May 20, 2024

कोंडागांव के ग्राम पंचायत पाला के मोटका दादा की पहाड़ी पर खुदाई मे निकला शिवलिंग विराजे स्वयं भू महादेव

कोंडागांव आज जब आधुनिक समाज वैज्ञानिकता की दौड़ रहा है और अधिकांश समाज आस्तिक से नास्तिकता की ओर बढ़ रहा है। ऐसे संक्रमण काल में बस्तर दंडकारण्य के इस भू-भाग में मोटका दादा पहाड़ी पर मोटका दादा (एक पाषाण युगीन प्रतिमा) पूर्व से विराजमान हैं। और जिसे लोक किंवदंती की वजह से पूरा क्षेत्र मोटका दादा के नाम से जानता है। इसी छोटी सी पहाड़ी पर अब स्वयं भू महादेव विराजे हैं। यह अपने आप में एक प्रकृति का अद्भुत चमत्कार है। साथ ही बस्तर क्षेत्र में आदिकाल से सनातन संस्कृति को परिलक्षित करता है। यहां की पाषाण युगीन प्रतिमा के साथ अब विराट शिवलिंग का प्राकट्य प्रकृति अनुपम लीलाओं में से है। जिसे नमन ही किया जा सकता है। साथ आधुनिक वैज्ञानिक शोधों के लिए क्षेत्र में नये मापदण्ड के साथ रास्तों की शुरुआत भी हो सकता है।कोंडागांव जिला मुख्यालय से लगभग 20 किमी दूर कोंडागांव-नारायणपुर मार्ग पर अंधा मोड़ से बाईं ओर सीसीरोड ग्राम पंचायत पाला के जंगल में मोटका दादा पहाड़ी पर समय-समय पर पर्यटकों का आवागमन होता रहता है। 25 सितंबर 2023 की सुबह को हमेशा की तरह वन में घूमने के उद्देश्य से पर्यटक ग्राम उमरगांव अ निवासी माखनलाल सोड़ी,दयासागर मरकाम,जगदेव नेताम ने ग्राम राजबेड़ा(नरिहा)की ओर प्रस्थान करने के लिए घर से निकल पड़े। उन्होंने रास्ते में विचार किया कि मोटका दादा भी देखते हुए चलते हैं किन्तु मोटका दादा पहाड़ी इन्होंने नहीं देखा था पहली बार देखना चाह रहे थे फिर इन्होंने ग्राम पंचायत पाला के रोजगार सहायक मुन्नाराम दीवान से संपर्क किया और बताया कि हमें मोटका दादा पहाड़ी पर जाना है आप हमें लेकर चलिए। दीवान जी अपने दैनिक कार्य में व्यस्तता की वजह से अपने ही गांव के एक युवक बघेल को इनको दिखाकर लाने का आग्रह किया और फिर वो चल पड़े मोटका दादा पहाड़ी पर। वहां जाने पर मोटका दादा पहाड़ी पर स्थित मोटका दादा के दर्शन करने के बाद कौतूहलवश पहाड़ी पर यत्र तत्र घूम घूम बड़े पत्थरों को निहारने लगे। बड़े पत्थरों के बीच घास फूस पर एक पत्थर उभरा एक दो इंच जमीन से बाहर लिंग नुमा आकृति दिखाई दिया। फिर घास फूस पतों को हटाकर लकड़ी से कुरेदने पर और भी लिंग की आकृति बढ़ती गई। शिवलिंग की आकृति का आभास हुआ। इन्होंने इसकी सूचना आसपास के गांव लोगों और खोजी लेखक डॉ विश्वनाथ देवांगन’मुस्कुराता बस्तर’ को भी दी वे सभी भी वहां पहुंचे। उपस्थित लोगों के समक्ष गांव से लोहे का राड (सब्बल) लाकर से खुदाई करने पर शिवलिंग बड़ा आकार दिखाई दिया। फिर खुदाई कर शिवलिंग जमीन से बाहर निकाल कर उसी स्थान पर स्थापित कर दिया गया है। क्षेत्र के श्रद्धालुजन तब से प्रतिदिन पहुंच कर पूजा अर्चना कर अपनी खुशहाली की कामना करते हैं। जो स्वयं भू महादेव के नाम से जाना जाने लगा है। सुरम्य वनाच्छादित वादियों के बीच महाकाल शिव शंभू का अवतरण निश्चित ही क्षेत्र में खुशहाली का संकेत है। क्षेत्रवासियों में खुशियों की लहर है। दिनों दिन श्रद्धालुओं की संख्या में इजाफा हो रहा है।पाला के मोटका दादा पहाड़ी और आसपास की नदी के बहाव क्षेत्र में पिकनिक सैर सपाटे आदि कुल मिलाकर भविष्य में पर्यटन की संभावनाएं हैं। यहां की वादियों में शहरी चकाचौंध से धूत लोगों के मन को सुकून की बयार में बदला जा सकता है। यहां वनाच्छादित क्षेत्र होने से वनों का संरक्षण के साथ पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।