मुंगेली ओबीसी महासभा का कार्यक्रम लेखनी सोनू चंद्राकर के कर कमलों से शुभारंभ
लोरमी: ओबीसी महासभा जिला मुंगेली के द्वारा लोरमी के मानस मंच में मंडल वैचारिक संगोष्ठी कार्यक्रम का शुभारंभ जिला पंचायत अध्यक्ष लेखनी सोनू चंद्राकर ने बी पी मंडल जी के छायाचित्र में माल्यार्पण करके किया। उन्होंने कहा ओबीसी जन पहले जागरूक बनें, फिर समाज को जागरूक करने का काम करेंगे। कार्यक्रम में आमंत्रित करने आभार प्रकट किया।कार्यक्रम में ओबीसी महासभा के ,अधिकारी कर्मचारी प्रदेश महासचिव श्री स्वारथलाल जायसवाल ने अपने उद्बोधन में ओबीसी के उत्थान हेतु विभिन्न बातें रखी। मंडल दिवस के बारे में कहा मंडल आयोग के प्रथम अनुशंसा केंद्र सरकार के अधीन सभी सेवाओं में और सरकारी क्षेत्रों के उपक्रमों में 27% आरक्षण माननीय विश्वनाथ प्रताप सिंह द्वारा 7 अगस्त 1990 को लागू करने की घोषणा किया था, जिस के उपलक्ष में ओबीसी महासभा द्वारा यह आयोजन किया गया। जिला पंचायत अध्यक्ष लेखनी सोनू चंद्राकर ने ओबीसी के उत्थान हेतु ओबीसी के सभी जातियों को एकजुट होकर आवाज उठाते हुए सभी वर्गों को उनके हिस्से के अनुपात में आरक्षण दिया जाना चाहिए। लेकिन ओबीसी को उनका हक नहीं दिया जा रहा है इसके लिए सभी को आगे आना होगा। इसके अलावा रमेश कश्यप प्रदेश उपाध्यक्ष, आई पी यादव प्रदेश उपाध्यक्ष, श्री रामचंद्र साहू प्रदेश सह सचिव, ने महासभा के विस्तार के लिए सटीक योजना बताया,अभिलाष जायसवाल प्रदेश छात्र मोर्चा ने कहा ओबीसी महासभा मंडल जी के विचारों को उनके अनुशंसा को लेकर घर घर जाएंगे। जाति जनगणना और ओबीसी के साथ हो रहे लूट के लिए जनजागृति लाने गांव गांव जाने का लक्ष्य है। तहसील साहू संघ के अध्यक्ष राजेश साहू, पूर्व अध्यक्ष श्री बोधी राम साहू, रामनाथ जायसवाल, श्री बिहारी यादव, हुकुमीचंद जायसवाल, गणेश यादव,सभी ने कहा हमारे ओबीसी भाई को एवं हमारे जनप्रतिनिधि जो सोये है को पहले जगाना होगा तभी ओबीसी के अधिकारों की प्राप्ति होगी। इसके साथ अन्य कई अपने उद्बोधन में ओबीसी के हक एवं अधिकार एवं उनके सामाजिक शैक्षणिक आर्थिक उन्नति के लिए बातें कही।सम्मेलन में द्वारिका कश्यप, रोहन साहू, हीरामणि साहू, वीरेंद्र साहू ओबीसी के तहसील अध्यक्ष कुंदन यादव, युवा अध्यक्ष कैलाश श्रीवास एवं उनके पूरी टीम आदि ओबीसी भाई शामिल हुए। अंत में ओबीसी महासभा के जिलाध्यक्ष लोकेंद्र साहू ने आए हुए सभी पदाधिकारी एवं ओबीसी वर्ग के उपस्थित भाइयों का स्वागत किया एवं अपने उद्बोधन में बताया कि डॉक्टर भीमराव अंबेडकर द्वारा संविधान के अनुच्छेद 340 में सामाजिक शैक्षणिक आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग को सहायता दिया जाए। इसके परिपालन हेतु आयोग समिति गठन किया जाए इस हेतु 29 जनवरी 1953 में गठित आयोग काका कालेलकर आयोग गठन किया गया, जिसे 1955 में भारत सरकार के समक्ष प्रस्तुत की गई लेकिन समकालीन प्रधानमंत्री के द्वारा अस्वीकार कर दिया गया तत्पश्चात पिछड़ा वर्ग के उत्थान हेतु लगभग 26 वर्ष बाद प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के जनता पार्टी द्वारा मंडल आयोग का गठन किया गया। जिसका अध्यक्ष डॉक्टर बी पी मंडल को बनाया गया जिसे मंडल आयोग के नाम से जाना जाता है। जिसमें ओबीसी के उत्थान हेतु 40 अनुशंसा की गई आयोग की रिपोर्ट 1980 में तैयार हो गया था लेकिन 10 वर्षों तक वह धूल खाता रहा। कोर्ट में लटका रहा ।