नारी शक्ति और लोक कल्याण की प्रतिमूर्ति लोकमाता अहिल्याबाई:
लोरमी
मानवता लोक कल्याण दीन दुखियों की सेवा परमार्थ कार्य के लिए भारतीय नारी में आदर्श लोकमाता अहिल्याबाई रही। शशांक शेखर स्किल डेवलपमेंट सेंटर में संजय सिंह राजपूत ने कहा कि लोकमाता अहिल्याबाई बाल्य काल से ही शिव भक्ति और अद्भुत प्रतिभा की धनी रही है। इंदौर के महाराजा मल्हार राव होलकर पुणे जाते समय चौंडी गांव में विश्राम के लिए रुके उसे दिन मंदिर गए तो कम उम्र की बच्ची को शिव स्त्रोत पढ़ते हुए सुन एकाग्रचित होकर पढ़ते हुए सुने तो उनकी भक्ति को देखकर मंत्र मुक्त हो गए मंत्र मुग्ध हो गए और उसे बच्ची को अपना इंदौर राजघराने का पुत्र वधू बनने का प्रस्ताव माणिको जी शिंदे के पास रखा इस प्रकार चरवाहा की बेटी इंदौर राजघराना की पुत्र वधू बन गई। अहिल्याबाई ने बद्रीनाथ से लेकर के रामेश्वर तक और द्वारका से लेकर पूरी तक मुस्लिम आक्रांताओं द्वारा तोड़े गए मंदिर का जीर्णोद्धार किया। तीर्थ यात्री के लिए अन्य प्रसादम पीने के लिए बावली,तालाब,कुंआ और नदी किनारे घाट निर्माण कराया। दीन दुखी बीमार पीड़ित असहाय कमजोर के मदद करने के कारण उन्हें जनमानस ने लोकमाता मातोश्री पुण्यश्लोका और प्रजावात्सला कहकर संबोधित किये। जाति पाति छुआछूत को दूर करने के लिए उनके द्वारा कठोरता पूर्वक प्रयास किया गया। पति द्वारा राजकीय संपत्ति के फिजूल खर्ची पर उन्हें भी न्यायमूर्ति के रूप में दंडित किया। उन्होंने अपने नाम के जगह भगवान शिव के नाम से राज पाठ संभाल और राजकीय हस्ताक्षर में शिव शंकर लिखकर के अपने शिव भक्ति का अनूठा आदर्श स्थापित की। इस अवसर पर विश्व हिंदू परिषद के कीर्ति वैष्णव,देवेंद्र पांडेय और शिक्षिका पद्मिनी मानिकपुरी उपस्थित रहे।