किसने डकारे 1.86 लाख करोड़ ? मनमोहन सिंह पर लगे थे ‘कोयला घोटाले’ के दाग, 8 साल बाद अब ‘सुप्रीम’ सुनवाई
नई दिल्ली: 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान देशभर में कांग्रेस सरकार के दौरान हुए कोयला घोटाले की गूंज सुनाई देती थी, इसके काले दाग पीएम मनमोहन सिंह पर भी लगे थे। जिसके बाद मनमोहन सिंह द्वारा आठ वर्ष पूर्व यानी कि 2015 में इसी मामले में एक याचिका दाखिल की गई थी। लगभग आठ वर्षों के लंबे इंतजार के बाद अब उनकी याचिका पर सुनवाई होने वाली है। आज शुक्रवार (4 अगस्त) को इस मामले को सूचीबद्ध किया गया है। दरअसल, पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने ट्रायल कोर्ट के मार्च 2015 के आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें कोयला ब्लॉक के कथित अनियमित आवंटन के मामले में उन्हें भी आरोपी के तौर पर समन किया गया था। हालाँकि, सुप्रीम कोर्ट ने फ़ौरन ही, 1 अप्रैल, 2015 को ट्रायल कोर्ट के समन आर्डर पर रोक लगा दी थी। 8 साल तक यह मामला ठंडे बस्ते में पड़ा रहा और अब जाकर इस पर सुनवाई होने वाली है।
देश के प्रधान न्यायाधीश (CJI) डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ इस मामले पर सुनावई करेगी। इस दौरान, पूर्व केंद्रीय कोयला सचिव पीएस पारख द्वारा दाखिल याचिका पर भी सुनवाई की जाएगी। दरअसल, CBI ने कोयला ब्लॉक आवंटन मामले में एक क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की थी, मगर दिल्ली की एक ट्रायल कोर्ट ने उस वक़्त कहा था कि उस समय कोयला मंत्रालय का प्रभार संभालने वाले मनमोहन सिंह (Manmohan Singh Coal Scam), उद्योगपति कुमार मंगलम बिड़ला और अन्य को आरोपी के रूप में समन करने के लिए प्रथम दृष्टया सबूत मौजूद हैं। लेकिन, जस्टिस वी गोपाल गौड़ा के नेतृत्व वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने 1 अप्रैल, 2015 को समन आदेश पर रोक लगा दी थी और कांग्रेस नेता मनमोहन सिंह की याचिका स्वीकार कर ली गई थी।
वहीं, जस्टिस मदन लोकुर के नेतृत्व वाली एक अन्य बेंच ने 7 सितंबर, 2015 को पूर्व कोयला राज्य मंत्री संतोष बागरोडिया को तलब करने पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। अदालत ने कहा था कि उनकी याचिका पर कांग्रेस नेता मनमोहन सिंह (Manmohan Singh Coal Scam) की याचिका के साथ 21 सितंबर, 2015 को सुनवाई की जाएगी। मनमोहन सिंह की याचिका पर तेजी से हो रही सुनवाई से चिंतित होकर वरिष्ठ अधिवक्ता और तत्कालीन कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने तत्कालीन CJI एचएल दत्तू से फ़ौरन स्पष्टीकरण मांगने का आग्रह किया था। उन्होंने अपनी दलील में कहा था कि मनमोहन सिंह की याचिका को कोयला घोटाला मामले के तौर पर वर्गीकृत नहीं किया जाना चाहिए। क्योंकि मनहमोन सिंह ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(1)(डी)(iii) की संवैधानिक वैधता की चुनौती पर मुख्य जोर दिया था।
कपिल सिब्बल की दलील से सहमत होते हुए CJI दत्तू की बेंच ने जल्द सुनवाई के लिए चुने गए मामलों से मनमोहन सिंह (Manmohan Singh Coal Scam) की याचिका को हटाने का आदेश दिया था। अदालत ने कहा था कि मनमोहन सिंह की याचिका उसी समय सुनवाई के लिए सूचीबद्ध की जाएगी, जब उनके वकील दलीलें पूरी होने पर CBI और केंद्र द्वारा जवाब दाखिल करने और मनमोहन सिंह द्वारा प्रत्युत्तर देने पर बारी से पहले सुनवाई की मांग करेंगे
बता दें कि, मनमोहन सिंह ने अपनी याचिका में कहा था कि, ‘मौजूदा याचिका कानून के अहम सवाल उठाती है, जिसमें भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत सरकारी कार्यों और आपराधिक अभियोजन के बीच परस्पर क्रिया के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय से आधिकारिक घोषणा की मांग की गई है। खासकर उन मामलों में जहां कोई शिकायत भी नहीं है। आरोप की तो बात ही छोड़ ही दें।’