डरावनी फिल्मों में लोगों की दिलचस्पी बढ़ी: हॉरर की सीमित मात्रा मानसिक स्वास्थ्य के लिए अच्छी हो सकती है
डरावनी फिल्मों में लोगों की दिलचस्पी बढ़ी: हॉरर की सीमित मात्रा मानसिक स्वास्थ्य के लिए अच्छी हो सकती है l
पिछले कुछ वर्षों में डरावनी फिल्मों में लोगों की दिलचस्पी बढ़ी है। मूवी डेटाबेस-द नंबर्स के अनुसार अमेरिका में 2014 में बॉक्सऑफिस की सालाना कमाई में हॉरर फिल्मों का हिस्सा 2.69% था। 2021 में यह बढ़कर 12.7% हो गया। सवाल है क्यों इतने ज्यादा लोग डरना पसंद करते हैं? शोधकर्ताओं का कहना है कि इसके कई कारण हैं। हॉरर की नियंत्रित मात्रा हमारे मानसिक स्वास्थ्य के लिए सहायक हो सकती है।जॉर्जिया स्टेट यूनिवर्सिटी में रिसर्चर सिंथिया हॉफनर कहती हैं, लोग जब सुरक्षित महसूस करते हैं तब हॉरर पसंद करते हैं। मीडिया के मनोवैज्ञानिक प्रभावों का अध्ययन करने वाली सिंथिया बताती हैं, मुझे केवल एक बार रात के समय घर में अकेले हॉरर फिल्म देखना अच्छा नहीं लगा था। रिसर्च के अनुसार हॉरर प्रशंसक जब बहुत अधिक भयभीत महसूस नहीं करते तब उन्हें डराने वाला अनुभव पसंद नहीं आता है। डॉ. सिंथिया का कहना है, महिलाओं के मुकाबले पुरुषों को हॉरर अधिक पसंद है। ऐसी फिल्में देखने से डराने वाली स्थितियों से उबरने का रास्ता मिल सकता है। डॉ. सिंथिया और उनकी सहयोगी केनेथ लेवाइन के एकविश्लेषण में बताया गया है कि जो लोग दूसरों के लिए कमसहानुभूति रखते हैं, उनके डराने वाली फिल्में, टीवी शो काआनंद अधिक लेने की संभावना रहती है क्योंकि वे प्रभावितलोगों की चिंता नहीं करते हैं। रिसर्च बताती हैं, हॉरर केप्रशंसकों को काल्पनिक गतिविधियां अच्छी लगती हैं। वेरोमांच और नए अनुभव को पसंद करने वाले लोग होते हैं।
कुछ अध्ययनों में पाया गया कि जो लोग बैचेनी और मनोबल में कमजोरी महसूस करते हैं, उनके हॉरर फिल्मों की ओर आकर्षित होने की संभावना अधिक है। शायद डराने वाली फिल्में उनकी चिंताओं के लिए नया माध्यम पेश करती हैं। पैसे की तंगी की चिंता करने की बजाय वे परदे पर दिखने वाले भूत की फिक्र करते हैं। आरहस यूनिवर्सिटी, डेनमार्क में रिक्रिएशन फियर लैब में रिसर्चर कोल्टन स्क्रिवनेर कहते हैं, हॉरर मूवी देखते हुए आप अपनी चिंता और बेचैनी का कारण दूसरी ओर कर सकते हैं।