November 23, 2024

बारिश में घर या दुकान को हुआ नुकसान, अब सरकार देगी मुआवजा

मॉनसून के मौसम में भारी बारिश और बाढ़ के चलते कई इलाकों में कुदरत का कहर बरपता है. इस कहर की वजह से कई लोग तबाह हो जाते हैं. खास तौर पर लोगों के जीवन की सबसे बड़ी कमाई कहे जाने वाले घर और दुकान तक कुदरत की मार की चपेट में आ जाते हैं. पहाड़ हों या फिर मैदानी इलाके हर जगह बारिश और बाढ़ लोगों के लिए एक बड़ा खतरा लेकर आती है. लेकिन अब बाढ़ की वजह से मकान और दुकान तबाह हो रहे हैं तो घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि अब आपकी चिंता सरकार ने ले ली  है. जी हां आपके घर और दुकान को बाढ़ से होने वाले नुकसान की भरपाई सरकार करेगी यानी आपकी मिलेगा इसका मुआवजा. अब आप सोच रहे होंगे कि मुआवजा कैसे मिलेगा. आइए जानते हैं कि इसके बारे में सबकुछ.

हर जगह बारिश का कहर

देश के कई राज्यों में इन दिनों बारिश और बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है. गुजरात से लेकर उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र आदि तक हर जगह मॉनसून कुछ ज्यादा ही मेहरबान नजर आ रहा है. ऐसे में अगर आपको लगता है कि आपका मकान या दुकान भी बारिश या फिर बाढ़ में बह गया है तो आपको सरकार की ओर से इसका मुआवजा दिया जाएगा.

कौन देता है मुआवजा

बता दें कि किसी भी स्टेट में बारिश और बाढ़ या फिर किसी ओर प्राकृतिक आपदा की वजह से आपकी संपत्ति का नुकसान होता है तो इस नुकसान के आकलन की जिम्मेदारी जिला प्रशासन की होती है. दरअसल कलेक्टर यानी एसडीएम किसी भी इलाके में हुए नुकसान का आंकलन अपने अधिकारियों के साथ मिलकर करता है. इसके बाद एक रिपोर्ट तैयार की जाती है.

इस रिपोर्ट को प्रदेश सरकार के आला अधिकारियों को भेजा जाता है. इस रिपोर्ट की जांच उच्च अधिकारियों की ओर से की जाती है और इसी जांच के आधार पर प्रदेश सरकार मुआवजे का ऐलान भी करती है. ये मुआवजा आपको नुकसान पर भी निर्भर करता है. दरअसल केंद्र के साथ-साथ प्रदेश स्तर पर भी सरकार के पास डिजास्टर फंड होता है जो इस तरह के नुकसान की भरपाई पर खर्च किया जाता है.

आपको क्या करना है

अगर आपका घर या दुकान भी इस तरह से बारिश औऱ बाढ़ की चपेट में आ गया है तो आप सबसे पहले इसकी जानकारी अपने इलाके के नगरपालिका में नगर परिषद में या फिर पंचायत स्तर पर सूचना दें.

इसके बाद इन्हीं जगह जहां आपने सूचना दी है वहां के संबंधित अधिकारी की ओर से शिकायत जिला कलेक्टर कार्यालय तक पहुंचाई जाती है. कलेक्टर इसके आधार पर एक रिपोर्ट तैयार करता है और उसी रिपोर्ट को प्रदेश के उच्च अधिकारियों तक पहुंचाया जाता है.