January 30, 2025

जिला नारायणपुर में कुतुल एरिया कमेटी अन्तर्गत कार्यरत 03 माओवादियों नें किया नक्सल क्रुर विचारधारा से तंग आकर एक साथ आत्मसमर्पण।

🔹 जिला नारायणपुर क्षेत्र में चलाये जा रहे आत्मसमर्पण नीति ‘‘माड़ बचाओ अभियान एवं सुरक्षा बलों के सघन प्रयासों से प्रभावित आत्मसमर्पित माओवादियों में 03 पुरूष माओवादी शामिल है जो क्षेत्र में सक्रिय रूप से माओवादियों के लिए करते थे काम। इस प्रकार से लगातार माओवादियों के हो रहे आत्मसमर्पण से नक्सलियों को बड़ा झटका।
🔹माओवादियों के आत्मसमपर्ण के पीछे माड़ और नारायणपुर जिले में चलाये जा रहे विकास कार्य एवं सुरक्षा बलों द्वारा स्थानीय लोगों के दिलों में जगाया गया विश्वास बड़ा कारण रहा, तेजी से बनती सड़के गांव तक पहंुचती विभिन्न सुविधिाओं ने इन्हें प्रभावित किया है।
🔹 सीमा सुरक्षा बल द्वारा अबूझमाड़ के अंदरुनी क्षेत्रों में लगातार स्थापित किए जा रहे कैम्प और आम नागरिकों के जीवन स्तर में सुधार के प्रयासों के फलस्वरुप माओवादी आत्मसमर्पित होकर समाज की मुख्यधारा से जुड़कर स्वच्छंद रूप से चाहते है कि सामान्य जीवन जीना।
🔹 आत्मसमर्पण करने पर सभी माओवादियों को प्रोत्साहन राशि 25 हजार का चेक प्रदाय किया गया एवं उन्हें नक्सल उन्मुलन नीति के तहत् मिलने वाली सभी प्रकार की सुविधाएं दिलाया जायेगा।

🟪 श्री आनंद प्रताप सिंह (भा.पु.से.) महानिरीक्षक सीमा सुरक्षा बल सीमांत मुख्यालय भिलाई, श्री सुन्दरराज पी. (भा.पु.से.) पुलिस महानिरीक्षक बस्तर रेंज जगदलपुर, श्री अजय अग्रवाल, उप महा निरीक्षक (सामान्य) सीमांत मुख्यालय बीएसएफ़ भिलाई, श्री हरिंदर पाल सिंह सोही, उप महा निरीक्षक बीएसएफ़ रायपुर, श्री अमित तुकाराम काम्बले (भा.पु.से.) पुलिस उप महानिरीक्षक कांकेर रेंज कांकेर के मार्गदर्शन, श्री नवल सिंह कमाण्डेंट बीएसएफ 135वीं वाहिनी, श्री प्रभात कुमार (भा.पु.से.) पुलिस अधीक्षक नारायणपुर एवं श्री रोबिनसन गुड़िया (भा.पु.से.) अति. पुलिस अधीक्षक नारायणपुर, श्री जयदीप अग्रवाल उप कमांडेंट बीएसएफ़ के निर्देशन में नारायणपुर पुलिस द्वारा माओवादियों के विरूद्ध क्षेत्र में लगातार चलाये जा रहे नक्सल उन्मुलन अभियान और अति संवेदनशील अंदरूनी क्षेत्रों में लगातार कैम्प स्थापित होने से पुलिस के बढ़ते प्रभाव व नक्सलियों के अमानवीय, आधारहीन विचारधारा एवं उनके शोषण, अत्याचार तथा बाहरी नक्सलियों के द्वारा भेदभाव करने तथा स्थानीय आदिवासियों पर होने वाले हिंसा से तंग आकर नक्सल संगठन से 03 माओवादियों के आत्मसमर्पण की महत्वपूर्ण सफलता प्राप्त हुई है।
🟪 आत्मसमर्पित के नाम/पद

