November 23, 2024

ऑनलाइन सर्च में Google की बादशाहत को लगेगा झटका? पढ़े पूरी खबर

अमेरिका की एक अदालत ने गूगल को ऑनलाइन सर्च बिजनेस में एकाधिकार के लिए अवैध तरीके अपनाने का दोषी पाया है. अदालत में यह साबित हो गया है कि गूगल ने ऑनलाइन सर्च और विज्ञापन संबंधी व्यापार में एकाधिकार के लिए मोबाइल कंपनियों और इंटरनेट ब्राउज़र बनाने वाली कंपनियों को अरबों रुपये का भुगतान किया.

अमेरिका के डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस ने साल 2020 में ऑनलाइन सर्च मार्केट में 90 फीसदी तक एकाधिकार के मामले में गूगल पर मुकदमा किया था. गूगल पर इस तरह के और भी मुकदमे हुए. हालांकि अभी यह साफ नहीं है कि गूगल और उसकी पैरेंट कंपनी अल्फाबेट को क्या सजा मिलेगी या क्या जुर्माना लगाया जाएगा.

डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस ने अदालत में गूगल के मामले में Structural Relief की मांग की है. जिसका मतलब है कि कंपनी को तोड़ना होगा. अमेरिका के डिस्ट्रिक्ट जज अमित मेहता अपने फैसले में कहा कि गूगल ने अरबों रुपये स्मार्टफोन और ब्राउजर्स बनाने वाली कंपनियों को दिये ताकि वो गूगल को डिफॉल्ट सर्च इंजन बना सकें.

खासतौर पर सबसे ज्यादा भुगतान आईफोन बनाने वाली कंपनी एपल को किया गया. साल 2021 में गूगल ने ऑनलाइन सर्च में एकाधिकार के लिए 26 बिलियन डॉलर का भुगतान किया.

इसको आप आसान भाषा में ऐसे समझ सकते हैं कि जब आप किसी इंटरनेट ब्राउज़र को खोलते हैं और कुछ सर्च करते हैं तो वो आमतौर पर गूगल सर्च में ही होता है. मोबाइल कंपनियां आपके सर्च को गूगल सर्च के अंदर दिखाएं इसके लिए गूगल ने उन्हें पैसे दिये हैं.

यानी गूगल ने पैसे देकर ऑनलाइन सर्च बिजनेस को प्रभावित किया है. अगर सर्च बिजनेस प्रभावित होगा तो उससे होने वाली कमाई भी प्रभावित होगी.

कोर्ट के फैसले मुताबिक गूगल की सबसे बड़ी कमाई सर्च आधारित विज्ञापन से ही होती है. गूगल ने पिछले साल 2023 में 307 बिलियन डॉलर की कमाई की, जिसमें से 175 बिलियन डॉलर सिर्फ सर्च आधारित विज्ञापन से आए. वहीं गूगल के प्रतिद्वंदी माइक्रोसॉफ्ट बिंग ने सिर्फ 12 बिलियन डॉलर कमाए.

कोर्ट के फैसले पर Google ने क्या कहा

गूगल की पैरेंट कंपनी अल्फाबेट ने अपने बयान में कहा है कि यह फैसला बताता है कि गूगल सबसे बढ़िया सर्च इंजन है लेकिन हमें इसे लोगों को आसानी से उपलब्ध कराने का अधिकार नहीं है. गूगल इस फैसले को बड़ी अदालत में चुनौती देगी.

वहीं अमेरिका के एटॉर्नी जनरल मिरिक गारलैंड ने कहा कि यह अमेरिकी लोगों की एतिहासिक जीत है. कोई भी कंपनी, चाहे वो कितनी ही बड़ी या प्रभावशाली क्यों न हो वो कानून से बड़ी नहीं है.

अमेरिकी फेडरल एंटी ट्रस्ट नियामक ने कई बड़ी कंपनियों पर बाजार में एकाधिकार के लिए गलत तरीके अपनाने के आरोप में मुकदमा किया है. इसमें फेसबुक की पैरेंट कंपनी मेटा, ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी अमेजन और आईफोन बनाने वाली कंपनी एपल शामिल हैं.

अमेरिका का एंटी ट्रस्ट लॉ क्या है

अमेरिका का एंटी ट्रस्ट लॉ बाजार में सभी को एक समान अवसर उपलब्ध कराता है. यह कंपनियों के एकाधिकार करने के गलत प्रयासों को रोकता है. जिससे उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा हो सके. अमेरिका में मुख्यत: तीन तरह के एंटी ट्रस्ट एक्ट हैं.

अमेरिका में गूगल पर क्या कार्रवाई हो सकती है

जुर्माना और दंड: यदि किसी कंपनी को प्रतिस्पर्धा-रोधी कानूनों का उल्लंघन करते हुए पाया जाता है और यह कोर्ट में साबित हो जाता है तो उस पर जुर्माना लगाया जा सकता है. गूगल के मामले में भी ऐसा हो सकता है.

कंपनी में संरचनात्मक परिवर्तन: अमेरिकीअधिकारी Google के व्यापार संरचना में परिवर्तन कर सकते हैं. जैसे कंपनी को तोड़ा जा सकता है या उसकी कुछ ईकाइयों का बंटवारा हो सकता है.

ऑनलाइन सर्च इंजन का बाजार कितना बड़ा?

ऑनलाइन सर्च का बाजार लगभग 200 बिलियन डॉलर का है. हालिया डेटा के मुताबिक गूगल ऑनलाइन सर्च में दुनिया का सबसे बड़ा प्लेयर है. ऑनलाइन सर्च में गूगल का मार्केट शेयर लगभग 91 फीसदी है. इसके बाद माइक्रोसॉफ्ट का Bing है जिसके पास करीब 3 फीसदी का मार्केट शेयर है.

Baidu जो कि चीनी सर्च इंजन है उसके पास चीन में तो अच्छा मार्केट शेयर है लेकिन वैश्विक स्तर पर उसके पास 1.5 से 2 फीसदी ही मार्केट शेयर है.

Yahoo एक समय दुनिया का सबसे बड़ी सर्च इंजन था लेकिन अब इसके पास सिर्फ 1-1.5 फीसदी ही मार्केट शेयर है.

Yandex रूस का बड़ा सर्च इंजन है लेकिन ग्लोबल मार्केट में इसका शेयर 1-1.5 फीसदी ही है.

अब आगे क्या होगा

कोर्ट के इस फैसले का असर दुनिया की दूसरी बड़ी टेक कंपनियों पर हो सकता है. आने वाले दिनों में हमें ऑनलाइन सर्च बाजार में दूसरे प्रतिद्वंदी दिख सकते हैं. या जो पहले से हैं उनका मार्केट शेयर बढ़ सकता है. वहीं ऑनलाइन शॉपिं

You may have missed