सेफी चेयरमेन बंछोर ने भारत सरकार के सभी केन्द्रीय एवं राज्य मंत्रियों से नगरनार स्टील प्लांट, आरआईएनएल एवं एफएसएनएल के रणनीतिक विलय की रखी मांग
स्टील एक्सीक्यूटिव फेडेरेशन आफ इंडिया (सेफी) के चेयरमेन श्री नरेन्द्र कुमार बंछोर ने अपने दिल्ली दौरे से लौटने के बाद यह जानकारी दी कि उन्होंने सेफी के बैनर तले सभी केन्द्रीय मंत्रियों से आग्रह किया है कि इस्पात क्षेत्र के राष्ट्र के तीन महत्वपूर्ण सार्वजनिक उपक्रमों क्रमशः नगरनार स्टील प्लांट, आरआईएनएल एवं एफएसएनएल को विनिवेश करने के बजाए उनका आपस में सेल के साथ रणनीतिक विलय किया जाए। श्री बंछोर ने बताया कि यह रणनीतिक विलय राष्ट्र हित में होने के साथ ही राष्ट्र के समग्र विकास में एक मील का पत्थर साबित होगा। इस संदर्भ में ज्ञात हो कि भारत सरकार द्वारा इस तरह के रणनीतिक विलय बैंको में किया गया जहां इसका बेहतर परिणाम प्राप्त हुआ है।
विदित हो कि भारत सरकार के इस्पात मंत्रालय के निर्देशानुसार सेल जैसे सार्वजनिक क्षेत्र के महारत्न कंपनी को सरकार के इस्पात नीति 2030 के तहत क्षमता विस्तार हेतु निर्देशित किया गया है। इसके तहत सेल को विस्तारीकरण का बड़ा लक्ष्य दिया गया है जिसके तहत एक बड़ी राशि प्रतिवर्ष निवेश करने की बाध्यता है। सेफी का मानना है कि भविष्य में इस मद में की जाने वाली निवेश की राशि से आरआईएनएल एवं नगरनार इस्पात संयंत्र तथा एफएसएनएल जैसी इकाईयों का रणनीतिक विलय कर जहां सेल के विस्तारीकरण के लक्ष्य को शीघ्र ही प्राप्त किया जा सकता है वहीं इन कंपनियों के कार्मिकों के हितों की रक्षा तथा क्षेत्र के सामाजिक दायित्वों का निवर्हन को भी प्राथमिकता देते हुए इसका बेहतर संचालन किया जा सकता है।
विदित हो कि भारत सरकार की नवीन इस्पात नीति 2030 के तहत इस्पात मंत्रालय के द्वारा सेल को क्षमता विस्तार हेतु निर्देशित किया गया है, इसके अंतर्गत सेल को वर्ष 2030 तक 35 डज् की क्षमता अर्जित करने का लक्ष्य दिया गया है। इस विस्तार हेतु सेल के द्वारा 1 लाख करोड़ रूपये की राशि का निवेश किया जाएगा। सेल के विस्तार के योजनाओं को ध्यान में रखते हुए इस्पात क्षेत्र के दो सार्वजनिक उपक्रमों नगरनार इस्पात संयंत्र एवं राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड को, जिनकी क्षमता क्रमशः 3 डज् एवं 7 डज् है एवं दोनों ही संयंत्रों का वर्तमान में विनिवेश प्रस्तावित है।
नगरनार इस्पात संयंत्र 3 डज् की क्षमता के साथ 24000 करोड़ की लागत से अत्यंत आधुनिक तकनीक के साथ बना इस्पात संयंत्र है जो कि कच्चे लौह अयस्क की खदानों से परिपूर्ण इकाई है। इसे चलाने के लिए मात्र 200 अधिकारी एवं 1000 कर्मचारी उपलब्ध है जो कि अपर्याप्त है। इन परिस्थितियों में इस संयंत्र की भी लाभार्जन क्षमता भारी रूप से प्रभावित हुई है। इसी प्रकार राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड 7 डज् की क्षमता के साथ कुशल तकनीकी विशेषज्ञों से परिपूर्ण इकाई है जो कि वर्तमान में कच्चे लौह अयस्क की कमी एवं ऊंची कीमतों से जूझ रहा है व वर्तमान में आरआईएनएल को आधी क्षमता पर संचालित करना ही मुश्किल हो रहा है।
