November 22, 2024

हेल्थ को लेकर 50 फीसदी भारतीय कर रहे हैं ये लापरवाही, चौंकाने वाली है WHO की रिपोर्ट

भारतीय लोगों को स्वास्थ्य को लेकर वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) ने एक रिपोर्ट जारी की है. ये रिपोर्ट ग्लोबल हेल्थ मैगजीन लैंसेट में पब्लिश हुई है. इस रिपोर्ट में चौंकाने वाला दावा किया है जिसके मुताबिक तकरीबन 50 फीसदी भारतीय वयस्क इतने आलसी हो गए हैं कि वो हर दिन के लिए जरूरी न्यूनतम फिजिकल एक्टिविटी भी नहीं करते हैं. इस रिपोर्ट में जो दावे किए गए हैं, उनके बारे में आपको जरूर जानना चाहिए.

स्टडी में पाया गया है कि भारत में पुरुषों की तुलना में महिलाएं पर्याप्त फिजिकली एक्टिविटी नहीं करती हैं. ऐसे पुरुषों की संख्या 42 फीसदी जबकि महिलाओं की संख्या तकरीबन 57 फीसदी है. WHO की रिपोर्ट के अनुसार, वयस्कों के पर्याप्त रूप से फिजिकली एक्टिव नहीं होने के मामले में साउथ एशिया का दूसरा स्थान है. वहीं हाई इनकम वाला एशिया पैसिफिक रीजन (Asia Pacific region) वयस्कों के फिजिकली एक्टिव नहीं होने के मामले में पहले स्थान पर काबिज है.

रिसर्चर्स का कहना है कि विश्व स्तर पर 31.3 फीसदी व्यस्क लोग पर्याप्त रूप से फिजिकिली एक्टिव नहीं हैं. स्टडी में बताया गया है कि लोगों सप्ताह में 150 मिनट की मॉडरेट इंटेसिटी वाली फिजिकल एक्टिविटी या फिर सप्ताह में 75 प्रतिशत हाई इंटेसिटी वाली फिजिकल एक्टिविटी जरूर करनी चाहिए.

स्टडी में पाया गया है कि 2010 में फिजिकली एक्टिव नहीं रहने वाले वयस्कों की संख्या 26.4 फीसदी थी. 2022 के आंकड़े में 5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. 2000 में तकरीबन 22 फीसदी भारतीय वयस्क जरूरी निम्नतम फिजिकल एक्टिविटी भी नहीं करते थे. इसके बाद 10 सालों में ये आंकड़ा बढ़कर 34 फीसदी हो गया. वहीं, 2022 में ऐसे लोगों की संख्या तकरीबन 50 फीसदी हो गई. स्टडी में 2030 ऐसे लोगों की संख्या 60 फीसदी होने का अनुमान जताया गया है.

फिजिकिली इनएक्टिविटी की वजह से लोगों में डायबिटिज और हर्ट डिजिज् सहित कई बिमारियों का जोखिम बढ़ रहा है. WHO के अनुसार फिकिजिकल एक्टिविटी कम होने से इन बीमारियों के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है, जिससे हेल्थकेयर सिस्टम पर बोझ पड़ रहा है.

द लैंसेट डायबिटीज एंड एंडोक्रिनोलॉजी जर्नल में प्रकाशित 2023 इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च-इंडिया डायबिटीज (ICMR-INDIAB) की एक स्टडी में अनुमान लगाया गया है कि 2021 में भारत में 10.1 करोड़ लोग डायबिटीज से पीड़ित थे. हाई बीपी के शिकार लोगों की संख्या 31.5 करोड़ थी. वहीं तकरीबन 25.4 करोड़ लोग मोटापे के शिकार थे, जबकि 18.5 करोड़ लोग हाई कोलेस्ट्रोल से जूझ रहे थे.