November 15, 2024

कहीं ऐसा न हो, यह चुनावी फिरकी ही साबित हो जाए झारखंड में समान नागरिक संहिता जरूर लागू होगी

मगर आदिवासी समुदायों की पहचान व विरासत पूरी तरह संरक्षित की जाएगी। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भाजपा का संकल्प पत्र जारी करते हुए यह घोषणा की। अमित शाह ने भाजपा के सत्ता में वापस लौटने पर राज्य की प्रत्येक महिला को गोगो योजना के तहत इक्कीस सौ रुपये देने का वादा भी किया।
समान नागरिक संहिता को देश भर में लागू करने का वादा 2024 के आम चुनाव में भाजपा पहले ही कर चुकी है जिसमें देश के सभी नागरिकों के लिए समान नियम स्थापित करने का प्रस्ताव है। विवाह, तलाक, विरासत व संपत्ति का अधिकार इसमें शामिल हैं।
जनसंघ के काल से ही सभी नागरिकों के लिए समान संहिता की बात उठती रही है जिसे भाजपा ने पिछले कुछ समय से पारिवारिक कानूनों में एकरूपता के नाम पर परिभाषित किया। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 44 के तहत राज्य के निर्देशक सिद्धांतों के रूप में इसे शामिल किया गया है परंतु इसे जबरन कानून के जरिए लागू नहीं किया जा सकता। यह सिर्फ मार्गदर्शक सिद्धांत है। तमाम विवादों के बाद आदिवासी संस्कृति को इससे अलग करने का दबाव है।
शायद इसीलिए आदिवासी इलाकों के मतदाताओं को प्रभावित करने के लोभ में पार्टी को अपने विचार में मुलायमियत दिखानी पड़ रही है। आदिवासियों के वोटों का महत्त्व पार्टी समझ रही है। उन्हें यूसीसी के नाम पर छिटकने नहीं देना चाहती। आदिवासियों की परंपराओं व स्थानीय रीतियों में इस नियम के बाद पाबंदी लगने का भय दिखा कर विपक्ष इस वोट बैंक को अपने पक्ष में करने को लालयित रहा है। शाह के स्पष्टीकरण से उनकी मंशा पर पानी फिर सकता है।
विभिन्न धर्मावलंबियों की परंपराएं व रीतियां भिन्न हैं। विपक्षी दल बार-बार यही आरोप लगाते हैं कि सरकार की मंशा उन पर रोक लगाने की है। हालांकि कुछ आदिवासी समुदायों में महिलाओं को पहले ही तमाम अधिकार प्राप्त हैं। इसीलिए भाजपा को अपना कदम पीछे खींचने को मजबूर होना पड़ा।
रही बात प्रलोभन देने की तो यह भारतीय राजनीति का प्रमुख अस्त्र है। सरकारें पहले अपनी जिम्मेदारियां निभाने में कोताही करती हैं पर ऐन चुनाव के दौरान उन्हें जनता को होने वाली दिक्कतों का अहसास होता है।
सुधारवादी कदम उठाते हुए सरकार को जनता की भावनाओं का ख्याल रखना चाहिए। कहीं ऐसा न हो, यह चुनावी फिरकी ही साबित हो जाए।
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