October 5, 2024

क्या है Airtel की मिड-बैंड स्पेक्ट्रम री-फार्मिंग, भारत में बढ़ेगी 5G नेटवर्क कवरेज

Airtel 5G नेटवर्क के लिए बढ़ती ट्रैफिक डिमांड को पूरा करने के लिए अपने मौजूदा बैंड्स के जरिए-बैंड स्पेक्ट्रम को फिर से व्यवस्थित करने की घोषणा की. यह घोषणा सोमवार को किया गया. कंपनी के जरिए-बैंड स्पेक्ट्रम के चार बैंड्स को एयरटेल द्वारा प्रोवाइट किए जाने वाले 5G सर्विस के लिए नए तकनीकों को समर्थन देने के लिए फिर से उपयोग में लाया जाएगा. यह कदम कंपनी द्वारा, नोकिया के साथ मिलकर, भारत में 5G नॉन-स्टैंडअलोन (NSA) क्लाउड RAN ट्रायल के कुछ दिनों बाद आया है.

रणदीप सेखों ने दी जानकारी

भारती एयरटेल के मुख्य तकनीकी अधिकारी रणदीप सेखों ने कहा, “जैसे-जैसे ज़्यादा ग्राहक हमारी 5G सर्विस की ओर आकर्षित हो रहे हैं, हमने अपने मिड बैंड स्पेक्ट्रम को फिर से तैयार किया है जिसका इस्तेमाल 4G सेवाओं के लिए किया जा रहा था.”

एयरटेल का कहना है कि उसने रेवाड़ी, चेन्नई और भुवनेश्वर में स्टैंडअलोन (SA) और नॉन-स्टैंडअलोन (NSA) नेटवर्क स्विच के लिए सफलतापूर्वक पायलट का संचालन किया है. जबकि SA 5G नेटवर्क 4G नेटवर्क से स्वतंत्र रूप से काम करते हैं, NSA में मौजूदा 4G कवरेज पर 5G इंफ्रास्ट्रक्चर की तैनाती शामिल है.

Airtel 5G  नेटवर्क विस्तार

एयरटेल ने खुलासा करते हुए बताया कि री-फार्मिंग पहल में 1800, 2100 और 2300 मेगाहर्ट्ज बैंड पर 5G सर्विस का विस्तार शामिल किया गया है. बता दें कि इन बैंड का उपयोग पहले 4G नेटवर्क कवरेज के लिए किया जाता था. इस कदम के बाद, कंपनी यूजर्स को फास्ट ब्राउजिंग स्पीड और घर के अंदर बेहतर नेटवर्क कवरेज देने का वादा करती है, साथ ही डेटा की बढ़ती मांग को देखते हुए यह फैसला लिया गया है

क्या है री-फार्मिंग?

री-फार्मिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसका उपयोग मौजूदा नेटवर्क बैंड्स को नए तकनीकों को समर्थन देने के लिए दोबारा उपयोग करने के लिए किया जाता है. दूरसंचार कंपनियां यह पहचान सकती हैं कि कौन से नेटवर्क स्पेक्ट्रम कम उपयोग में हैं या बिल्कुल भी उपयोग नहीं हो रहे हैं और फिर उनके संक्रमण के लिए एक प्रक्रिया शुरू करती हैं. यूजर्स को इन बैंड्स पर स्विच किया जा सकता है, जबकि कंपनी डेटा स्पीड और दक्षता को सुधारने के लिए इसे लगातार ऑप्टिमाइज करती रहती है.