आपातकाल के 50 साल पर पीएम मोदी ने कांग्रेस को घेरा, किए लगातार 4 पोस्ट
1977 में लगे आपातकाल को आज 50 वर्ष पूरे हो गए हैं. इमरजेंसी की कड़वी यादों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस पर तीखा हमला बोला है. मंगलवार 25 जून 2024 को पीएम मोदी ने अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स के जरिए कांग्रेस और आपातकाल पर अटैक किया है. उन्होंने एक या दो नहीं बल्कि एक के बाद एक चार पोस्ट किए हैं. इन पोस्ट के जरिए नरेंद्र मोदी ने कहा कि ये दिन उन महापुरुषों को याद करने का दिन है जिन्होंने इमरजेंसी का विरोध किया है. आइए जानते हैं पीएम मोदी ने आपातकाल के 50 साल पर क्या कुछ पोस्ट किया है.
डार्क डे ऑफ डेमोक्रेसीः पीएम मोदी
पीएम मोदी ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में सबसे पहले जो संदेश लिखा उसमें उन्होंने इस दिन को डार्क डे ऑफ डेमोक्रेसी करार दिया. यानी लोकतंत्र के काले दिन के रूप में उन्होंने इमरजेंसी को याद किया. पीएम मोदी ने कहा- ये दिन उन महापुरुषों और महिलाओं को श्रद्धांजलि देने का है जिन्होंने इस आपातकाल के खिलाफ आवाज उठाई. जिन लोगों ने इमरजेंसी का विरोध किया.
उन्होंने लिखा कि ये काला दिन हमें याद दिलाता है कि किस तरह कांग्रेस पार्टी ने बिनियादी स्वतंत्रताओं को खत्म किया और भारत के संविधान को भी रौंद डाला. जिस संविधान का हर भारतीय सम्मान करता है उसे दबाने की पूर जोर कोशिश की गई.
कांग्रेस में आज भी आपातकालीन वाली मानसिकता
पीएम मोदी ने लिखा- कांग्रेस पार्टी अब भी आपातकाल वाली मानसिकता पर ही चल रही है. उन्होंने नाम लिए बगैर राहुल गांधी पर भी तीखा हमला बोला- उन्होंने कहा कि जिसने आपातकाल लगाया उसी मानसिकता के लोग अब भी कांग्रेस में मौजूद हैं. ये लोग संविधान के प्रति अपने तिरस्कार को दिखावे के जरिए छुपाने का काम करते हैं. हालांकि देश की जनता इन लोगों को समझ चुकी है और यही वजह है कि जनता ने ऐसे लोगों को नकार दिया है.
संविधान के प्रति प्रेम न दिखाएं आपातकाल लगाने वाले
प्रधानमंत्री ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि ऐसे लोग संविधान के प्रति अपना प्रेम न दिखाएं, जिन्होंने देश में आपातकाल लगाया है. इन लोगों को ये अधिकार नहीं है. यही नहीं पीएम मोदी ने ये भी लिखा कि जिन लोगों ने अनेक बार अनुच्छेद 356 थोपा, प्रेस की आजादी को समाप्त करने वाला विधेयक तक पारित कर दिया, संघवाद को खत्म किया और संविधान के हर पहलू का सिरे से नकार दिया ऐसे लोगों को कोई अधिकार नहीं कि वह संविधान के प्रति अपना प्रेम दिखाएं.