November 23, 2024

कर्नाटक में कांग्रेस सरकार द्वारा राम मंदिर आंदोलन

से जुड़े 32 साल पुराने मामले में एक कारसेवक को गिरफ्तार करने के खिलाफ़ सामाजिक कार्यकर्ता एवं 1992 के कारसेवक रहे सुमन शील ने कर्नाटक सरकार की कड़ी शब्दों में निंदा वक्त करते हुए कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को पत्र एवं ईमेल भेजकर कारसेवक श्रीकांत पुजारी के केस को वापस लेने की मांग किया है । पत्र में कहा है कि आगामी 22 जनवरी को अयोध्या में रामलला विराजने जा रहे है। जिसे लेकर पूरे देश में उत्साह का माहौल है। इस गिरफ्तारी के बाद जहां कांग्रेस पार्टी की छवि धुमिल हुआ है वही जानबूझकर रामभक्तों को परेशान करना दिखता है । कर्नाटक पुलिस के अनुसार साल 1992 में जब कारसेवक कर्नाटक के अलग-अलग हिस्सों से अयोध्या जा रही थी। उस समय हुबली में दंगे हो गए थे। इस दौरान कारसेवकों पर दंगा फैलाने, तोड़फोड़ करने और हिंसा को हवा देने का आरोप लगा था। सैंकड़ों लोगों को इस मामले में आरोपी बनाकर कई केस दर्ज किये गये थे। कई मामले आज भी लंबित हैं जो समाप्त न किया जाना तथा 32 साल बाद इस मामले में 50 साल के कारसेवक जिनकी उम्र उस समय करीब 20 वर्ष थी। श्रीकांत पुजारी को आरोपी बनाकर गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। जो ओछी राजनीति एवं गिरफ्तारी को राजनीति से प्रेरित बताया है। सुमन शील ने कर्नाटक के कारसेवक श्रीकांत पुजारी को बाईज्जत छोड़ देने की मांग रखी है और ना छोड़ने पर कारसेवक के गिरफ्तारी करने के विरुद्ध कर्नाटक सरकार के खिलाफ छत्तीसगढ़ राज्य में भी विरोध प्रदर्शन करेगी बताया है ।

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