September 19, 2024

मणिपुर में ड्रोन बमों का इस्तेमाल, भारत के लिए क्यों है चिंता की बात? समझें

मणिपुर में ड्रोन बमों का इस्तेमाल, भारत के लिए क्यों है चिंता की बात? समझें

मणिपुर में ड्रोन बमों का इस्तेमाल, भारत के लिए क्यों है चिंता की बात? समझें

मणिपुर फिर सुलगने लगा है. दो महीने की अस्थायी शांति के बाद सितंबर की पहली तारीख को जिस तरह का घातक हमला हुआ वह हिला देने वाला है. इस अटैक में दो लोगों की मौत हो गई और 10 लोग घायल हो गए. इनमें एक 12 साल की किशोरी, दो पुलिसकर्मी और एक मीडियाकर्मी शामिल है.

सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि इस हमले में ड्रोन का प्रयोग किया गया. यह पहली बार है जब मैतेइ और कुकी समुदायों के बीच हुई हिंसा के बीच धमाका करने के लिए ड्रोन को अपनाया गया हो. यह सिर्फ राज्य के लिए ही नहीं बल्कि देश के भी बेहद चिंता की बात है. आखिर क्यों मणिपुर में ड्रोन बमों के इस्तेमाल से भारत को चिंतित होना चाहिए? आइए समझते हैं.

यह ड्रोन हमला क्यों इतना महत्वपूर्ण है?

ड्रोन आधुनिक युद्ध का एक सस्ता लेकिन घातक तत्व बन गया है, जिसका उपयोग 2020 में नगोर्नो-काराबाख युद्ध और रूस-यूक्रेन संघर्ष जैसे संघर्षों में देखा गया है. भारत के मणिपुर में इसका प्रयोग होना खतरनाक बढ़ोतरी का संकेत देता है. इसकी मदद से हमलावर पारंपरिक हथियारों की बजाय दूर से ही हमला कर सकते हैं. यदि ऐसा होने लगता है तो न तो ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि हमला कब और कहां होगा और न ही उसे रोका जा सकता है. हमले में ड्रोन के प्रयोग से टारगेटेड हत्याएं बढ़ सकती है और कोई भी इलाका अस्थिर हो सकता है. यह डर है कि ये हमले बड़े पैमाने पर हिंसा भड़का सकते हैं.

मणिपुर पुलिस ने ड्रोन हमलों के लिए ‘कथित कुकी उग्रवादियों’ को जिम्मेदार ठहराया है. राज्य पुलिस और गृह विभाग के अनुसार, हमला ‘संदिग्ध कुकी आतंकवादियों’ द्वारा किया गया था, जिन्होंने कथित तौर पर रॉकेट चालित ग्रेनेड और अन्य विस्फोटक लॉन्च करने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया था. जवाब में, मणिपुर के राज्य और केंद्रीय बलों ने उग्रवादियों को बाहर निकालने और आगे की हिंसा को रोकने के लिए अपने अभियान तेज कर दिए हैं. राज्य सरकार ने जनता से शांत रहने की अपील की है और आश्वासन दिया है कि अपराधियों की पहचान करने और उन्हें मार गिराने के लिए तलाशी अभियान जारी है.

घरेलू संघर्षों में ड्रोन युद्ध की शुरूआत एक खतरनाक मिसाल कायम कर सकती है, जिससे अधिक परिष्कृत और पता लगाने में कठिन हमले हो सकते हैं. यह कानून प्रवर्तन और सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती है, जिन्हें अब ड्रोन के खतरे का मुकाबला करने के लिए खुद को तैयार करना होगा. इसके अलावा, ड्रोन का उपयोग भारत के भीतर अन्य आतंकवादी समूहों को प्रोत्साहित कर सकता है, जिससे संभावित रूप से अन्य अशांत क्षेत्रों में भी इसी तरह की रणनीति अपनाई जा सकती है. मणिपुर में तनाव बढ़ने से केंद्र सरकार के साथ राज्य के रिश्ते भी तनावपूर्ण हो सकते हैं, क्योंकि अधिक मजबूत हस्तक्षेप और संघर्ष समाधान रणनीतियों की मांग बढ़ रही है.