सेफी सार्वजनिक उपक्रम सेल के द्वारा 1 लाख करोड़ के निवेश के साथ क्षमता विस्तार किए जाने तथा नगरनार इस्पात संयंत्र एवं राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड के विनिवेश जैसे विरोधाभाषी निर्णयों के स्थान पर सेल के विस्तारीकरण की योजना के अंतर्गत नगरनार इस्पात संयंत्र एवं राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड के रणनीतिक विलय की मांग करता है। इस रणनीतिक विलय से सेल की क्षमता विस्तार की योजना बिना किसी प्रतिक्षा अवधि के संपन्न किया जा सकेगा। साथ ही विनिवेश के लिए प्रस्तावित दोनों राष्ट्रीय धरोहरों को भी सुरक्षित किया जा सकेगा। जिससे इन इकाईयों से जुड़े परिवारों, समाजों को प्राप्त प्रत्यक्ष रोजगार तथा इससे सृजित अपरोक्ष रोजगार को सुरक्षित रखा जा सकेगा। सरकार का यह कदम जहां क्षेत्र के विकास को एक नई गति देगा वहीं बस्तर जैसे दुर्गम वनांचल क्षेत्र में सामाजिक, आर्थिक एवं अधोसंरचना विकास को नई दिशा देने में सफल हो सकेगी। इस तरह की रणनीतिक विलय से एक बड़े सार्वजनिक क्षेत्र का उदय होगा जो भारत सरकार के विकास की रणनीति को सफल बनाने में योगदान देगा।
सार्वजनिक क्षेत्र के इस्पात उपक्रमों के अधिकारियों का अपेक्स संगठन सेफी प्रारंभ से ही सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के अंधाधुंध नीजिकरण एवं विनिवेश के स्थान पर, पुर्नगठन तथा रणनीतिक समायोजन पर जोर देता रहा है। सेफी ने नई दिल्ली में दिनांक 04.04.2021 को आयोजित सेफी काउंसिल की बैठक में इस्पात क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों के रणनीतिक विलय हेतु संकल्प पारित किया था। जिससे सेफी से संबद्ध इस्पात मंत्रालय के अधीन उपक्रम आरआईएनएल, सेल, नगरनार इस्पात संयंत्र, एन.एम.डी.सी., मेकॉन आदि का रणनीतिक विलय कर इस्पात मंत्रालय के अंतर्गत एक मेगा स्टील पीएसयू का गठन किया जा सके। सेफी के संकल्प को आधार बनाकर 15.12.2021 को लोकसभा में इस्पात क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों के रणनीतिक विलय के विषय पर चर्चा की गई।
इस्पात क्षेत्र की सार्वजनिक उपक्रमों में पिछले 06 दशकों में देश के भिन्न स्थानों में इस्पात संयंत्रों के माध्यम से न सिर्फ रोजगार का सृजन किया है बल्कि स्वास्थ्य, शिक्षा, आधारभूत इंफ्रास्ट्रक्चर तथा सीएसआर गतिविधियों के माध्यम से अपने आसपास के क्षेत्र का समग्र विकास किया है। आज देश में “मध्यम वर्ग“ के नाम से प्रसिद्ध, सुशिक्षित व सक्षम वर्ग मूलतः इसी प्रकार के सार्वजनिक उपक्रमों के कारण ही फलफूल पाया और देश की आर्थिक, शैक्षणिक उन्नति का कारण बना। विकास के इस समावेशी मॉडल को बचाने की सख्त जरूरत है जिससे कि एक सक्षम नागरिक एक मजबूत राष्ट्र का निर्माण कर सके। इस्पात क्षेत्र ने पिछले 60 वर्षों में राष्ट्र निर्माण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
