दिल्ली कोचिंग छात्रों की मौत केस CBI से पूछा- क्या MCD ने आरोपियों को कारण बताओ नोटिस भेजा था?
दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर में 27 जुलाई की रात राउ IAS कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में पानी भर जाने से 3 स्टूडेंट्स की मौत हो गई थी। इस केस में गिरफ्तार किए गए कोचिंग सेंटर के बेसमेंट के चार को-ओनर्स की जमानत याचिका पर सोमवार को राउज एवेन्यू कोर्ट में सुनवाई हुई।
इस दौरान राउज एवेन्यू कोर्ट ने CBI से पूछा कि क्या अगस्त 2023 में कोचिंग सेंटर्स के साथ आरोपियों को कारण बताओ नोटिस भेजा गया था। याचिका हरविंदर, परविंदर, तेजिंदर और सरबजीत नाम के चार लोगों ने दर्ज कराई है, जो बेसमेंट के ओनर्स हैं।
मुख्य जिला और सेशन जज अंजू बजाज चंद्रा ने सोमवार को सुनवाई में CBI को आदेश दिया है कि वे कारण बताओ नोटिस की टाइप
की गई कॉपी पेश करें। कोर्ट ने ये भी पूछा कि कारण बताओ नोटिस बेसमेंट के को-ओनर्स को दिया गया था या नहीं। मामले की आगे की सुनवाई आज यानी मंगलवार को होगी।
दिल्ली हाईकोर्ट ने कोचिंग सेंटरों के लिए दिशा-निर्देश की मांग वाली याचिका खारिज की
सोमवार को दिल्ली हाई कोर्ट में भी इस मामले से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई हुई। NGO कुटुंब ने मांग की थी कि कोचिंग सेंटरों के लिए नए दिशा-निर्देश तैयार किए जाएं। कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि नीति-निर्माण अदालत के अधिकार क्षेत्र से बाहर है।
इस याचिका के जरिए NGO ने कोचिंग सेंटरों और पेइंग गेस्ट आवास में अपराध की जबावदेही तय करने, धोखाधड़ी, शोषण और सुरक्षा जैसे मुद्दों पर कानून बनाने की मांग की थी। याचिका में कहा गया था कि छात्रों के लिए रहने की बेहतर परिस्थितियां होनी चाहिए, शिक्षा प्रणाली में व्यापक सुधार और शोषण को रोकने के लिए सख्त कानून बनाया जाना चाहिए।
राउज एवेन्यू कोर्ट रूम लाइव:
कोर्ट ने आरोपियों के वकील से पूछा: क्या आपने किराएदारों को बेसमेंट के अधिकार का सर्टिफिकेट दिया था?
आरोपियों के वकील अमित चड्ढा: यह कमर्शियल प्रॉपर्टी है। इसे कमर्शियल इस्तेमाल या कोचिंग इंस्टीट्यूट के तौर पर किराए पर दिया गया था। इसे लाइब्रेरी के तौर पर इस्तेमाल के लिए नहीं दिया गया था।
आरोपियों के वकील ने इमारत के फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट का भी जिक्र किया। यह सर्टिफिकेट 9 जुलाई 2024 को तीन साल के लिए जारी किया गया था।
कोर्ट: यह हादसा कैसे हुआ? हमें जानकारी दी गई है कि SUV ड्राइवर के तेज गाड़ी चलाने की वजह से पानी का प्रेशर बना, जिससे गेट टूट गया और पानी बेसमेंट में भर गया। क्या गेट इतना कमजोर था कि पानी की एक लहर से टूट गया? जिस शख्स ने गेट बनाया है उसके खिलाफ क्या एक्शन लिया गया है?
