November 26, 2024

मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एवं तालुका विधिक सेवा समिति संविधान दिवस धूमधाम से मनाई गई

 

अनवर हुसैन सुकमा

सुकमा जिला मुख्यालय में – प्रधान न्यायाधीश दक्षिण बस्तर दंतेवाड़ा विजय कुमार होता के मार्गदर्शन में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एवं तालुका विधिक सेवा समिति सुकमा के अध्यक्ष गितेश कुमार कौशिक, जेल अधीक्षक राजेश बिसेन एवं कैलाश जैन प्रतिधारक अधिवक्ता की उपस्थिति में आज जिला जेल सुकमा में संविधान दिवस मनाया गया। इस शिविर उत्सव में न्यायाधीश गितेश कुमार कौशिक ने जेल में परिरुद्ध बंदियों को बताया कि
भारत का संविधान दिवस 26 नवम्बर 1949 की याद में प्रतिवर्ष मनाया जाता है। इस स्मारकीय दस्तावेज ने भारत के लोकतांत्रिक शासन की नींव रखी और अपने सभी नागरिकों के लिए न्याय,स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व सुनिश्चित किया है। अंबेडकर की 125 वीं जंयती के अवसर पर सवैधानिक मूल्यों के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देने भारत सरकार द्वारा 2015 में संविधान दिवस को औपचारिक रूप में मान्यता दी गयी। इस दिन पुरे देश में स्कूल, कॉलेज और संस्थान संविधान की प्रस्तावना पढ़ने और सवैधानिक सिद्धांतो पर चर्चा आयोजित करने जैसी गतिविधियों के साथ इस
दिन को मनाते हैं। 26 नवम्बर 1949 को भारत की संविधान सभा में लगभग 03 वर्षों के
विचार-विमर्श के बाद भारतीय संविधान के अंतिम प्रारूप को अपनाया। यह ऐतिहासिक दस्तावेज अधिकारिक तौर पर 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ। संविधान दिवस एक ऐसे शासन ढांचे को बनाने के प्रयासो की परिणति का प्रतिक है, जो एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में भारत की आकांक्षाओं को प्रतिबिंबित करता है। यह दुनिया के सबसे लंबे लिखित संविधानों में से एक है, जिसमें न्याय,स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व पर जोर दिया गया है। भारतीय संविधान एक जीवित दस्तावेज के रूप में जाना जाता है, क्योंकि इसमें बदलती सामाजिक आवश्यकताओं के अनुरूप ढलने की क्षमता है। इसके मूल में मौलिक अधिकार है, जो बुनियादी स्वतंत्रता की गारंटी देते हैं और नागरिकों को राज्य की ज्यादातियों से सुरक्षा प्रदान करते हैं। कार्यक्रम के अंत में न्यायाधीश के द्वारा
सभी बंदियों को संविधान की प्रस्तावना का वाचन कर शपथ दिलाई गयी। इस कार्यक्रम में जेल अधिकारी एवं कर्मचारियों के अलावा काफी संख्या में विचाराधीन बंदी उपस्थित रहे।

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