विनिवेश किये जाने वाले इन इकाईयों की क्षमता पर अगर गंभीरतापूर्वक विचार करें तो इन इकाईयों के अलग-अलग क्षमताओं तथा उपलब्ध संसाधनों को मिलाकर एक लाभकारी रणनीति बनाई जा सकती है जिसमें इन इकाईयों को बेचने की आवश्यकता नहीं होगी। उदाहरण के लिए आज आरआईएनएल के पास कुशल व तकनीकी क्षमता से परिपूर्ण मानव संसाधन उपलब्ध है परंतु इनके पास स्वयं का लौह अयस्क माइंस नहीं होने के कारण कच्चे माल की कमी तथा कच्चे माल को अधिक कीमत में खरीदने की बाध्यता ने इस कंपनी के लाभार्जन की क्षमता को न्यूनतम कर दिया है। वहीं एनएमडीसी के बस्तर में स्थापित नगरनार इस्पात संयंत्र के पास कच्चे माल की संपूर्ण उपलब्धता तो है परंतु इसे चलाने के लिए कुशल व तकनीकी क्षमता से परिपूर्ण मानव संसाधन की उपलब्धता नहीं है। जिसके चलते इस संयंत्र की भी लाभार्जन क्षमता भारी रूप से प्रभावित हुई है। अतः इन इकाईयों के रणनीतिक विलय से जहां एक इकाई को कच्चा माल उपलब्ध हो पाएगा वहीं दूसरी इकाई को तकनीकी क्षमता से परिपूर्ण मानव संसाधन मिलने में सहुलियत होगी। इस प्रकार दोनों ही कंपनियां एक दूसरे की पूरक बनकर लाभार्जन करने लगेगी जो भारत सरकार को आर्थिक संबलता प्रदान करेगा।
इस क्रम में फेरो स्क्रैप निगम लिमिटेड जो कि इस्पात क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों के साथ अनेक परियोजनाओं में भागीदार है तथा पूर्व में शासन के द्वारा इस कंपनी का विलय सेल अथवा आरआईएनएल में किये जाने के प्रस्ताव पारित किया गया था। परंतु वर्तमान में केन्द्र शासन ने फेरो स्क्रैप निगम के निजीकरण का निर्णय लिया है। फेरो स्क्रैप निगम को भी इस रणनीतिक विलय में शामिल कर लाभार्जन की क्षमता को अधिक बढ़ाया जा सकता है।
लाभार्जन की इस क्षमता को बढ़ाने हेतु आरआईएनएल, नगरनार इस्पात संयंत्र तथा एफएसएनएल को बेचने के बजाए इनका रणनीतिक विलय, महारत्न कंपनी सेल के साथ कर एक मेगा पीएसयू का निर्माण किया जाए। इस प्रकार देश इस्पात क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर तेजी से अग्रसर होने के साथ ही रोजगार सृजन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। साथ ही सीएसआर गतिविधियों को भी गति प्रदान कर सामाजिक तथा सांस्कृतिक उत्थान के भारत सरकार के लक्ष्यों को भी तेजी से पूर्ण करना संभव हो सकेगा। इस रणनीतिक विलय से सरकार के विकास के एजेंडे को भी नई दिशा मिलेगी।
दशकों के मेहनत से बनी इन राष्ट्रीय संपत्तियों को राष्ट्रहित में अक्षुण रखा जा सकेगा। सेफी ने विनिवेश हेतु प्रस्तावित आरआईएनएल एवं नगरनार इस्पात संयंत्र तथा एफएसएनएल का “स्ट्रेटेजिक मर्जर“ का प्रस्ताव केन्द्र सरकार के समक्ष रखा है। यह प्रस्ताव इस्पात मंत्रालय एवं वित्त मंत्रालय को दिया जा चुका है एवं इस विषय पर सेफी पिछले माह माननीय इस्पात एवं भारी उद्योग मंत्री श्री एच. डी. कुमारस्वामी एवं माननीय इस्पात एवं भारी उद्योग राज्यमंत्री श्री भूपति राजू श्रीनिवास वर्मा से चर्चा कर अपने प्रस्ताव से अवगत करा चुका है।
सेफी अध्यक्ष श्री नरेन्द्र कुमार बंछोर ने बताया कि प्रस्तावित संयंत्र एक दूसरे के अनुपूरक बन सकते हैं यदि सेल, आरआईएनएल व नगरनार इस्पात संयंत्र तथा एफएसएनएल को एक कंपनी बनाया जाता है तो इस कंपनी के पास उन्नत इस्पात संयंत्र तथा प्रचुर मात्रा में आयरन अयस्क और निर्यात हेतु स्वयं का पोर्ट उपलब्ध रहेगा जिससे यह कंपनी अत्यंत ही लाभप्रद होगी। अतः भारत सरकार को इसके निजीकरण के स्थान पर इसके पुर्नगठन व रणनीतिक विलय कर इसका सुनियोजित संचालन की कोशिश की जानी चाहिए।