आरोपियों के वकील: दिल्ली पुलिस ने SUV ड्राइवर मनुज कथूरिया के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 105 के तहत केस हटा दिया है। पहले ड्राइवर को मुख्य आरोपी माना गया था, लेकिन उन्हें जमानत दे दी गई है। जांच एजेंसी कानून को अपने हाथ में ले रही है और निर्दोष लोगों को गिरफ्तार कर रही है। 26 जून को एक स्टूडेंट ने इसे लेकर शिकायत दर्ज कराई थी।
कोर्ट: अगर 26 जून को बेसमेंट को लेकर कोई शिकायत दर्ज कराई गई थी तो MCD ने इस पर क्या एक्शन लिया?
आरोपियों के वकील: हाईकोर्ट में जब मामले की सुनवाई हुई तो MCD कमिश्नर ने यह स्वीकार किया था कि राउ IAS के सामने बना नाला खराब था। इसे लेकर डिप्टी कमिश्नर ने इमारत के ठेकेदार को कारण बताओ नोटिस भेजा था।
डिप्टी कमिश्नर को पता था कि कुछ गलत है और अब भी वे इस बात की जानकारी रखते हैं। उन्हें जानकारी होते हुए भी उन्होंने घटना होने दी। यह एक ऑर्गेनाइज्ड क्राइम है। कमिश्नर को पता था कि नाला काम नहीं कर रहा है। अधिकारियों को भी यह बात पता थी, यहां तक कि अब तक की जांच में भी यह बात सामने आ चुकी है। क्या अब मैं खुद जाकर नाला साफ करूं।
इस पर CBI की तरफ से वकील ने कहा कि हमने बिल्डिंग के ओनर्स को भी नोटिस भेजा था।
कोर्ट: क्या नोटिस ओनर्स को सर्व किया गया था? इस नोटिस को 4 अगस्त 2023 को जारी किया गया था, यह जुलाई 2024 में ओनर्स को मिला। यह MCD की लापरवाही दिखाता है। हमें इसकी टाइप की गई कॉपी दीजिए। यह नोटिस बेहद जरूरी है।
आरोपियों के वकील: न तो 6 जून और न 4 अगस्त के बारे में मुझे जानकारी है। साफतौर पर यह भारतीय न्याय संहिता के सेक्शन 106 के तहत लापरवाही का मामला है। वकील ने भोपाल गैस त्रासदी और उपहार सिनेमा अग्निकांड में कोर्ट के फैसलों का जिक्र किया।
आरोपियों के वकील: क्या इनका केस यह है कि मैं 27 जुलाई को हुई भारी बारिश का इंतजार कर था और बारिश होते ही मैंने दरवाजा खोल दिया और गैर इरादतन हत्या का कारण बना? ये पहले ही बता दिया गया है कि वहां स्लाइडिंग गेट लगा था। हादसा स्लाइडिंग गेट के अचानक गिरने के चलते हुआ।
कोर्ट: स्लाइडिंग गेट किसने बनाया था? इतना कमजोर गेट किसने बनाया?
CBI: यह गेट पूरी इमारत के लिए था। इसके लिए ओनर जिम्मेदार है। यह MCD के मास्टर प्लान के भी खिलाफ था। FIR के मुताबिक बेसमेंट में लाइब्रेरी चल रही थी। ये लोग महीने का 4 लाख रुपया कमा रहे हैं, लेकिन तीन मौतों की इन्हें परवाह नहीं है।
सुनवाई के दौरान मृतक के वकील ने भी अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि क्या ओनर्स की कोई जवाबदेही नहीं है? क्या उन्हें हालात के बारे में नहीं पता था। सिर्फ 10 मिनट की बारिश में वहां पानी भर जाता है। बेसमेंट में पानी भरने के बाद बाहर निकलने का क्या रास्ता था? ओनर्स की जिम्मेदारी थी कि वे इतने बड़े बेसमेंट से बाहर निकलने का भी रास्ता देते। उन्होंने लाइब्रेरी बंद क्यों नहीं की? वे लगातार किराया ले रहे हैं। उन्होंने अब तक किराए की डील कैंसिल क्यों नहीं की है?
CBI: एक महीने पहले एक स्टूडेंट ने शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन उन्हें पता ही नहीं था। कुछ बच्चों को बचाया जा सकता था।