November 23, 2024

सैन्य विरासत के संरक्षण के लिए शुरू की जाएगी शौर्य गाथा

 

,। भारतीय सैन्य विरासत का महोत्सव शुक्रवार से नई दिल्ली में शुरू होगा। इसके तहत ‘शौर्य गाथा’ की शुरुआत भी की जाएगी जिसमें शिक्षा और पर्यटन के माध्यम से देश की सैन्य विरासत के संरक्षण का प्रयास किया जाएगा। दो दिवसीय महोत्सव का यह दूसरा संस्करण है। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ इसका उद्घाटन करेंगे।

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, इस आयोजन का उद्देश्य वैश्विक और भारतीय थिंक टैंक, कंपनियों, सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के उपक्रमों, गैर-लाभकारी संस्थाओं, शिक्षाविदों और अनुसंधान से जुड़े विद्वानों को भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा, विदेश नीति, सैन्य इतिहास और सैन्य विरासत पर फोकस करने से जोड़ना है।

महोत्सव के उद्घाटन के अवसर पर परियोजना ‘शौर्य गाथा’ का भी शुभारंभ किया जाएगा। यह परियोजना भारत के सैन्य मामलों के विभाग और यूएसआई ऑफ इंडिया की एक पहल है। इसका उद्देश्य शिक्षा और पर्यटन के माध्यम से देश की सैन्य विरासत का संरक्षण और संवर्धन करना है। यहां सैन्य विषयों पर कई प्रमुख प्रकाशन दिखेंगे।

कार्यक्रम में एयर मार्शल विक्रम सिंह (सेवानिवृत्त) की पुस्तक ‘बिकॉज ऑफ दिस: ए हिस्ट्री ऑफ द इंडो-पाक एयर वॉर दिसंबर 1971’, भारतीय सेना और यूएसआई ऑफ इंडिया के संयुक्त प्रकाशन ‘वेलर एंड ऑनर’, और डॉ. मृण्मयी भूषण द्वारा लिखित एवं रक्षा मंत्रालय के प्रधान सलाहकार लेफ्टिनेंट जनरल विनोद खंडारे (सेवानिवृत्त) द्वारा संपादित ‘साइलेंट वेपन्स, डेडली सीक्रेट्स: अनवेलिंग द बायोवेपन्स आर्म्स रेस’ का विमोचन भी किया जाएगा।

डीआरडीओ रक्षा अनुसंधान में नवाचारों के माध्यम से आत्मनिर्भर भारत में योगदान देने की अपनी यात्रा और उपलब्धियों पर प्रकाश डालने वाली एक फोटो प्रदर्शनी यहां प्रस्तुत करेगा। दिल्ली एनसीआर क्षेत्र के स्कूलों और कॉलेजों के एनसीसी कैडेट और छात्र भी यहां भागीदारी करेंगे।

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, इससे युवा पीढ़ी को सशस्त्र बलों में करियर बनाने के लिए प्रेरित करने में मदद मिलेगी। तीनों सेनाओं के सूचनात्मक स्टॉल उनकी भूमिकाओं और इच्छुक युवाओं के लिए उपलब्ध विभिन्न अवसरों को प्रदर्शित करेंगे। इस वर्ष के उत्सव को रक्षा मंत्रालय, सैन्य मामलों के विभाग (डीएमए), भारतीय सेना, भारतीय नौसेना, भारतीय वायु सेना, डीआरडीओ, पर्यटन विभाग लद्दाख, अरुणाचल प्रदेश सरकार, संस्कृति मंत्रालय और ब्रिटिश उच्चायोग द्वारा समर्थन दिया जा रहा है।