पीएम मोदी 29 अक्टूबर को नई दिल्ली के ‘एम्स’ में जन औषधि केंद्र का शुभारंभ करेंगे
। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में एक नए जन औषधि केंद्र का उद्घाटन करेंगे। प्रधानमंत्री मोदी के साथ इस अवसर पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा भी मौजूद रहेंगे।
यह नया केंद्र 1,724 वर्ग फुट में फैला है और यहां 2,047 से अधिक उच्च गुणवत्ता की जेनेरिक दवाएं और 300 से ज्यादा सर्जिकल उपकरण बहुत कम कीमत पर उपलब्ध होंगे।
एम्स में इस जन औषधि केंद्र का उद्घाटन प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना (पीएमबीजेपी) के तहत किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य भारत में स्वास्थ्य सेवाओं को सुलभ और किफायती बनाना है।
इस केंद्र का मुख्य उद्देश्य एम्स में इलाज के लिए आने वाले मरीजों को सस्ती और गुणवत्तापूर्ण दवाएं उपलब्ध कराना है। यहां उपलब्ध दवाओं में हृदय रोग, कैंसर, डायबिटीज, इंफेक्शन, एलर्जी, पेट संबंधी समस्याएं और पोषण से जुड़ी दवाएं शामिल होंगी।
यह पहल हर दिन एम्स में इलाज के लिए आने वाले हजारों मरीजों के लिए उच्च गुणवत्ता वाली, सस्ती स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराएगी। जन औषधि केंद्र की स्थापना सरकार की यह प्रतिबद्धता है कि आवश्यक दवाएं सभी के लिए उपलब्ध हों। फिलहाल पूरे भारत में 14,000 से अधिक जन औषधि केंद्र चल रहे हैं, जो रोजाना लगभग दस लाख लोगों को स्वास्थ्य लाभ पहुंचा रहे हैं।
ये केंद्र देश के सबसे दूर दराज और पिछड़े क्षेत्रों में जीवनरक्षक सेवाएं पहुंचाते हैं, और 780 जिलों में काम कर रहे हैं। भारत सरकार ने अगले दो वर्षों में इन केंद्रों की संख्या बढ़ाकर 25,000 तक ले जाने की महत्वाकांक्षी योजना बनाई गई है। यह विस्तार न केवल सस्ती स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता को बढ़ाएगा, बल्कि लाखों नागरिकों को उनकी जरूरत की दवाइयां सुलभ कराएगा।
यह पहल उच्च गुणवत्ता वाली जेनेरिक दवाइयां किफायती दरों पर उपलब्ध कराएगी, जिससे उन लोगों को राहत मिलेगी जो लंबे समय से महंगी स्वास्थ्य सेवाओं का सामना कर रहे थे।
यह स्वास्थ्य सेवाओं में समावेशिता की दिशा में एक बड़ा बदलाव है जो सरकार की स्वास्थ्य समता के प्रति प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है, जिससे कोई भी नागरिक गुणवत्ता युक्त इलाज से वंचित न रह जाए।
एम्स का जन औषधि केंद्र एक स्वस्थ भारत की दिशा में सरकार की प्रतिबद्धता का प्रतीक है, जो लोगों को सस्ती स्वास्थ्य सेवाओं का अधिकार देता है और देश में स्वास्थ्य सेवा के स्वरूप को मूल रूप से बदलने का प्रयास करता है।