November 24, 2024

कृषि विज्ञान केंद्र जांजगीर चांपा में स्वर्ण जयंती पर मशाल यात्रा कार्यक्रम का हुआ आयोजन*

 

जांजगीर-चांपा  कृषि विज्ञान केंद्र जांजगीर चांपा में कृषि विज्ञान केन्द्रों के 50वीं वर्षगांठ स्वर्ण जयंती के अवसर पर उद्यानिकी विभाग के उद्यानिकी ग्रामीण विस्तार अधिकारीयों व प्रगतिशील कृषकों हेतु सब्जीवर्गीय फसलों के रोग एवं कीट प्रबंधन पर प्रशिक्षण का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत में कृषि विज्ञान केंद्र के प्रमुख डॉ राजीव दीक्षित ने कृषि विज्ञान केंद्र की महत्ता को बताते हुए अवगत कराया कि भारत सरकार द्वारा प्रथम कृषि विज्ञान केंद्र की स्थापना वर्ष 1974 में पांडीचेरी, तमिलनाडु में की गयी। जिसका उद्देश्य कृषकों को नवीनतम तकनीक से रूबरू कराना, कृषि विभाग के विस्तार अधिकारियों को प्रशिक्षण प्रदान करना, कृषकों के खेत में प्रक्षेत्र प्रदर्शन और अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन का संचालन करना था। आज कृषि विज्ञान केंद्र अपने इन सभी उद्देश्यों के साथ-साथ और भी बहुत से कृषि संबंधी कार्य को परिपूर्ण कर के देश के किसानों को समृध्द करने और आत्मनिर्भर बनाने हेतु मदद कर रहा है। कृषि विज्ञान केंद्र की स्थापना के स्वर्ण जयंती के अवसर पर जो मशाल देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के डायरेक्टर जनरल को सौपीं और वही मशाल विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल द्वारा निदेशक विस्तार सेवाएं डॉ. एस. एस. टुटेजा को सौंप दी गई जो छत्तीसगढ के विभिन्न कृषि विज्ञान केंद्रों रायपुर, महासमुंद, भाटापारा, बिलासपुर से होते हुये आज कृषि विज्ञान केंद्र, जांजगीर पहुंची।
स्वर्ण जयंती मशाल यात्रा के दौरान आज कृषि विज्ञान केंद्र में उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों एवं सब्जी उत्पादक किसानों को सब्जियों में लगने वाले विभिन्न कीट एवं बीमारियों की जानकारियां एवं रोकथाम के उपाय बताए गए। केंद्र के पौध रोग विशेषज्ञ डॉ. आशीष प्रधान ने सब्जियों में विशेष कर टमाटर एवं बैगन में लगने वाले उकठा रोग की जानकारी दी एवं साथ में कीट वैज्ञानिक श्री रंजीत मोदी ने सब्जियों मे लगने वाले कीटों कि रोक थाम हेतु समंवित कीट नियंत्रण के उपाय की जानकारी दी। कार्यक्रम मे कृषि विज्ञान केंद्र के कार्यालय प्रमुख डॉ. राजीव दीक्षित के द्वारा स्वर्ण जयंती की मसाल को आगे कि यात्रा हेतु कृषि विज्ञान केन्द्र, रायगढ के प्रमुख डॉ. बी. एस. राजपूत को सौंप दी। कार्यक्रम का संचालन चन्द्र शेखर खरे ने एवं आभार प्रदर्शन इंजीनियर आशुलता ध्रुव ने किया।