मणिपुर हिंसा के लिए केंद्र सरकार कितनी जिम्मेदार? सर्वे में लोगों ने दिया चौंकाने वाला जवाब
मणिपुर हिंसा पर पूरी दुनिया की नजर है. महिलाओं को निर्वस्त्र कर उन्हें सड़क पर घुमाने के वीडियो की हर तरफ आलोचना हो रही है. बीते दो माह से मणिपुर के लोग तनावपूर्ण माहौल में जिंदगी व्यतीत कर रहे हैं. राज्य के अलग-अलग जिलों में भड़की हिंसा में कई लोग जान गंवा चुके हैं और कई घायल हुए हैं. सवाल यह उठता है कि इस अशांति और अव्यवस्था के पीछे किसका हाथ है? मणिपुर के हालात को काबू करने में क्या केंद्र सरकार जरूरी कमद नहीं उठाई? या राज्य सरकार ने इस पूरे घटनाक्रम को समझने में देरी कर दी? मणिपुर के लोगों ने इन सभी सवालों का चौंकाने वाला जवाब दिया है. आइये आपको बताते हैं मणिपुर हिंसा को लेकर pollstersindia के सर्वे में लोगों ने क्या कहा.
सर्वे में मणिपुर के अधिकांश लोगों ने इसे जातीय संघर्ष बताया है. ज्यादातर लोगों ने इस मुद्दे पर केंद्र सरकार का समर्थन किया है. 55% लोगों ने इसे जातीय संघर्ष बताया, केवल 29% ने ही इसे कानून और व्यवस्था का मुद्दा करार दिया. वहीं, 50% का कहना है कि राज्य सरकार स्थिति को नियंत्रित करने के लिए और अधिक प्रयास कर सकती थी. 57% लोगों ने केंद्र का समर्थन करते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने अपना काम बखूबी किया.
सर्वे में सामने आया है कि INC+ अपने जोरदार हमले के बावजूद ज्यादा प्रभाव नहीं डाल पाई. इसके समर्थन आधार में से केवल 36% लोग इसे कानून और व्यवस्था के मुद्दे के रूप में देखते हैं जबकि उनमें से 40% इसे जातीय मुद्दा बताते हैं. इस सर्वे में 22 राज्यों से 9679 सैंपल शामिल किए गए हैं.
मणिपुर की स्थिति पर जनमत पर नज़र रखने वाली पोल्स्टर्स इंडिया के सर्वे में चौंकाने वाले नतीजे सामने आए हैं. सर्वे में अधिकांश लोगों ने मणिपुर हिंसा को एक जातीय संघर्ष के रूप में देखा. सर्वेक्षण में शामिल ज्यादातर लोगों का कहना है कि राज्य सरकार स्थिति को संभालने के लिए बेहतर काम कर सकती थी, जबकि केंद्र सरकार की इसमें कोई भूमिका नहीं थी और उन्होंने राज्य में समस्या को नियंत्रित करने के लिए अपना योगदान दिया.
सर्वे के ये नतीजे काफी चौंकाने वाले इसलिए हैं क्योंकि विपक्षी दल के नेताओं ने हाल ही में स्थिति का आकलन करने के लिए मणिपुर का दौरा किया है और राज्य की बिगड़ती स्थिति के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया.
राज्य में मई की शुरुआत में शुरू हुई हिंसा में कई लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. हिंसा का प्राथमिक कारण क्या है? सर्वे में शामिल 55% लोगों ने इसे मेइते और कुकी के बीच एक जातीय संघर्ष बताया. जबकि केवल 29% ने इसे कानून-व्यवस्था की समस्या के रूप में देखा. 16% का इस मामले पर कोई स्पष्ट नजरिया नहीं था.