November 24, 2024

विमानों और पायलटों पर जाँच कड़ी ही नहीं औचक भी होनी चाहिए

रजनीश कपूर
मामला देश की एक नई निजी एयरलाइन का है। इसके पास मात्र 25 हवाई जहाज़ हैं। हाल ही में उनमें से 14 हवाई जहाज़ों में रडर कंट्रोल सिस्टमÓ (पतवार नियंत्रण सिस्टम) को लेकर नागरिक उड्डयन मंत्रालय के अधीन डीजीसीए द्वारा नोटिस दिया गया। ग़ौरतलब है कि रडर कंट्रोल सिस्टमÓ विमान को इंजन फेल होने की स्थिति में उसके निर्धारित मार्ग में चलने में सहायता करता है। इसके अलावा विमान के टेक-ऑफ और लैंडिंग के समय भी विमान को सही दिशा में रखने में सहायक होता है।
आज की व्यस्त जिंदगी में हम सभी समय को काफ़ी महत्व देते हैं। कहीं भी यात्रा करनी हो तो हम कोशिश करते हैं कि यात्रा जल्द से जल्द पूरी हो। ऐसे में जो भी लोग हवाई यात्रा का वहन कर सकते हैं वे फ्लाइट से यात्रा करना ही पसंद करते हैं। इसी तरह जो भी व्यक्ति हवाई यात्रा में भी विशिष्ट सेवा लेना चाहते हैं वे निजी चार्टर कंपनियों की सेवा लेते हैं और अपनी सुविधानुसार यात्रा करना पसंद करते हैं। बीते कुछ दशकों में हमारे देश में हवाई यात्रा के आँकड़े काफ़ी तेज़ी से बढ़े हैं। इसके लिए निजी कंपनियों का नागरिक उड्डयन क्षेत्र में आना एक अहम कारण माना जाता है।
अधिक से अधिक निजी एयरलाइन के आने से हवाई यात्रियों को अपनी सुविधानुसार यात्रा करने का विकल्प भी मिला है। परंतु जिस तरह निजी क्षेत्र के यह ऑपरेटर प्राय: मुनाफ़ा कमाने की मंशा से यात्रियों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ कर जाते हैं वह चिंताजनक है। आए दिन हमें इस बात की खबरें मिलती हैं कि पुराने इंजन या पुज़ोंर् के चलते कई निजी कंपनियों के विमानों को ग्राउंडÓ होना पड़ा। कल्पना कीजिए कि यदि किसी विमान में खऱाब इंजन या अयोग्य पाइलट की वजह से कोई हादसा हो जाए तो दोष किसका होगा, विमान कंपनी का या नागरिक उड्डयन मंत्रालय का, या दोनों का
ताज़ा उदाहरण देश की एक नई निजी एयरलाइन का है जिसके पास मात्र 25 हवाई जहाज़ ही हैं। हाल ही में उनमें से 14 हवाई जहाज़ों में रडर कंट्रोल सिस्टमÓ (पतवार नियंत्रण सिस्टम) को लेकर नागरिक उड्डयन मंत्रालय के अधीन डीजीसीए द्वारा नोटिस दिया गया। ग़ौरतलब है कि रडर कंट्रोल सिस्टमÓ विमान को इंजन फेल होने की स्थिति में उसके निर्धारित मार्ग में चलने में सहायता करता है। इसके अलावा विमान के टेक-ऑफ और लैंडिंग के समय भी विमान को सही दिशा में रखने में सहायक होता है।
रडर कंट्रोल सिस्टमÓ का इस्तेमाल इलेक्ट्रॉनिक व मैन्युअल दोनों तरीक़ों से किया जा सकता है। अधिकतर परिस्थितियों में रडर कंट्रोल सिस्टमÓ का इस्तेमाल मिड-एयर या यात्रा के दौरान नहीं किया जाता। मिसाल के तौर पर यदि आप सड़क पर अपनी गाड़ी को 100 की स्पीड से चला रहे हैं और ऐसे में यदि आप अपनी गाड़ी का स्टीयरिंग जऱा सा भी दाँय या बाएँ करेंगे तो कितनी गंभीर दुर्घटना हो सकती है आप इसका अनुमान लगा सकते हैं। ऐसे में यदि रडर कंट्रोल सिस्टमÓ जाम हो जाए या सही रख-रखाव न होने के कारण उसमें कोई तकनीकी दिक़्क़त आ जाए तो विमान दुर्घटना ग्रस्त भी हो सकता है।