01. गुड्डू करमा s/o स्वर्गीय श्री डोगे करमा, उम्र – 22 वर्ष, ग्राम –मंदाली, पुलिस स्टेशन – ओरछा, रैंक – मिलिशिया सदस्य
02. आयुतू करमा s/o महरू करमा, उम्र – 22 वर्ष, ग्राम -मंदाली , पुलिस स्टेशन – ओरछा , रैंक – मिलिशिया सदस्य
03. मासा राम करमा s/o सुक्कू करमा, उम्र – 22 वर्ष, ग्राम -मंदाली , पुलिस स्टेशन – ओरछा , रैंक – मिलिशिया सदस्य
🟪 आज दिनांक 29.01.2025 को माड़ डिवीजन के कुतुल एरिया कमेटी अन्तर्गत सक्रिय रूप से नक्सल संगठन में कार्यरत माओवादी गुड्डू करमा, आयुतू करमा, मासा राम करमा ने श्री नवल सिंह कमाण्डेंट बीएसएफ 135वीं वाहिनी, श्री प्रभात कुमार पुलिस अधीक्षक नारायणपुर (भा.पु.से.), श्री जयदीप अग्रवाल उप कमाण्डेंट बीएसएफ़, श्री अरविंद किशोर खलखो उप पुलिस अधीक्षक डीआरजी नारायणपुर के समक्ष आत्मसमर्पण किये। आत्मसमर्पण करने पर प्रोत्साहन राशि 25 हजार रुपये का चेक प्रदान किया गया एवं उन्हें नक्सल उन्मूलन नीति के तहत् मिलने वाली सभी प्रकार की सुविधाएं दिलाया जायेगा। इस अवसर पर जिला पुलिस बल, बीएसएफ के अन्य अधिकारीगण उपस्थित रहे। इनके आत्मसमर्पण हेतु प्रोत्साहित कराने में बीएसएफ व जिला नारायणपुर पुलिस का विशेष प्रयास रहा है ।
🟪 माओवादियों द्वारा आत्मसमर्पण के पीछे माड़ और नारायणपुर जिले में चलाये जा रहे विकास कार्य बड़ा कारण रहा तेजी से बनती सड़कें, गावों तक पहुँचती विभिन्न सुविधाओं ने इन्हें प्रभावित किया है। संगठन के विचारों से मोहभंग एवं मिली निराशा, संगठन के भीतर बढ़ते आंतरिक मतभेद इनके आत्मसमपर्ण का बहुत बड़ा कारण है। छत्तीसगढ़ शासन की पुनर्वास नीति ने उन्हें नई उम्मीद दी है। संगठन के भीतर शोषण तथा क्रूर व्यवहार से बाहर निकलकर समाज के मुख्यधारा में लौटकर सामान्य जीवन बिता सकते हैं। सुरक्षा बलों के लगातार अंदरूनी क्षेत्रों में कैम्प स्थापित करने एवं क्षेत्र में चलाये जा रहे आक्रामक अभियानों एवं मारे जाने से उत्पन्न भय ने भी इन्हें संगठन छोड़ने के लिए प्रेरित किया है। आत्मसमर्पित माओवादी कुतुल एरिया कमेटी क्षेत्रान्तर्गत सक्रिय रूप से कार्यरत रहे है।
🟪 आने वाले समय में और भी नक्सलियों के संगठन छोड़कर आत्मसमर्पण करने की गोपनीय आसूचना है। आत्मसमर्पण कराने में बीएसएफ का विशेष योगदान है। इस प्रकार नक्सलियों का आत्मसर्पण से शीर्ष माओवादी कैडर के लिए बड़ा नुकसान हुआ है। नक्सल मुक्त माड़ बचाव अभियान की कल्पना साकार रूप ले रहा है।
🟪 सरकार की पुनर्वास नीति के फायदे घर, नौकरी ने इन्हें आकर्षित किया है। इन्होने आत्मसमर्पण माड़ एवं खुद की भलाई के लिए सोचा है, और ‘‘माड़ बचाओ अभियान” ने उन्हें अब एक नई आस दी है। माओवादी की विचारधारा में भटके नक्सलियों को उनके घर वाले भी वापस लाना चाहते है। हम सभी नक्सली भाई-बहनों से अपील करते हैं कि उनका बाहरी लोगों की भ्रामक बातों और विचारधारा से बाहर निकलने का समय आ गया है। अब समय माड़ को वापस उसके मूलवासियों सौंप देने का है जहाँ वे निर्भीक रूप से सामान्य जीवन व्यतीत कर सके।