January 9, 2025

आइलाज द्वारा पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या की कड़ी निंदा; स्वतंत्र जांच और अपराधियों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई की मांग

 

ऑल इंडिया लॉयर्स एसोसिएशन फॉर जस्टिस (आइलाज) युवा फ्रीलांस पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हर किसी को झकझोर देने वाली हत्या से गहरे स्तब्ध है और इस जघन्य अपराध की कड़ी निंदा करता है. छत्तीसगढ़ के निवासी मुकेश 1 जनवरी 2025 को लापता हो गए थे. दो दिन बाद, 3 जनवरी को उनका शव एक ठेकेदार की संपत्ति के सेप्टिक टैंक में मिला. इस ठेकेदार के भ्रष्टाचार का मुकेश ने पहले खुलासा किया था. ठेकेदार फिलहाल फरार है.

मुकेश की हत्या उस भारत का प्रतीक है जहां भ्रष्टाचार और सत्ता-व्यवसाय की सांठगांठ बिना रोक-टोक पनप रही है, और सच्चाई बोलने वालों—पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और आम नागरिकों—को निशाना बनाया जा रहा है. प्रेस स्वतंत्रता पहले ही गंभीर संकट में है, क्योंकि सरकार पत्रकारों और स्वतंत्र मीडिया को निशाना बना रही है और मीडिया पर नियंत्रण के लिए कानून लागू कर रही है.

मुख्यधारा की मीडिया ने कॉर्पोरेट स्वार्थों और सरकार के दबाव में पत्रकारिता के बुनियादी सिद्धांतों को त्याग दिया है. भारत में प्रेस स्वतंत्रता की स्थिति पहले से ही कमजोर थी, लेकिन हाल के वर्षों में यह और अधिक गिर गई है. पत्रकारों पर राज्य और गैर-राज्य दोनों पक्षों से बढ़ते हमले लोकतंत्र की नींव को कमजोर कर रहे हैं. रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स ने भारत में प्रेस स्वतंत्रता को ‘आधिकारिक आपातकाल’ की स्थिति में बताया है, और अपने हालिया सूचकांक में 180 देशों में भारत को 159वें स्थान पर रखा है. आपातकाल की सेंसरशिप की छाया आज भी हमारे समाज पर मंडरा रही है.

मुकेश जैसी पत्रकारिता, जो ग्रामीण समुदायों और स्थानीय मुद्दों पर केंद्रित थी, का महत्व अत्यधिक है. मुख्यधारा की मीडिया में योगदान देने के अलावा, उन्होंने “बस्तर जंक्शन” नामक एक लोकप्रिय यूट्यूब चैनल भी चलाया, जहां वे बस्तर जैसे सर्वाधिक सैन्यीकृत क्षेत्र में हिंसा और विस्थापन की अनकही कहानियों को साहसपूर्वक उजागर करते थे. उनके चैनल पर 1.59 लाख सब्सक्राइबर थे.

लोकतंत्र को फलने-फूलने के लिए जरूरी है कि पत्रकार बिना किसी भय के अपना काम कर सकें. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हर लोकतंत्र में प्रेस सत्य और न्याय की संरक्षक होती है. हाल ही में मध्यमा ब्रॉडकास्टिंग लिमिटेड बनाम भारत संघ [(2023) SCC OnLine SC 366] मामले में सुप्रीम कोर्ट ने माना कि स्वतंत्र प्रेस एक मजबूत लोकतांत्रिक गणराज्य के लिए बेहद जरूरी है. इसका काम है राज्य की गतिविधियों पर रोशनी डालना और जनता को सही जानकारी देना.

आइलाज मुकेश के परिवार, मित्रों और सहयोगियों के प्रति गहरी संवेदना प्रकट करता है और मांग करता है कि उनकी हत्या की स्वतंत्र एजेंसी से गहन जांच हो और अपराधियों को जल्द से जल्द न्याय के कटघरे में लाया जाए. साथ ही, पत्रकारों की सुरक्षा के लिए ठोस कानून बनाया जाए. राज्य का यह कर्तव्य है कि वह संवेदनशील मुद्दों और संघर्ष के इलाकों में काम करने वाले पत्रकारों को पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराए.

-आइलाज राष्ट्रीय समिति