सूरज के अनसुलझे रहस्य से उठेगा पर्दा. मैगनेटिक हीट वेव थ्योरी पर टिकी निगाह
उगते और डूबते सूरज को देखना बहुत अच्छा लगता है लेकिन भरी दोपहरी में सूरज की किरणें परेशान कर देती हैं. जैसा कि हम सब जानते हैं कि सूरज एक जगह स्थिर है, धरती का जो हिस्सा उसके सामने होता है वहां रोशनी और धरती का जो हिस्सा सामने नहीं होता है वहां अंधेरा. वैज्ञानिकों ने अपनी खोज में बताया है कि सूरज से मिलने वाली रोशनी की वजह हाइड्रोजन के एटम का एक दूसरे से मिलना जुलना है और इस प्रक्रिया में असीम ऊर्जा का उत्सर्जन होता है जिससे रोशनी मिलती है लेकिन सूरज के बारे में बहुत कुछ नहीं जाना जा सका है. इन सबके बीच मैगनेटिक हीट वेव के जरिए अनसुलझे रहस्यों पर से पर्दा उठने की उम्मीद जताई जा रही है.
सोलर कोरोना का तापमान सतह से ज्यादा
वैज्ञानिक अभी भी इस तथ्य को नहीं समझ पाए हैं कि सोलर कोरोना यानी सूरज का अपना वातावरण, सतह से इतना गर्म क्यों है. सूरज की सतह का तापमान करीब 5500 डिग्री सेंटीग्रेड है लेकिन कोरोना का तापमान 1 मिलियन डिग्री सेंटीग्रेड है सतह के तापमान से करीब 200 गुना अधिक. सूरज के कोर में न्यूक्लियर फ्यूजन की क्रिया हमेशा चलती रहती है. इसका अर्थ यह है कि कोई ना कोई तकनीक है जिसके जरिए कोर से तापमान का ट्रांसफर सतह तक होता रहता है. इस सवाल के जवाब में वैज्ञानिक कहते हैं कि मैगनेटिज्म के जरिए इस रहस्य को समझा जा सकता है.
केयू ल्यूवेन में सह-लेखक प्रोफेसर टॉम वान डोरसेलेरे बताते हैं कि पिछले 80 वर्षों में खगोल भौतिकीविदों ने इस समस्या को हल करने की कोशिश की है और अब अधिक से अधिक सबूत सामने आ रहे हैं कि कोरोना को चुंबकीय तरंगों द्वारा गर्म किया जा सकता है. वैज्ञानिकों को जो सवाल पूछना था वह यह था क्या ये उच्च आवृत्तियां कोरोना में पर्याप्त ऊर्जा का योगदान करती हैं. कोरोना में गर्मी को समझाने के लिए पर्याप्त हैं. बेल्जियम की रॉयल ऑब्ज़र्वेटरी के प्रमुख शोधकर्ता डॉ डे लिम और केयू ल्यूवेन ने तरंगों के बारे में ज्ञात हर चीज़ का मेटा-विश्लेषण किया जिसमें कम-आवृत्ति और उच्च-आवृत्ति दोनों शामिल थे. परिणामों ने कोरोनल हीटिंग में तेज ऑसिलेशन की महत्वपूर्ण भूमिका का संकेत दिया है. बेल्जियम की रॉयल वेधशाला से ईयूआई के प्रमुख अन्वेषक डॉ. डेविड बर्गमैन्स ने कहा कि हम अपना अधिकांश ध्यान ईयूआई के साथ उच्च-आवृत्ति चुंबकीय तरंगों की खोज की चुनौती पर लगाएंगे. सोलर ऑर्बिटर से लेकर नासा के पार्कर सोलर प्रोब तक सौर अवलोकनों के स्वर्ण युग में रह रहे हैं, जो अंतरिक्ष से सूर्य पर हमारी पहले से ही मौजूद कई आँखों को जोड़ता है. बिग बीयर सोलर ऑब्ज़र्वेटरी द्वारा किए गए काम के साथ और अब जब डैनियल के इनौये सोलर टेलीस्कोप अपना कमीशनिंग चरण पूरा कर रहा है और इस रहस्य के समाधान की तलाश जारी है.