अपने चाचा गणेश दीक्षित से ली थी वेदों और अनुष्ठानों की दीक्षा

आचार्य लक्ष्मीकांत दीक्षित पूरे वाराणसी में वेदों के बहुत अच्छे जानकार माने जाते थे. यजुर्वेद के अच्छे विद्वानों में भी उनकी गिनती की जाती थी. हिंदू धर्म में किसी भी तरह की पूजा पद्धति के बहुत बड़े जानकार दीक्षित ने वेदों और अनुष्ठानों की दीक्षा अपने चाचा गणेश दीक्षित से ली थी.

आचार्य लक्ष्मीकांत दीक्षित ने 22 जनवरी, 2024 को अयोध्या मंदिर में भगवान रामलला की मूर्ति के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. आचार्य दीक्षित के दिशा-निर्देश और मंत्रोच्चार से मंदिर परिसर और गर्भगृह में रामलला की पूजा कराई गई थी. उस प्राण प्रतिष्ठा समारोह की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी.

आचार्य लक्ष्मीकांत दीक्षित के निधन पर पीएम मोदी ने माइक्रोब्लॉगिंग साइट एक्स पर पोस्ट में लिखा, ‘देश के मूर्धन्य विद्वान और साङ्गवेद विद्यालय के यजुर्वेदाध्यापक लक्ष्मीकांत दीक्षित जी के निधन का दुःखद समाचार मिला. दीक्षित जी काशी की विद्वत् परंपरा के यशपुरुष थे. काशी विश्वनाथ धाम और राम मंदिर के लोकार्पण पर्व पर मुझे उनका सान्निध्य मिला. उनका निधन समाज के लिए अपूरणीय क्षति है.

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आचार्य लक्ष्मीकांत दीक्षित के निधन पर दुख व्यक्त किया. उन्होंने एक्स पर पोस्ट में लिखा, “काशी के महान विद्वान और श्रीराम जन्मभूमि प्राण प्रतिष्ठा के मुख्य पुजारी आचार्य श्री लक्ष्मीकांत दीक्षित का निधन आध्यात्मिक और साहित्यिक जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है. संस्कृत भाषा और भारतीय संस्कृति के प्रति उनकी सेवा के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा. मैं प्रभु श्रीराम से प्रार्थना करता हूं कि दिवंगत आत्मा को अपने चरणों में स्थान दें और उनके शिष्यों एवं अनुयायियों को यह दुःख सहन करने की शक्ति प्रदान करें.”