पुसबाका स्कूल के प्रधान पाठक की बल्ले-बल्ले,बिना ज्वाईनिंग ले रहे छः माह से वेतन।
दैनिक उपस्थिति पंजिका में ना हस्ताक्षर न हीं सीएससी का वेतन प्रमाणीकरण।
खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) का भी अप्रत्यक्ष संरक्षण।
खंड शिक्षा अधिकारी के संरक्षण में चल रहा सारा खेल-सूत्र
बीजापुर-शिक्षा विभाग के खंड शिक्षा अधिकारी उसूर के अभयदान की वजह से पुसबाका स्कूल के प्रधान पाठक की बल्ले-बल्ले है और बिना ज्वाईनिंग छः माह से वेतन ले रहें हैं।वामपंथी माओवाद की आड़ पर धुर माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में पदस्थ शिक्षक अपने मूल स्कूलों में अपनी सेवाएं नहीं दे रहें।उल्टे ऐसे लोगों पर कार्यवाही करने की बजाए उनको उपकृत किया जा रहा है जिसके कारण ऐसे शिक्षकों पर प्रशासनिक खौफ नजर नहीं आ रहा है।जिसके कारण शिक्षा विभाग पर सवालिया निशान लगना लाजिमी है।
बीजापुर जिले के उसूर ब्लाक में एक मामला प्रकाश में आया है।प्राथमिक शाला पुसबाका के प्रधान पाठक रामकृष्ण पेदमपल्ली ने 06 माह से ज्वाइनिंग नहीं दिया है और इसके बाद भी वह वेतन लेकर मौज कर रहा है।तत्कालीन सरकार में रामकृष्ण पेदमपल्ली को मंडल संयोजक बनाया गया था और सरकार बदलते ही रामकृष्ण पेदमपल्ली को 18 जनवरी 2024 को मुल पद पर वापस भेज दिया गया है तथा 18 जुलाई 2024 को छः माह हो गया किंतु उन्होंने ज्वाइनिंग भी नहीं दी है जिसके बावजूद भी वेतन बराबर दिया जा रहा है।
ज्ञात हो कि भारतीय जनता पार्टी शासनकाल में पुसबाका स्कूल को बंद किया गया था तथा शिक्षकों को यहां-वहां मर्ज किया था।कांग्रेस पार्टी की सरकार ने बंद पड़े स्कूलों को खोला।पुसबाका स्कूल में एक प्रधान पाठक,सहायक शिक्षक व शिक्षा दूत की पदस्थापना किया।जिसके तहत प्रधान पाठक की जिम्मेदारी रामकृष्ण पेदमपल्ली को दी गई किंतु पदस्थापना के बाद भी प्रधान पाठक रामकृष्ण पेदमपल्ली ने वहां ज्वाईनिंग नहीं दी।जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण दैनिक हाजिरी रजिस्टर में है।जहां उनका नाम दर्ज नहीं है।
*बगैर सीएससी की अनुशंसा के वेतन आहरण——-
स्कूलों के निरीक्षण में शिक्षा विभाग द्वारा संकुल शिक्षकों की पदस्थापना किया जाता है और वह स्कूलों का भ्रमण करते हैं तथा उपस्थित -अनुपस्थित की जानकारी व वेतन प्रमाण पत्र (पे-डाटा) देते हैं उसके बाद ही शिक्षकों का वेतन क्लियर होता है।लेकिन प्रधान पाठक रामकृष्ण पेदमपल्ली के वेतन आहरण पंजी पर हस्ताक्षर ही नहीं है तो कैसे वेतन निकल रहा है वह जांच का विषय है।
क्या कहते है संकुल समन्यवयक—–
उसूर विकाशखण्ड में पदस्थ संकुल समन्वयक राम बाबू बीराबोइना का कहना है कांग्रेस के सरकार में रामकृषणा मंडल संयोजक थे।सरकार बदलने के बाद जनवरी में उनको संकुल समन्वयक बनाया गया।कलेक्टर ने उनको इस पद से हटा डीह और मूल संस्था में जाने का आदेश दिया।लेकिन आज तक रामकृषणा ने जोइनिंग नही दी है।संकुल समन्यवयक का काम स्कूलों का भ्रमण कर शिक्षकों की उपस्थित-अनुपस्थित की जानकारी व वेतन प्रमाण पत्र (पे-डाटा) देने का है।उसके बाद ही शिक्षकों का वेतन क्लियर होता है।लेकिन प्रधान पाठक रामकृष्ण पेदमपल्ली के वेतन आहरण पंजी पर हस्ताक्षर ही नहीं है तो कैसे वेतन निकल रहा है।इस संबंध में खंड शिक्षा अधिकारी ही बता सकते है।
खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) का भी अप्रत्यक्ष संरक्षण-–—-
खंड शिक्षा अधिकारी संतोष गुप्ता को प्रधान पाठक रामकृष्ण पेदमपल्ली के छः माह तक गैरहाजिर रहने के बावजूद वेतन दिए जाने के संदर्भ में अवगत कराया गया तो संतोष गुप्ता का कहना है कि उन्होंने ज्वाईनिंग दे दिया है इसलिए उनका वेतन दिया जा रहा है।
खंड शिक्षा अधिकारी के संरक्षण में चल रहा सारा खेल—-
अब यह सवाल उठता है कि दैनिक पंजी में हस्ताक्षर नहीं है ना ही सीएससी का वेतन प्रमाणीकरण नहीं है।फिर कैसे वेतन निकल रहा है।यह जांच का विषय है।
इसी प्रकार उसूर ब्लॉक में ऐसे ही कई शिक्षक है जो कई माह से स्कूल बिना गये वेतन ले रहे हैं कही ना कही अधिकारी या राजनेता के शरण के चलते संबंधित शिक्षक का वेतन आहरण हो रहा है।
बॉक्स— हमारे सूत्र बता रहे है कि खंड शिक्षा अधिकारी के संरक्षण में उसूर विस्कसखण्ड में कई ऐसे शिक्षक है जो स्कूल जाना छोड़ ठेकेदारी के साथ साथ अन्य काम करते है और विभाग से बराबर वेतन भी लेते है और उच्चाधिकारियों को कमिसन भी देते है।