जिले में स्व सहायता समूह की महिलाएं बना रही हैं गोबर से इमल्शन एवं डिस्टेंपर पेंट
कोण्डागांव 04 मई 2023कलेक्टोरेट बिल्डिंग सहित अन्य भवनों की गोबर पेंट से हुई है पुताई छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा एक अनूठी पहल करते हुए राज्य में गोबर से प्राकृतिक पेंट निर्माण को बढ़ावा दिया जा रहा है। गौठानों में महिला स्व सहायता समूहों के द्वारा गोबर पेंट उत्पादन कर आय संवृद्धि किया जा रहा है। जिले के अंतर्गत वर्तमान में इस पेंट का उपयोग सरकारी भवनों, स्कूलों एवं छात्रावासों के पुताई के लिए किया जा रहा है। लोक निर्माण विभाग द्वारा कलेक्टोरेट बिल्डिंग सहित अन्य भवनों की गोबर पेंट से पुताई की गयी है, जिससे उक्त भवन सुन्दर और आकर्षक परिलक्षित हो रहे हैं । गाय के गोबर से निर्मित पेंट निर्माण करने की इकाई राज्य के विभिन्न जिलों में स्थापित की जा चुकी है। इस प्राकृतिक पेंट के इस्तेमाल से न सिर्फ पर्यावरण संरक्षण में मदद मिलेगी, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिल रही है साथ ही गौठानों में इसके निर्माण से स्व सहायता समूह की स्थानीय महिलाओं को रोजगार मिल रहा हैं जिससे उनकी आय में वृद्धि भी हो रही है।
ज्ञातव्य है कि छत्तीसगढ़ सरकार की महत्वाकांक्षी गोधन न्याय योजनान्तर्गत गौठानों में 200 रुपए प्रति क्विंटल की दर से गोबर खरीदी की जा रही है। इस गोबर का उपयोग जैविक खाद के अलावा गोबर से पेंट बनाने में किया जा रहा है। कोण्डागांव जिले के मर्दापाल रोड स्थित शहरी गौठान में 26 जनवरी 2023 को गोबर से प्राकृतिक पेंट निर्माण इकाई का लोकार्पण किया गया है। जहां स्व सहायता समूह की 10 महिलाओं द्वारा गोबर से प्राकृतिक पेंट का निर्माण किया जा रहा है। इस समूह की अध्यक्ष श्रीमती मीना विश्वास बताती हैं कि यहां गोबर से डिस्टेंपर एवं इमल्शन पेंट का निर्माण किया जा रहा है। इस गोबर पेंट उत्पादन इकाई की स्थापना के विगत 3 महीने में ही 7 हजार 368 लीटर से अधिक पेंट का निर्माण किया जा चुका है और अब तक 17 लाख 43 हजार रुपये की 7 हजार 351 लीटर गोबर पेंट का विक्रय किया जा चुका है। इसके साथ ही गोबर पेंट उत्पादन इकाई को लोक निर्माण एवं जिला निर्माण समिति द्वारा गोबर पेंट क्रय हेतु अग्रिम आर्डर दिया गया है।अब तक 7 हजार 368 लीटर से अधिक प्राकृतिक पेंट का हुआ उत्पादन अब गोबर से प्राकृतिक पेंट निर्माण के फलस्वरूप स्थानीय स्तर पर उपलब्ध गोबर का सदुपयोग कर ज्यादा से ज्यादा युवाओं, महिलाओं और ग्रामीणों को रोजगार प्राप्त हो रहा तथा वे आर्थिक रूप से सशक्त भी हो रहे हैं। इस आयमूलक गतिविधि से जहां इन महिला समूहों की आय में वृद्धि हो रही है वहीं स्कूलों, आश्रम-छात्रावासों सहित शासकीय भवनों तथा आम लोगों के घरों के लिए किफायती दर पर इमल्शन एवं डिस्टेंपर आसानी के साथ सुलभ हो रहा है।