1-2 नहीं इस जन्माष्टमी पर बन रहे कुल 3 दुर्लभ योग, किन्हें मिलेगा लाभ?
26 अगस्त 2024 को दुनियाभर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाई जा रही है. इसकी तैयारियां जोरों पर चल रही है. वृंदावन-मथुरा में तो इस दिन लोगों के बीच अलग ही उत्साह देखने को मिलता है. सिर्फ भारत ही क्यों विदेशों में भी कृष्ण की पॉपुलैरिटी है और विदेश में भी लोग धूमधाम से इस दिन को सेलिब्रेट करते हैं. इस बार जन्माष्टमी के मौके पर काफी लाभकारी और फलदायक योग बन रहे हैं. लेकिन ताज्जुब की बात तो ये है कि सिर्फ एक योग नहीं बन रहे. कुल तीन योग बन रहे हैं. इन तीनों योग फल प्राप्ति के योग हैं और इनकी अपनी-अपनी अलग महत्ता भी है. आइये जानते हैं कि श्री कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर इन तीनों योग की क्या उपयोगिता है.
द्वापर युग जैसे बन गए योग
इस बार कृष्ण जन्माष्टमी पर भगवान द्वापर युग के दुर्लभ संयोग के मौके पर जन्म ले रहे हैं. ये संयोग काफी लाभदायक सिद्ध हो सकता है. मथुरा में चंद्रउदय का समय रात 11 बजकर 24 मिनट बताया जा रहा है. इस मौके पर श्री कृष्ण 5251वें वर्ष में प्रवेश कर जाएंगे. द्वापर युग की बात करें तो उसमें भी भगवान कृ्ष्ण, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष के रोहणी नक्षत्र की निशीथ बेला में जन्में थे. उनका जन्म मथुरा में कंस के कारागार में हुआ था. उस दौरान द्वापर युग में ऐसे ही योग बने थे. ऐसे में इस वक्त की महत्ता और भी बढ़ गई है और ये बहुत ही शुभ बेला मानी जा रही है.
चंद्रमा से भी है खास कनेक्शन
इस साल जन्माष्टमी के दिन चंद्रमा वृषभ राशि में रोहिणी नक्षत्र में है. ऐसा भी द्वापर युग में कृष्ण के जन्म के दौरान देखने को मिला था. इसकी दौरान शशराज योग, गाजकेसरी योग और सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहे हैं जो फलदायक हैं. इसके अलावा इस बार जन्माष्टमी चंद्रवार को पड़ रही है. मतलब की जन्माष्टमी इस बार सोमवार को पड़ रही है. इसे चंद्रवार भी कहा जाता है. चंद्रमा का श्रीकृष्ण के जन्म से गहरा संबंध माना जाता है. कहते हैं जब कृष्ण का जन्म इस धरती पर हुआ था उसी दौरान आकाश में चंद्रमा का भी उदय माना जाता है. कृष्ण में संपूर्ण 16 कलाएं थीं. वहीं चंद्रमा में भी 16 कलाएं होती हैं. इसलिए ये योग भी लाभकारी है.