फिर 1990 में विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार ने सरकार आने पर मंडल कमीशन लागू करने की घोषणा किया और 7 अगस्त1990 को केंद्र सरकार के सभी नौकरियों उपक्रमों में 27% आरक्षण की शुरुआत किया जिस में भी कई विरोध उत्पन्न हुए। मंडल आयोग की दूसरी अनुशंसा 14 वर्ष पश्चात 2006 में केंद्र की शैक्षिक संस्थाओं में ओबीसी को 27% आरक्षण दिया गया लेकिन मंडल आयोग की अभी 38 अनुशंसा लागू करना बाकी है संविधान में कहा गया है कि कोई भी राज्य को नागरिकों के किसी भी सामाजिक एवं शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्ग की उन्नति के लिए कोई प्रावधान करने से नहीं रोकेगा। इस हेतु अविभाजित मध्य प्रदेश में 5 सितंबर 1980 में माननीय अर्जुन सिंह के द्वारा श्री राम जी महाजन विधायक के नेतृत्व में मध्य प्रदेश राम जी महाजन आयोग का गठन किया। जिसमें अविभाजित मध्यप्रदेश छत्तीसगढ़ में 35% आरक्षण की अनुशंसा किया गया था लेकिन राम जी महाजन आयोग की कईअनुशंसाओं को लागू नहीं किया गया और आरक्षण को 14% में सीमित कर दिया गया जो आज तक लागू है। बघेल सरकार द्वारा ओबीसी को 27% आरक्षण के विधेयक पारित किया गया लेकिन वह भी वर्तमान में राज्यपाल में अटका हुआ है। ओबीसी के उत्थान हेतु जब भी कोई आयोग का गठन की अनुशंसा या विधायक पारित होता है तो किस आधार पर यह अनुशंसा या विधायक पारित किया गया है बात लाकर कोर्ट में प्रकरण दायर कर निरस्त कर दिया जाता है। इस हेतु केंद्र सरकार को केंद्रीय जनगणना में जनगणना के कालम नंबर 13 के खंड 3 में ओबीसी का पृथक कालम एवं सामान्य का खंड 4 में पृथक कालम बनाए जाने हेतु ओबीसी महासभा द्वारा कई बार ज्ञापन सोपा गया है। लेकिन आज तक इस पर अमल नहीं लाया गया है और जनगणना को रोक के रखा गया। इस प्रकार ओबीसी समाज को 75 वर्षों से ठगा जा रहा है छत्तीसगढ़ में एससी को 13% याने उनकी जनसंख्या अनुसार 100% एसटी को 32%यानेउनकी जनसंख्या अनुसार 100%और ईडब्ल्यूएस को 10% यानी उनके जनसंख्या के अनुसार 200 प्रतिशत आरक्षण दिया गया लेकिन ओबीसी को अभी तक 14% में ही लटका कर रखा गया जो कि हमारी जनसंख्या की 25% कि आरक्षण है।आज तक ओबीसी के 80% लोग मजदूरी एवं कृषि मजदूरी पर ही आधारित है जिनका सामाजिक शैक्षणिक आर्थिक उत्थान नहीं हो पा रहा है और ना ही हमारे द्वारा नियुक्त जनप्रतिनिधियों द्वारा विचार किया जा रहा है ।यह चिंतनीय विषय है इसके अलावा छत्तीसगढ़ में ओबीसी महासभा द्वारा शराबबंदी करने का भी आह्वान किया गया है। जिससे घटना दुर्घटना नहीं होगी एवं तत्कालीन में जरूर राजस्व की हानि होगी लेकिन दीर्घकालीन राजस्व में फायदा ही होगी। अंतिम में आभार किया गया।