झारखंड में मुख्यमंत्री पद का चेहरा न होना और घुसपैठ मुद्दे पर जोर महंगा पड़ा
रांची, 23 नवंबर (भाषा) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत राजग ने झारखंड की सत्ता झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के नेतृत्व वाले गठबंधन के हाथों से छीनने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी लेकिन उसे अंतत: हार का सामना करना पड़ा। इस पराजय से हतप्रभ नेता और कार्यकर्ता यह सोच रहे हैं कि आखिर गड़बड़ी क्या हुई।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा जैसे शीर्ष भाजपा नेताओं ने आक्रामक तरीके से प्रचार किया, लेकिन राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने किसी को भी मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में पेश नहीं किया, क्योंकि उसका अभियान मुख्य रूप से ‘बांग्लादेश से घुसपैठ’ और हेमंत सोरेन सरकार के ‘भ्रष्टाचार’ पर केंद्रित था