November 23, 2024

जिले में नल जल योजना चढ़ा भ्रष्टाचार की भेंट—-

 

बीजापुर-सरकार की अति महत्वपूर्ण और महत्वाकांक्षी नल जल योजना के द्वारा हर घर में नल से जल पहुंचाने का उद्देश्य है और इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए सरकार द्वारा हर गांव में जल जीवन मिशन के माध्यम से टंकी बनाकर हर घर को नल कनेक्शन का काम किया जा रहा है,कार्य प्रगति पर है,किसी न किसी गाँव में हर रोज भूमिपूजन कार्य किए जा रहे हैं ताकि ग्रामीण महिलाओं को सिर पर दूर दराज के कुँए और हैंडपंपों से पानी न ढोना पड़े,लेकिन सरकार की इस योजना को भ्रष्टाचार का दीमक लग गया है और जिम्मेदारों ने आँखे बंद कर ली हैं।

देश-प्रदेश की तरह ही बीजापुर जिले के चारो विकासखंडों में भी जल जीवन मिशन के तहत नल जल योजना का काम चल रहा है।लेकिन ठेकेदार ने विभागीय अधिकारियों की मिली भगत से सरकार द्वारा तय मानकों को ठेंगा दिखाकर योजना को भ्रष्टाचार की बलि चढ़ा दिया है।लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के द्वारा ठेकेदारों की मदद से नल जल योजना की पाइपलाइन डाली जारही है और यह योजना ठेकेदार की मनमानी से गुणवत्तापूर्ण की जगह भृष्टाचार की भेंट चढ़ रहा है।इस भ्रष्टाचार से अधिकारी भलीभांति परिचित हैं।लेकिन सबका अपना हिस्सा तय है। नलों से घर में पानी आने से पहले ही योजना के सरकारी पैसे को पानी की तरह बहाया गया और यह खबर चारों तरफ लीक हो गई है।सवाल उठ रहा है कि कैसे प्रधानमंत्री का हर घर जल पहुंचाने का सपना साकार होगा।

जिले में नल जल योजना का कार्य लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग की देखरेख में हो रहा है।ठेकेदार ने घटिया किस्म की सामग्री इस्तेमाल कर पाइपलाइन आधे गांव में जमीन के अंदर तो आधे गांव में सड़क किनारे बनी नाली में खुला डाल दिया है,जो पूरी तरह खराब हो गए हैं,कंही टंकी बने साल भर से ज्यादा हो गया है लेकिन पाईप लाईन नही बिछने की वजह से नलों में पानी नही आरहा है।पानी तो ग्रामवासियों को तब नसीब होगा जब ग्रामीणों को नल कनेक्शन दिए जाएंगे,नल कनेक्शन तो दूर ठेकेदार अधूरा काम छोड़कर लापता हैं और पीएचई विभाग के आला अधिकारी आँखे बंद किए हुए हैं।

सरकार कितने भी दावे कर ले कि ग्रामीण विकास की ओर उसका ध्यान है लेकिन सरकार की योजनाओं में पलीता लगाने का काम अफसरशाही की मिलीभगत से ठेकेदार कर रहे हैं और सब आँखे मूदकर सरकारी खजाने को लुटता हुआ देख रहे हैं,जनता की परेशानी अभी भी परेशानी ही बनी हुई है,ग्रामीण महिलाएं दूर दराज के कुओं से पानी लाने को मजबूर हैं या फिर निजी पैसे से पानी खरीदकर पीने को मजबूर हैं ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि जब सब कुछ जनता को ही करना था तो सरकार क्या करेगी,जनप्रनिधि जनता के दुख दर्द को कब समझेगी।