यदि किसी भी एयरलाइन में, फिर वो चाहे शेड्यूल एयरलाइन हो या नॉन-शेड्यूल एयरलाइन, अनुभवी पायलट न हों तो वो इस आपात स्थिति से निपट नहीं पाएगा। यहाँ पर सवाल उठता है कि नागरिक उड्डयन मंत्रालय व डीजीसीए चुनिंदा निजी विमान कंपनियों व कुछ निजी चार्टर कंपनियों के प्रति इतनी उदार क्यों होती हैं कि उनके विमान व पायलटों की कड़ी जाँच नहीं करती
जाँच केवल कड़ी ही नहीं औचक भी होनी चाहिए जिससे कि हर विमान कंपनी चलाने वाले के दिल में इस बात का डर बैठा रहे कि मुनाफ़े के लालच में और भ्रष्टाचार के चलते वह यात्रियों की सुरक्षा से खिलवाड़ न कर सके। वहीं डीजीसीए में ऐसे तकनीकी विशेषज्ञ अवश्य हों जो ख़ानापूर्ति की नीयत से नहीं बल्कि सुरक्षा की दृष्टि से ही विमानों और पायलटों की नियम अनुसार जाँच करें। सरकारी तंत्र का हिस्सा बनकर ख़ानापूर्ति करने वाले भ्रष्ट अधिकारियों की भी जाँच मंत्रालय के सतर्कता विभाग से की जानी चाहिए।
हाल ही में फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन (एफएए) ने एक सुरक्षा चेतावनी जारी की, जिसमें कोलिन्स एयरोस्पेस एसवीओ-730 रडर रोलआउट गाइडेंस एक्चुएटर्स (आरआरजीए) से लैस कुछ बोइंग 737 विमानों में प्रतिबंधित या जाम रडर कंट्रोल सिस्टमÓ की संभावना के बारे में ऑपरेटरों को चेतावनी दी गई। इस चेतावनी में आगे कहा गया कि नमी जमा होने से, रडर कंट्रोल सिस्टमÓ उड़ान के दौरान जाम हो सकता है। इतना ही नहीं लैंडिंग के दौरान भी रडर कंट्रोल सिस्टमÓ जाम हो सकता है।
फ्लाइट क्रू को सलाह दी जाती है कि वे प्रतिबंधित रडर कंट्रोल सिस्टमÓ स्थितियों से निपटने के लिए बोइंग की प्रक्रियाओं का पालन करें और ऑटोपायलट सिस्टम का उपयोग करके जांच करें। सुरक्षित परिचालन सुनिश्चित करने के लिए एयरलाइंस को अलर्ट और प्रासंगिक बोइंग मार्गदर्शन से परिचित होना चाहिए। बोइंग ने अगस्त में रडर कंट्रोल सिस्टमÓ की समस्या से प्रभावित बोइंग 737 ऑपरेटरों को पहले ही सूचित कर दिया था। अब एफएए ने इस बात पर जोर दिया कि मौजूदा स्वचालित जांच लैंडिंग से पहले रडर कंट्रोल सिस्टमÓ की सीमाओं का पता लगा सकती है।
ग़ौरतलब है कि अमरीका की फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन कि यह चेतावनी दुनिया भर की एयरलाइन को गई है कि वह इस तकनीकी खऱाबी की गहन जाँच करें। हालाँकि भारत की इस निजी एयरलाइन ने यह स्पष्टीकरण दिया है कि इस नोटिस से उसके विमान परिचालन पर कोई असर नहीं पड़ेगा और वह कमी दूर करने का प्रयास करेगी। परंतु एविएशन विशेषज्ञों के मुताबिक़, भारत में एक ही कंपनी के 25 में से 14 विमानों में ऐसा पाया जाना एक गंभीर समस्या है। लेकिन यहाँ सवाल उठता है कि क्या इस नई कंपनी द्वारा कम समय में अधिक मुनाफ़ा कमाने के चलते ऐसा हुआ
क्या इस कंपनी के पास तकनीकी विशेषज्ञों की कमी है क्या भारत सरकार के डीजीसीए कुछ चुनिंदा अधिकारियों द्वारा इस त्रुटि का जानबूझकर अनदेखा किया गया जो भी कारण हो इसकी जाँच अवश्य होनी चाहिए क्योंकि निजी एयरलाइन हो या निजी चार्टर कंपनी किसी को भी यात्रियों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करने का कोई हक़ नहीं है। देखना यह है कि आनेवाले समय में नागरिक उड्डयन मंत्रालय या डीजीसीए इन कमियों की कैसे जाँच करती है और ऐसी ग़लतियों पर इन एयरलाइन कंपनियों को क्या सज़ा देती है
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