‘मातृभाषा में शिक्षा भारतीय छात्रों के लिए न्याय के नए रूप की शुरुआत..’, राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर पीएम मोदी का अहम संबोधन
नई दिल्ली: प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने आज यानि शनिवार (29 जुलाई) को कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत शिक्षा में मातृभाषा के उपयोग ने भारत में छात्रों के लिए “न्याय का एक नया रूप” शुरू किया और इसे सामाजिक न्याय की दिशा में एक “बहुत महत्वपूर्ण कदम” करार दिया। पीएम मोदी ने NEP 2020 की तीसरी वर्षगांठ के अवसर पर शनिवार को दिल्ली के भारत मंडपम में अखिल भारतीय शिक्षा समागम का उद्घाटन किया। दो दिवसीय कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए, पीएम ने कहा कि दुनिया भारत को “नई संभावनाओं की नर्सरी” के रूप में देख रही है और कई देशों ने भारत को IIT परिसर खोलने के लिए आमंत्रित किया है।
इस बात पर जोर देते हुए कि किसी भी छात्र के साथ सबसे बड़ा अन्याय उनकी क्षमताओं के बजाय उनकी भाषा के आधार पर उनका मूल्यांकन करना है, पीएम मोदी (Pm Modi on NEP 2020) ने कहा, “मातृभाषा में शिक्षा भारत में छात्रों के लिए न्याय के एक नए रूप की शुरुआत कर रही है। यह सामाजिक न्याय की दिशा में भी एक बहुत महत्वपूर्ण कदम है।” कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने 12 भारतीय भाषाओं में अनुवादित शिक्षा और कौशल पाठ्यक्रम की पुस्तकों का भी विमोचन किया। बता दें कि, NEP 2020 स्कूल और उच्च शिक्षा दोनों स्तरों पर क्षेत्रीय और भारतीय भाषाओं में शिक्षा प्रदान करने की वकालत करता है। पीएम मोदी ने प्रधानमंत्री स्कूल फॉर राइजिंग इंडिया (पीएम-एसएचआरआई) के तहत 6,207 मौजूदा स्कूलों के उन्नयन के लिए 630 करोड़ रुपये की पहली किस्त भी जारी की। यह रेखांकित करते हुए कि दुनिया के कई विकसित देशों को अपनी स्थानीय भाषा के कारण बढ़त मिली है, पीएम मोदी ने कहा कि अधिकांश देश अपनी मूल भाषाओं का उपयोग करते हैं। उन्होंने कहा कि, “हालांकि भारत में स्थापित भाषाओं की एक श्रृंखला है, उन्हें पिछड़ेपन के संकेत के रूप में प्रस्तुत किया गया था, और जो लोग अंग्रेजी नहीं बोल सकते थे उन्हें उपेक्षित किया गया था और उनकी प्रतिभा को मान्यता नहीं दी गई थी। परिणामस्वरूप, ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चे सबसे अधिक प्रभावित हुए।”