November 25, 2024

गणेश चतुर्थी पर किस तरह की मूर्ति लाएं घर, क्या है स्थापना की सही विधि?

हिन्दू धर्म में गणेश चतुर्थी का पर्व बहुत महत्व रखता है. गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश की मूर्ति घर लाना और उनकी पूजा करना एक विशेष अनुष्ठान है, लेकिन गणेश चतुर्थी से पहले मूर्ति का चयन और स्थापना की विधि दोनों का जानना बहुत महत्वपूर्ण हैं. ऐसी मान्यता है कि गणेश चतुर्थी से पहले पारंपरिक रूप से मिट्टी की मूर्तियां सबसे अधिक पसंद की जाती हैं. इनका पर्यावरण पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता और इन्हें आसानी से विसर्जित भी किया जा सकता है. इसके अलावा पीतल, तांबा या पंचधातु की मूर्तियां भी घर लाना शुभ माना जाता है.

गणेश चतुर्थी के मौके पर ज्यादातर लोग मिट्टी से बनी गणपति की मूर्ति घर लाते हैं. लेकिन, क्या आप जानते हैं किन चीजों से बनी मूर्ति बहुत शुभ मानी जाती है. किन चीजों से बनी मूर्ति को घर लाने से कार्यों में रही बाधाएं दूर होती हैं. साथ ही घर में धन दौलत की कमी नहीं होती है. अगर आप अपने घर में गणेश उत्सव मनाने जा रहे हैं तो भगवान गणेश की मूर्ति का आकार आपके घर के आकार के अनुसार होना आवश्यक है. बहुत बड़ी या बहुत छोटी मूर्ति न लें. आप अपनी पसंद के अनुसार किसी भी मुद्रा में गणेश जी की मूर्ति ले सकते हैं. जैसे कि, विघ्नहर्ता, उमा महेश्वर, आदि.

द्रिक पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 06 सितंबर को दोपहर 03 बजकर 01 मिनट पर शुरू होगा और 07 सितंबर को शाम 05 बजकर 37 मिनट तक रहेगी. गणेश चतुर्थी के दिन मध्याह्न गणपति पूजा मुहूर्त सुबह 11 बजकर 03 मिनट से दोपहर 01 बजकर 33 मिनट तक रहेगा. पूजन की कुल अवधि 02 घंटे 31 मिनट है.

गणेश चतुर्थी के मौके पर ज्यादातर लोग मिट्टी से बनी गणपति की मूर्ति घर लाते हैं. लेकिन, क्या आप जानते हैं किन चीजों से बनी मूर्ति बहुत शुभ मानी जाती है. किन चीजों से बनी मूर्ति को घर लाने से कार्यों में रही बाधाएं दूर होती हैं. साथ ही घर में धन दौलत की कमी नहीं होती है. अगर आप अपने घर में गणेश उत्सव मनाने जा रहे हैं तो भगवान गणेश की मूर्ति का आकार आपके घर के आकार के अनुसार होना आवश्यक है. बहुत बड़ी या बहुत छोटी मूर्ति न लें. आप अपनी पसंद के अनुसार किसी भी मुद्रा में गणेश जी की मूर्ति ले सकते हैं. जैसे कि, विघ्नहर्ता, उमा महेश्वर, आदि.

द्रिक पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 06 सितंबर को दोपहर 03 बजकर 01 मिनट पर शुरू होगा और 07 सितंबर को शाम 05 बजकर 37 मिनट तक रहेगी. गणेश चतुर्थी के दिन मध्याह्न गणपति पूजा मुहूर्त सुबह 11 बजकर 03 मिनट से दोपहर 01 बजकर 33 मिनट तक रहेगा. पूजन की कुल अवधि 02 घंटे 31 मिनट है.

गणेश चतुर्थी पर ऐसे करें स्थापना

  • गणेश चतुर्थी के दिन सुबह या दोपहर में शुभ मुहूर्त में मूर्ति स्थापित करें. आप किसी पंचांग से शुभ मुहूर्त निकाल सकते हैं.
  • मूर्ति को घर के उत्तर या पूर्व दिशा में स्थापित करें. यह स्थान साफ-सुथरा और शांत होना चाहिए.
  • मूर्ति स्थापित करने के लिए एक मंडप सजाएं. आप फूलों, रंगोली और दीपक से मंडप को सजा सकते हैं.
  • मंडप में एक कलश स्थापित करें. कलश में गंगाजल, रोली, चावल, कुछ सिक्के और एक आम का पत्ता डालें.
  • कलश के सामने मूर्ति को स्थापित करें. मूर्ति के पैरों के पास एक छोटा सा दीपक जलाएं.
  • मूर्ति को गंगाजल से स्नान कराएं. फिर धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें. गणेश स्तोत्र का पाठ करें.
  • मूर्ति को फूलों से सजाएं और चंदन का तिलक लगाएं और अंत में भगवान गणेश से आशीर्वाद लें.
  • गणेश जी की मूर्ति को नियमित रूप से फूल और जल चढ़ाएं.

इस रंग की लाएं प्रतिमा

अगर आप अपने घर भगवान गणेश की मूर्ति लेकर आ रहे हैं तो ऐसे में आपको उसके रंग का खास ख्याल रखना चाहिए. कोशिश करें कि अगर आप एक नई मूर्ति ला रहे हैं तो ऐसे में उसका रंग सफेद हो. इस रंग को पवित्रता का प्रतीक होता है और इस रंग की मूर्ति लाने से घर पर शांति और समृद्धि का वास होता है. इसके अलावा गणेश चतुर्थी से पहले भगवान गणेश की बाईं तरफ झुकी हुई सूंड वाली मूर्ति लाएं. इस तरह की मूर्ति लाने से समृद्धि और खुशी आती है.

इस दिशा में स्थापित करें मूर्ति

अगर आप एक नई मूर्ति घर पर ला रहे हैं तो ऐसे में वह बैठी हुई मुद्रा या ललितासन वाली मुद्रा में होनी चाहिए. यह जो आसन या फिर मुद्रा होती है वह आपको शांति और आराम देती है. भगवान गणेश की मूर्ति की सही दिशा घर के पश्चिम, उत्तर और उत्तर-पूर्वी कोनों में मानी जाती है. आपको मूर्ति को इसी दिशा में स्थापित करना चाहिए.